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Tuesday, May 10, 2011

आभासी सुबूत - तीसरी (अंतिम) किस्त


मारिसन जब इं-राफेल और वैशाली को लेकर उस मज़दूर के पास पहुंचा तो वह खुदाई की मशीन के पास मौजूद मशीन आपरेटर की मदद कर रहा था। मारिसन ने मशीन आपरेटर से मशीन रोकने के लिये कहा। मशीन रुक गयी और उस मज़दूर ने अपना चेहरा उनकी तरफ घुमाया। 
‘‘यही है! यही है मेरे पति अशोक का कातिल।’’ उसे देखते ही वैशाली ने चिल्लाकर कहा। मज़दूर शायद अंग्रेज़ी भाषा समझता था। क्योंकि वैशाली की बात सुनते ही वह हड़बड़ा गया और मशीन से नीचे कूदकर भागने लगा। 
इं-राफेल ने अपनी पिस्टल उसकी तरफ तानकर उसे रुकने के लिये कहा। लेकिन वह नहीं रुका। इं-राफेल ने गोली चलाई जो उसके पैर में लगी। वह वहीं गिर गया। अब तीनों उसकी तरफ बढ़े।
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इं-राफेल और मारिसन इस समय ग्लोटेक्ट के चेयरमैन के कमरे में मौजूद थे। और चूंकि दोनों बिना किसी सूचना के अन्दर दाखिल हुए थे अत: चेयरमैन ने नागवार दृष्टि से उनकी ओर देखा।
‘‘मि0चेयरमैन हम आपको अशोक के क़त्ल के जुर्म में गिरफ्तार करते हैं।’’ इं-राफेल ने अन्दर दाखिल होते ही चेयरमैन को संबोधित किया। जबकि मारिसन चेयरमैन के पीछे जाकर खड़ा हो चुका था। 
चेयरमैन ने क्रोधित दृष्टि से उसकी ओर देखा, ‘‘क्या बक रहे हैं आप लोग। भला मैं अपनी ही कंपनी के होनहार एम्प्लाई का क़त्ल क्यों करूंगा। और क्या सुबूत है आपके पास कि मैंने वह क़त्ल किया है।’’
‘‘वह आदमी हमारी गिरफ्त में आ चुका है जिसे आपने अशोक के कत्ल की सुपारी दी थी। और उस सूडानी ने सब कुछ कुबूल कर लिया है। रही बात वजह की तो उसे आप ही बतायेंगे मि0चेयरमैन।’’
‘‘मैंने किसी को कोई सुपारी नहीं दी। वह आदमी झूठ बोल रहा है।’’ चेयरमैन अब भी इंकार कर रहा था। 
‘‘सुबूत और भी हैं हमारे पास। शायद तुम्हें मालूम नहीं कि उस आदमी के बयान के बाद हमने कंपनी और अशोक के कागजात की फिर से गहराई के साथ जाँच की और अशोक के कत्ल के मामला पूरी तरह सुलझ गया। इशारे के लिये इतना ही काफी है कि यह मामला है यूरेनियम का।’’
चेयरमैन ने एक गहरी साँस ली। अब वह ढीला नज़र आने लगा था। ‘‘हाँ अशोक को मारना बहुत ज़रूरी हो गया था। क्योंकि वह यूरेनियम की खोज का राज़ एक बड़ी रकम के बदले में पूरी दुनिया को बताने जा रहा था।’’
‘‘गुड। अब तुम पूरी कहानी अपने मुंह से बयान करो।’’ इं-राफेल उसके सामने बैठ गया जबकि मारिसन कुर्सी खींचकर चेयरमैन की बगल में बैठ गया था।
‘‘दरअसल जिस देश में शहर बसाया जा रहा है उस देश को पूरा फाइनेंस उसका मित्र देश कर रहा है। और वह मित्र देश दुनिया की एक सुपर पावर है। लेकिन उस सुपर पावर का इसके पीछे एक छुपा मकसद है जिसका पता उस देश को भी नहीं।’’
‘‘और वह मकसद है यूरेनियम।’’
