Wednesday, March 24, 2021

अधूरा हीरो भाग 7

 ‘‘अब बोलो। अपाहिजों! तुम लोग सोच रहे थे कि हमसे बच जाओगे। देखा कैसा पकड़ा।’’ गोल्डी कमर पर हाथ रखे हुए उन्हें घूर रहा था। बगल में मौजूद प्लैटी व्यंग्य से मुस्कुरा रहा था।

‘‘भाई! हमारी तो आपसे कोई दुश्मनी नहीं।’’ महावीर ने कोमल स्वर में कहा।
‘‘हां। हमने तो आपको हास्पिटल भिजवा दिया था।’’ सैफ भी जल्दी से बोला।
‘‘खामोश! तुम लोगों ने हमें गधा समझा है। क्या हमें मालूम नहीं कि तुम लोगों ने प्लान करके हमारा एक्सीडेंट कराया था।’’ गोल्डी दहाड़ा।
‘‘और फिर हमारा मंहगा लंच भी चट कर गये थे।’’ प्लैटी ने भी टुकड़ा लगाया।
‘‘वह तो आपकी फ्रेंड्स ने खुद हमें दिया था।’’ सैफ पूरे भोलेपन के साथ बोला। 

दोनों के चेहरों से इस समय ऐसा ही लग रहा था मानो छोटे बच्चे मासूम सी शरारत करने के बाद सर झुकाए बड़ों से डाँट खा रहे हों।
‘‘अब हम भी कुछ देने वाले हैं। अच्छा हुआ तुम लोग हमारे बाप के इलाके में आ गये।’’
‘‘बाप का इलाका? क्या आपके बाप कोई डाकू टाइप की हस्ती हैं?’’
‘‘चुप!’’ गोल्डी फिर तैश में आ गया, ‘‘तुझे पता नहीं मेरे बाप ही की देख रेख में ये पूरा शहर बनाया जा रहा है।’’
‘‘हां। कुछ कुछ अनुमान हमें लग गया था।’’ महावीर ने एक बार फिर काम करते हुए बेबस कारीगरों के फटे कपड़ों की ओर देखा और फिर पलट कर गोल्डी व प्लैटी के सजे धजे कपड़ों की ओर, जिसमें सोने व चाँदी के बने रेशों का इस्तेमाल किया गया था।

‘‘आप हमें कुछ देने की बात कर रहे हैं?’’ सैफ ने गोल्डी के टोका।
‘‘हाँ। हम तुम्हें अपने शहर में काम देने वाले हैं।’’ गोल्डी मुस्कुराया।
‘‘हाँ। बेगारी।’’ प्लैटी भी हंसने लगा।

फिर गोल्डी ने अपनी जेब से एक सीटी निकालकर बजायी। दूसरे ही पल वहाँ कई कनस्तरनुमा रोबोट आकर इकट्ठा हो चुके थे।
‘‘इन दोनों को ले जाकर काम पर लगा दो।’’ गोल्डी ने उन रोबोटों को हुक्म दिया।
‘‘ये तो काम कर लेगा। लेकिन मेरे तो हाथ ही नहीं हैं।’’ महावीर जल्दी से बोला।
‘‘हमारी गर्ल फ्रेंड्स ने बता दिया है कि तुम अपनी ज़बान व दाँतों का बहुत अच्छा इस्तेमाल करते हो। तुम्हें वैसा ही काम दिया जायेगा।’’ फिर गोल्डी रोबोट से बोला, ‘‘इनको ले जाओ और हीरों पर पालिश करने का काम दे दो। और ये अपनी दाँतों से पालिश करेगा।’’ अंतिम वाक्य उसने महावीर की ओर इशारा करके कहे थे।
‘‘और अगर हम यह काम न करना चाहें?’’ सैफ ने पूछा।
‘‘यहाँ पर किसी की चाहत नहीं, हमारा हुक्म चलता है। अगर तुम इससे इंकार करोगे तो इलेक्ट्रानिक कोड़े तुम्हारी हड्डियों को डाँस करवा देंगे। ले जाओ इन्हें।’’

इसी के साथ रोबोट उन लोगों को धक्का देते हुए आगे बढ़ाने लगे।
‘‘यार यह तो बुरा हुआ।’’ सैफ ने महावीर को मुखातिब किया।
‘‘हाँ, आये थे सैर करने और यहाँ काम पर लगा दिये गये।’’ अभी भी महावीर के चेहरे पर परेशानी का कोई निशान नहीं था। जल्दी ही रोबोट उन्हें लेकर एक निर्माणाधीन इमारत के पास पहुंच गये। और उन्हें हीरों की पालिश का काम सौंप दिया गया।