‘‘हां। जहां पर शहर बस रहा है वहां पर सुपर पावर मित्र देश ने कुछ अरसा पहले यूरेनियम के बहुत बड़े भंडार का पता चला लिया था। और उसी को गुप्त रूप से हासिल करने के लिये उसने वहां शहर बसाने का प्लान बनाया। प्लान ये था कि ऊपरी तौर पर बसे शहर के नीचे गुप्त रूप से कुछ सुरंगें बनी होंगी जिनके ज़रिये यूरेनियम बिना किसी को खबर किये उस देश को ट्रांस्फर कर दिया जायेगा। उस शहर में बसे उस देश के कर्मचारी इस काम को पूरी तरह गुप्त रूप से अंजाम देंगे। यहां तक कि इस बात का पता उस देश को भी नहीं चलेगा जिसकी सीमा में वह शहर बसा हुआ है।’’
‘‘लेकिन यह बात उस देश से क्यों छुपाई जा रही है?’’ इं-राफेल ने पूछा।
‘‘इसके पीछे दो वजहें हैं। पहली तो ये कि चूंकि यूरेनियम एक बहुत कीमती धातु है और हो सकता है उसके भंडार की जानकारी होने पर वह देश उसका सौदा किसी और के साथ ऊंचे दामों पर कर ले। या फिर अपने मित्र देश के साथ ही ऊंचे दामों पर सौदा करने की कोशिश करे। जबकि उसका मित्र देश यानि कि सुपर पावर उसे लगभग फ्री में हासिल करने की कोशिश कर रहा है।’’
‘‘और दूसरी वजह?’’
‘‘दूसरी वजह ये कि यूरेनियम के भंडार का एक बड़ा भाग अलजीरिया की सीमा में है। जिसके संबंध् उस सुपर पावर से अच्छे नहीं है। और अगर ये बात खुल जाये तो वह उस भंडार का सौदा यकीनी तौर पर उस सुपर पावर की अपोजिट पार्टी से कर लेगा। लेकिन इस शहर को बसाने के बाद अंदर ही अंदर भंडार का वह हिस्सा भी इसी सुपर पावर के कब्ज़े में आ जायेगा।’’
‘‘तो ये बात है। और फिर अशोक को इसलिए मार दिया गया क्योंकि उसे यूरेनियम की कहानी मालूम हो गयी थी और उसे वो डाक्यूलीक्स के माध्यम से पूरी दुनिया को बताने जा रहा था।’’
‘‘हां। उसने लगभग पूरी डीटेल एक फाइल में बनाकर डाक्यूलीक्स तक लगभग भेज दी थी। लेकिन यह बात वक्त रहते हम तक पहुंच गयी और हमने उसकी फाइल बदल दी। नयी फाइल में हमने अशोक की हत्या का दोष अलजीरिया और उसके मित्र विकसित देश पर मढ़ दिया। अलबामा की गिरफ्तारी ने हमारी बात को बल दिया। लेकिन मुझे नहीं पता कि कैसे आप लोग सही मुजरिम तक पहुंच गये। क्योंकि उसने अपने काम में कोई सुबूत ही नहीं छोड़ा था।’’
‘‘बिना सुबूत के दुनिया का कोई जुर्म नहीं होता। चाहे वह जुर्म किसी सुपर पावर ही ने क्यों न किया हो। क्योंकि एक सूपर पावर ऐसी है जिसकी निगाहों से कुछ नहीं छुपता।’’ आसमान की तरफ इं-राफेल ने अपनी उंगली उठाई। चेयरमैन कुछ नहीं बोला हालांकि अभी भी उसके चेहरे पर घबराहट के कोई आसार नहीं थे।
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इस समय इं-राफेल और मारिसन अपनी कार से किसी लम्बी यात्रा पर थे। 
‘‘हमने चेयरमैन को गिरफ्तार कर लिया है और फाइल बनाकर हाई कमांड को भेज दी है। लेकिन इतनी बड़ी कामयाबी की खबर हम प्रेस को क्यों नहीं दे रहे?’’ मारिसन ने इं-राफेल से पूछा।
‘‘अभी हाई कमांड ने इसके लिये मना किया है। वह पहले अपने लेवेल पर इसकी जाँच करेंगे फिर इसे दुनिया के सामने लायेंगे।’’
‘‘लेकिन इस वक्त हम जा कहां रहे हैं?’’
‘‘अब मैं एक जाँच और करने जा रहा हूं।’’ 
‘‘कैसी जाँच?’’
‘‘वैशाली के सपने की जाँच।’’
मारिसन की समझ में हालांकि इं-राफेल की बात नहीं आई लेकिन इस बार वह खामोश रहा।
‘‘हम इस वक्त पर्ल फिजिक्स लैब जा रहे हैं प्रोफेसर हावर्ड से मुलाकात के लिये। इस बात का पता करने कि क्या सपनों के सच होने का कोई साइंटिफिक आधार हो सकता है?’’ मारिसन को खामोश देखकर इं-राफेल ने खुद ही आगे की बात बताई।
मारिसन ने प्रोफेसर हावर्ड का नाम अच्छी तरह सुन रखा था। क्योंकि वह अपने समय का जाना माना भौतिकविद था।
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‘‘यकीनन सपने सच हो सकते हैं। हम अक्सर सुनते हैं कि कुछ लोगों के आने वाली घटना की खबर सपने में मिल जाती है। अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन भी अपनी हत्या होते सपने में देख चुके थे। इसके पीछे भौतिकी की एक थ्योरी कमा करती है। हालांकि अभी इस बारे में वैज्ञानिक एकमत नहीं हैं लेकिन मैं इस थ्योरी से पूरा इत्तेफाक रखता हूं।’’ इं-राफेल ने जब वैशाली के सपने की कहानी प्रोफेसर हावर्ड को सुनाई तो हावर्ड के यही जुमले थे।
‘‘कौन सी थ्योरी?’’ इं-राफेल ने पूछा। 
‘‘भौतिकी की यह थ्योरी ‘वर्चुअल पार्टिकिल’ थ्योरी से मिलती है। कुछ अरसे पहले क्वांटम मैकेनिक्स में कैसीमीर इफेक्ट नामक खोज हुई। जिसके बाद मालूम हुआ कि वास्तविक पार्टिकिल पहले आभासी स्वरूप में होते हैं। ये आभासी स्वरूप कुछ प्रोबेबिलिटी के साथ यूनिवर्स में कहीं भी मौजूद हो सकता है।  वैकुअम फ्ल्क्चुएशन के ज़रिये कण अपने वास्तविक रूप में प्रकट होते हैं। तो उन कणों से जुड़ी घटनाओं के साथ भी यही होता है। वास्तविक कण पर लागू होने से पहले वह घटना आभासी कण पर आभासी रूप में घटित होती है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो वास्तविक विश्व में वास्तविक लोगों के साथ जो भी घटनाएं घटती हैं वह उससे पहले आभासी विश्व में उन लोगों के आभासी स्वरूप के साथ घट चुकी होती हैं। अक्सर वही घटनाएं उस कणों से बने मनुष्य को सपने में पहले से दिख जाती हैं। दरअसल सपना वास्तविक लोगों और उनके आभासी स्वरूप के बीच सम्पर्क माध्यम होता है। और अगर हम उस माध्यम को ठीक ठीक समझ लें तो सटीक भविष्यवाणियां भी कर सकते हैं। अशोक और उसकी पत्नी के साथ ऐसा ही हुआ।’’ प्रोफेसर हावर्ड ने अपनी बात पूरी की।
‘‘शुक्रिया प्रोफेसर साहब। आपने हमारी बड़ी उलझन दूर कर दी।’’ राफेल ने उठते हुए कहा। 
बाहर आकर दोनों अपनी कार में बैठ रहे थे। उसी समय इं-राफेल का फोन बजने लगा।
इं-राफेल ने फोन उठाया और थोड़ी देर बात करता रहा। फिर उसने कार आगे बढ़ा दी।
‘‘किसका फोन था?’’ मारिसन ने पूछा। 
‘‘हाई कमांड से आया था। हमें आर्डर मिला है कि केस को अनसाल्वड लिखकर फाइल बंद कर दी जाये।’’
‘‘क्यों?’’ मारिसन ने चौंक कर पूछा।