उन्होंने काम शुरू कर दिया। दो रोबोट उनकी निगरानी पर तैनात हो गये थे। जिनके हाथों की जगह पर कोड़े लटक रहे थे। खास तरह के इलेक्ट्रानिक ब्रश उन्हें थमा दिये गये थे जिनसे दीवार में लगे हीरों पर पालिश करके उन्हें चमकाना था। सैफ ने हाथों से जबकि महावीर ने ब्रश मुंह में दबाकर काम शुरू कर दिया।
सैफ ने घूमकर देखा। गोल्डी व प्लैटी के हाथों में बियर के कैन मौजूद थे और दोनों उसकी चुस्कियां लेते हुए किसी बात पर हंस रहे थे।

‘‘कमबख्तों। एक बार मौका मिल जाये। ऐसा मज़ा चखाऊंगा कि।’’ सैफ दाँत पीसकर कह रहा था। महावीर ने भी कनखियों से दोनों की तरफ देखा जो उनसे काफी दूरी पर थे। फिर उसने हीरों के पैटर्न पर नज़र की जो काफी ऊंचाई तक एक खूबसूरत डिज़ाईन बनाता हुआ चला गया था। उसी की उसे पालिश करनी थी।
उसने देखा कि उन हीरों में से कुछ मज़बूती से नहीं जमे थे और हिल रहे थे। उसने एक नज़र पहरेदार रोबोट पर डाली और फिर उन ढीले हीरों पर अपने ब्रश का ज़ोर लगाया। नतीजे में वह ढीले हीरे उखड़ कर नीचे गिर गये।
‘‘वो हीरे नीचे गिर गये हैं। उन्हें उठाकर वापस लगाओ।’’ पहरेदार ने हुक्म दिया।

‘‘मुझे पालिशिंग का काम दिया गया। हीरे लगाना मेरा काम नहीं। और वैसे भी मेरे हाथ पैर दोनों नहीं हैं। मैं उन्हें उठा ही नहीं सकता।’’ महावीर ने जवाब दिया।  
‘‘तो फिर किसी और से बोलो।’’
‘‘सभी अपना काम कर रहे हैं। अगर तुमने किसी को दूसरा काम दिया तो उसका टार्गेट टाइम के अन्दर पूरा नहीं हो पायेगा। तुम खुद ही उठा कर लगा दो।’’
‘‘मुझे इसकी आज्ञा नहीं है ये काम केवल कोई मनुष्य ही कर सकता है।’’ रोबोट का जवाब था।
‘‘तो फिर मैं तुम्हें दो मनुष्यों के बारे में बताता हूं जो फ्री हैं और ये काम कर सकते हैं।’’
‘‘कौन?’’ रोबोट ने पूछा।
‘‘वह देखो।’’ महावीर ने गोल्डी और प्लैटी की तरफ इशारा किया।
रोबोटों ने उनकी ओर देखा और फिर कहने लगा, ‘‘हमें उन लोगों से काम लेने की आज्ञा नहीं है।’’
‘‘अच्छा तो अगर ये हीरे उखड़े रह गये तो क्या होगा?’’
‘‘तो फिर हमें अपनी लापरवाही के लिये नष्ट कर दिया जायेगा।’’
‘‘ये एक इमरजेन्सी है। जिसमें तुम कुछ आज्ञाओं को तोड़ सकते हो। इसलिए जाओ और उन दोनों फालतू व्यक्तियों को काम पर लगा दो।’’ महावीर ने समझाया और रोबोट की समझ में बात आ गयी। वह दोनों साहबज़ादों की तरफ बढ़ा। और जल्दी ही उनके पास पहुंच गया।

महावीर अब महल की दीवार से टेक लगाकर आगे के तमाशे का इंतिज़ार कर रहा था। रोबोट जल्दी ही उन दोनों के पास पहुंच गया। फिर उसने शायद उन्हें काम करने का हुक्म दिया था। क्योंकि अब दोनों के चेहरों पर सख्त गुस्से के आसार नज़र आने लगे थे। हालांकि उस तक उनकी बातचीत की आवाज़ नहीं पहुंच रही थी।
फिर उन्हें यह देखकर मज़ा आ गया कि रोबोट का दाहिना चाबुक धड़ाक से गोल्डी की पीठ पर पड़ा और गोल्डी तिलमिला गया। दूसरे ही पल गोल्डी ने जेब से एक विशेष पिस्टल निकाली और रोबोट पर फायर कर दिया। पिस्टल से पीले रंग की किरण निकलकर रोबोट पर पड़ी और रोबोट धड़ धड़ जलने लगा।