‘‘क्योंकि इसमें उंगली उठ रही है उस सुपर पावर की तरफ। वही सुपर पावर हमारे फंड का भी बहुत बड़ा ज़रिया है।’’
‘‘ओह। लेकिन अशोक के उस कातिल का क्या होगा जिसे हमने गिरफ्तार किया है? कहीं न कहीं तो वह मुंह खोल ही देगा।’’
‘‘वह मर चुका है। थोड़ी देर पहले अफ्रीका का सबसे जहरीला सांप माँबा उसकी कोठरी में घुसकर उसे डस चुका है। बेचारे को साँस लेने का भी मौका नहीं मिला।’’
मारिसन कुछ नहीं बोला। दोनों की खामोशी के बीच कार के इंजन की हल्की आवाज़ सुनाई दे रही थी।

--समाप्त--

Sunday, May 8, 2011

आभासी सुबूत - Part 2


शहर का निर्माण कार्य आरम्भ हो गया था। 
समुन्द्र से पानी लाने के लिये पाइप लाइन बिछायी जा रही थी। इस काम में हज़ारों मज़दूर लगाये गये थे। जो आसपास के देशों के स्थानीय निवासी थे।
एक ए-सी- टेन्ट में अशोक का निवास था। बाहर हद से ज्यादा गर्मी थी। कभी कभी उसे काम की प्रगति देखने के लिये टेन्ट से बाहर निकलना पड़ता था और उस समय उसे नानी याद आ जाती थी।
अचानक एक मज़दूर तेज़ी से उसके तंबू में दाखिल हुआ। बिना इजाज़त आते देखकर अशोक ने उसे घूरा। लेकिन मज़दूर के चेहरे पर बदहवासी देखकर वह चौंक पड़ा।
‘‘साहब, नीचे से ज़हरीली गैस निकल रही है। जिसमें कई मज़दूर बेहोश हो गये हैं।’’
‘‘क्या?’’ अशोक चौंक पड़ा, ‘‘मैं देखता हूं।’’ वह तेजी से बाहर निकला। मज़दूर उसके साथ था।
जब वह घटनास्थल पर पहुंचा तो वहां बीस के लगभग मज़दूर बेहोश पड़े हुए थे। उसे गैस की महक मालूम हुई और उसने फौरन अपने चेहरे को कपड़े से ढंक लिया । कुछ ही दूर पर तेज़ सनसनाहट के साथ गैस निकल रही थी। 
‘‘सब लोग यहाँ से दूर हट जाओ।’’ उसने चीख कर कहा।
‘‘और हमारे जो साथी बेहोश हैं उनका क्या होगा?’’ पीछे से किसी ने कठोर आवाज़ में कहा। 
आवाज़ सुनकर अशोक घूमा। यह एक लंबा तगड़ा अलजीरियन था। 
अशोक ने उसे जवाब दिया, ‘‘तुम्हारे बेहोश साथियों को वहां से निकालना नामुमकिन है। हमारे पास गैस मास्क नहीं हैं और बीस लोगों को बचाने के लिये और लोगों की जान जोखिम में नहीं डाली जा सकती।’’
‘‘वो मेरे दोस्त हैं। अगर तुम्हारी कंपनी उनकी सुरक्षा नहीं कर सकती तो इतना बड़ा काम क्यों कर रहे हो।’’ वह व्यक्ति गुस्से से बोला।
‘‘इतने बड़े काम में छोटे मोटे हादसे होते रहते हैं। जाओ अपना काम करो। और मुझे अपना काम करने दो।’’ इस बार अशोक ने कठोर स्वर में कहा। अशोक के तेवर देखकर दो व्यक्तियों ने उस अलजीरियाई का हाथ पकड़ा और वहां से खींच ले गये।
अब अशोक ने बाकी लोगों को गैस से बचाव के लिये निर्देश दिये और वहां से घूम गया।
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अशोक इस समय अपने निवास स्थान पर था। उसके सामने एक अफ्रीकी मज़दूर मौजूद था और अपनी रिपोर्ट दे रहा था।
‘‘सर हमने गैस पर तो काबू पा लिया। उस होल को भर दिया जहाँ से गैस रिस रही थी। लेकिन---’’
‘‘लेकिन क्या?’’
‘‘उन बीस में से केवल दो ही जिन्दा बच पाये। गैस बहुत जहरीली थी।’’ मज़दूर ने रुक रुक कर कहा।
‘‘मुझे पहले ही अँदेशा था। इसलिए मैंने और लोगों को वहां जाने से रोक दिया था।’’
अशोक की निगरानी में चलने वाला काम एक बार फिर रफ्तार पकड़ चुका था।
लेकिन एक सुबह इस रफ्तार पर ब्रेक लग गया।
उस सुबह अशोक का नौकर जब उसे बेड टी देने केबिन के अन्दर गया तो चाय की प्याली उसके हाथ से छूट गयी।
बिस्तर पर अशोक मृत पड़ा हुआ था। किसी ने निहायत बेदर्दी से उसका गला काट डाला था।
वहां एक तहलका मच गया। हर व्यक्ति हैरान था कि आखिर प्रोजेक्ट हेड को किसने मार दिया। पुलिस अपनी तफ्तीश में जुट गयी थी।
चूंकि मामला एक मल्टीनेशनल कंपनी के अन्तर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ था अत: तफ्तीश भी अन्तर्राष्ट्रीय पुलिस को सौंपी गयी।
इंस्पेक्टर राफेल मूल रूप से पुर्तगाली था। उसी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम इस जाँच में जुटी हुई थी। वह अभी तक किसी खास नतीजे पर नहीं पहुंच पाया था। उसने इस प्रोजेक्ट के बारे में छानबीन करने का निश्चय किया तो उसे मालूम हुआ कि इस वीरान इलाके में शहर बसाने का प्लान एक बहुत बड़े विकसित देश का था। जो वर्तमान में इस देश का मित्र था और इसे आर्थिक मदद दे रहा था।
‘‘कहीं ऐसा तो नहीं अशोक की हत्या करके कोई इस प्रोजेक्ट को रोकना चाहता हो।’’ साथियों के साथ बैठे राफेल ने मानो अपने आप से कहा।
‘‘लेकिन कोई ऐसा क्यों करेगा। जबकि इस प्रोजेक्ट पर कार्य इस देश की सहमति से हो रहा था। और इसका पूरा खर्च दूसरा देश उठा रहा था।’’ उसके साथी ने कहा।
‘‘इस प्रोजेक्ट की कुछ बातों में पड़ोसी देश भी शामिल हैं। मसलन पानी की वह लाइन जो समुन्द्र से यहाँ तक आ रही है।’’
‘‘इसका मतलब इस हत्या में पड़ोसी देश का षडयन्त्र भी हो सकता है।’’ राफेल ने कहा।
‘‘एक वजह और भी हो सकती है।’’ दूसरा साथी जो अभी अभी वहां दाखिल हुआ था, बोल उठा।
‘‘वह क्या मि0 मारिसन?’’