‘‘अरे तुम्हारे साथी को उन्होंने मार दिया।’’ सैफ ने चीखकर अपनी निगरानी पर तैनात रोबोट से कहा और वह घूमकर उधर देखने लगा।
‘‘हाँ। उन्होंने उसे मार दिया।’’ सैफ को देखकर निराशा हुई कि रोबोट ने कोई भाव ही प्रकट नहीं किया। उसे उम्मीद थी कि उसकी निगरानी पर तैनात रोबोट अपने साथी की मौत का बदला लेने के लिये दौड़ा चला जायेगा और वह भी फ्री हो जायेगा।

‘‘सुनो। जिस रोबोट को उन्होंने खत्म किया है वह मेरी निगरानी कर रहा था।’’ अब महावीर ने उस रोबोट को संबोधित किया।
‘‘हाँ, तुम ठीक कहते हो।’’ रोबोट ने महावीर का सत्यापन किया।
‘‘तो अब मेरी निगरानी नहीं होगी। फिर मैं अपना टार्गेट पूरा नहीं करूंगा। और फिर तुम सब नष्ट कर दिये जाआगे।’’ महावीर ने उसे समझाया।
‘‘तो मुझे क्या करना चाहिए?’’ रोबोट ने पूछा।
‘‘जिन मनुष्यों की वजह से यह प्राब्लम हुई है उन्हें मार मारकर सबक सिखा दो।’’
‘‘ठीक है।’’ इस बार बात रोबोट की समझ में आ गयी और वह उस तरफ बढ़ने लगा।
‘‘अपने साथ कुछ और रोबोटों को लिये जाओ, वरना वह तुम्हें भी पहले वाले की तरह मार देंगे।’’ चलते चलते महावीर ने एक सुझाव और दे दिया।

रोबोट ने सर हिलाया और अपने साथ पाँच छह और रोबोटों को इकट्ठा करके गोल्डी व प्लैटी की तरफ बढ़ा। जब दोनों ने एक साथ इतने रोबोटों को आते देखा तो घबराकर कई फायर किये। और कई रोबोट तेज़ी से जलने लगा। जबकि बचे हुए रोबोटों ने दोनों की पिटाई शुरू कर दी। उनके मस्तिष्क में मनुष्यों को खत्म करने की बात नहीं भरी गई थी वरना अब तक गोल्डी व प्लैटी की लाशें वहाँ बिछ चुकी होतीं। दोनों के हाथों से उनकी पिस्टल्स छूटकर न जाने कहाँ गुम हो गयी थीं।

वहाँ अच्छा खासा हंगामा मच गया था। कारीगर चिल्ला रहे थे। उनपर निगरानी रखने वाले रोबोटों की प्रोग्रामिंग इस नई सिचुएशन में गड़बड़ा गई थी और वे इधर उधर कटी पतंगों की तरह चकरा रहे थे।
‘‘मौका अच्छा है। अब हम धीरे से खिसक लेते हैं।’’ महावीर ने सैफ को मुखातिब किया।
दोनों धीरे धीरे शहर की एण्ट्री की तरफ बढ़ने लगे।
‘‘यार मेरे कहने पर वह रोबोट हिला भी नहीं और तुम्हारे कहने पर वह अपने साथियों को लेकर लड़ने मरने पहुंच गया। ऐसा क्यों?’’ सैफ ने पूछा।

‘‘मैं यहाँ मौजूद रोबोटों की प्रोग्रामिंग को कुछ हद तक समझ गया हूं। इनके दिमाग में जो फीड है उसमें सबसे अहम है टार्गेट। ये टार्गेट के रास्ते में आने वाली हर रुकावट को खत्म करने के लिये बनाये गये हैं। चाहे उसके लिये इनको अपनी जान देनी पड़े या किसी की लेनी पड़े। मैंने इसी चीज़ को इस्तेमाल करके उन्हें गोल्डी व प्लैटी से लड़वा दिया।’’ महावीर ने बताया।

अब तक वे अपनी किराये की फ्लाइंग बाइक तक पहुंच चुके थे। फिर उन्हें पहाड़ को पार करने में बहुत कम वक्त लगा। अब उन्हें शहर की तरफ से सायरन की आवाज़ें सुनाई पड़ने लगी थीं। शायद मामला इतना बिगड़ चुका था कि पुलिस फोर्स बुलानी पड़ गयी थी।
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