‘‘कुछ दिनों पहले पाइप लाइन की खुदाई के समय ज़हरीली गैस रिसने से कई मज़दूरों की मृत्यु हो गयी थी। उनकी मृत्यु के कारण अशोक कुमार का एक मज़दूर से झगड़ा हो गया था। यह बात अभी अभी मुझे मालूम हुई है।’’
‘‘उस मज़दूर का नाम क्या था?’’ 
‘‘उसका नाम था अलबामा। और वह एक अलजीरियाई था।’’
फिर अलबामा की तलाश शुरू हुई और जल्दी ही वह मिल गया। उसे हिरासत में ले लिया गया और उससे पूछताछ शुरू हो गयी। अलबामा इससे इंकार कर रहा था। उसका यही कहना था कि उसका अशोक कुमार से उसी समय झगड़ा हुआ था जो वहीं खत्म भी हो गया था। 
लेकिन कहानी में नया मोड़ उस समय आया जब एक मशहूर इण्टरनेट साइट डाक्यूलीक्स ने हत्याकांड का खुलासा करते हुए लिखा कि एक देश जिसके अलजीरिया से अच्छे सम्बन्ध्ा हैं और जो एक विकसित देश है, नहीं चाहता कि उसके पड़ोसी देश में इस प्रकार का कोई शहर बसे।
‘‘लेकिन अशोक को मारने से क्या हासिल? प्रोजेक्ट तो रुकेगा नहीं। अब कोई और प्रोजेक्ट हेड बन जायेगा।’’ राफेल इन ही विचारों के साथ जब अपने आफिस पहुंचा तो वहां उसने एक औरत को बैठे देखा। औरत पूरी तरह ग़म की मूरत दिख रही थी। इं-राफेल ने प्रश्नात्मक दृष्टि से उसकी ओर देखा।
‘‘मैं वैशाली हूं। अशोक की पत्नी। थोड़ी देर पहले इंडिया से यहां पहुंची हूं।’’
‘‘ओह। वैशाली जी हम आपके पति के क़ातिल को ढूंढने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।’’
‘‘क्या कुछ पता चला?’’
‘‘हमने एक अलजीरियाई मज़दूर अलबामा को पकड़ा है जिसकी कुछ समय पहले अशोक से लड़ाई हुई थी। हमें यकीन है कि अशोक का हत्यारा वही है।’’
‘‘ओह!’’
इं-राफेल ने अपनी सामने रखी फाइल खोलकर उसके सामने कर दी। जिसमें अलबामा का फोटो लगा हुआ था।
‘‘यह अलबामा का फोटो है।’’ उसने वैशाली को बताया। फोटो देखते ही वैशाली आतुरता से बोली, ‘‘नहीं। ये अशोक का कातिल नहीं हो सकता।’’ 
‘‘क्यों?’’ हैरत से इं-राफेल ने पूछा। 
‘‘क्योंकि सपने में तो हुलिया दूसरा था अशोक के कातिल का।’’
‘‘कैसा सपना? कौन कातिल?’’ उलझन भरे स्वर में राफेन ने पूछा। जवाब में वैशाली ने अपने और अशोक के सपने की बात उसे बता दी। उसी समय वहां मारिसन भी पहुंच चुका था। और गौर से उसकी बातें सुन रहा था।
‘‘मैं नहीं समझता कि एक सपने पर हमें इतना यकीन करना चाहिए।’’ पूरी बात सुनने के बाद राफेल बोला, ‘‘इसको एक दु:खद संयोग से ज्यादा अहमियत हमें नहीं देनी चाहिए।’’ 
‘‘शायद मैंने इस हुलिए के व्यक्ति को यहां देखा है।’’ मारिसन कुछ सोचते हुए बोला, ‘‘वह भी मज़दूरों में शामिल है लेकिन सबसे अलग थलग रहता है और बिना किसी से बात किये अपना काम करता रहता है।’’
‘‘लेकिन बिना किसी सुबूत के मात्र एक सपने के आधार पर हम उसपर कैसे शक कर सकते हैं?’’
‘‘लेकिन पूछताछ में हर्ज ही क्या है। आप प्लीज़ उसकी जाँच करें।’’ वैशाली ने इं-राफेल पर जोर डाला।
‘‘ओ-के-। मारिसन हमें उसके पास ले चलो।’’
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Friday, May 6, 2011

आभासी सुबूत - Part 1


जब उसकी आँख खुली तो पूरा बदन पसीने में डूबा हुआ था। और हलक प्यास से सूख रही थी। उसने उठकर फ्रिज खोला और ठण्डे पानी की पूरी बोतल चढ़ा गया। फिर वह उस सपने के बारे में सोचने लगा जो उसने अभी अभी देखा था। बहुत भयानक सपना था वह। 
‘‘क्या बात है, वहाँ खड़े क्या सोच रहे हो?’’ पीछे से उसकी पत्नी की आवाज़ आयी। वह ठण्डी साँस लेकर मुड़ा, ‘‘कुछ नहीं।’’ वह वापस बेड पर पहुंच गया।
‘‘अशोक, अभी अभी मैंने बहुत भयानक सपना देखा है।’’ उसकी पत्नी बोली।
‘‘कैसा सपना?’’ उसने चौंक कर पूछा।
‘‘मैंने देखा कि एक व्यक्ति छुरे से तुम्हारी हत्या कर रहा है।’’ 
‘‘क्या!?’’ वह चौंक पड़ा, ‘‘अभी अभी तो मैंने भी यही सपना देखा है। लेकिन यह कैसे संभव है?’’ वह बेयकीनी से बोला।
‘‘हाँ। हम दोनों एक जैसा सपना कैसे देख सकते हैं।’’ पत्नी को भी आश्चर्य हुआ।
‘‘उस आदमी का हुलिया क्या था?’’
‘‘मोटा तगड़ा। काला भुजंग। मुझे तो कोई अफ्रीकी मालूम हो रहा था।’’
‘‘बिल्कुल इसी हुलिये का व्यक्ति मेरे सपने में दिखा था।’’
अब तो दोनों की नींद पूरी तरह उड़ चुकी थी। एक ही जैसा और भयानक सपना। दोनों किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठे।
अशोक एक कान्स्ट्रक्शन कंपनी ग्लोटेक्ट में चीफ अर्किटेक्ट के पद पर था। उसने वैशाली के साथ लव मैरिज की थी, अपने घरवालों के खिलाफ। नतीजे में उसके घरवालों ने उससे सम्पर्क तोड़ लिया था। लेकिन उसे इसकी परवाह न थी। क्योंकि वैशाली काफी अच्छी पत्नी साबित हुई थी।
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ग्लोटेक्ट कंपनी के आफिस में पहुंचकर अशोक कुर्सी पर बैठा ही था कि चपरासी चेयरमैन का पैगाम लेकर उसके सामने हाजिर हो गया। चेयरमैन ने उसे मीटिंग रूम में बुलाया गया था।
अशोक जब मीटिंग रूम में पहुंचा तो उसने देखा चेयरमैन के साथ चीफ इंजीनियर और कंपनी के दूसरे उच्च अधिकारी मौजूद थे। जबकि चेयरमैन अपने सामने रखे ग्लोब के किसी खास हिस्से को बुरी तरह घूर रहा था।
‘‘आईए मि०अशोक ।’’ चेयरमैन ने ग्लोब से नज़रें हटाये बिना कहा। अशोक खामोशी से उसके सामने रखी एक खाली कुर्सी पर बैठ गया।
‘‘मि0 अशोक, एक बहुत बड़ा कान्स्ट्रक्शन प्रोजेक्ट ग्लोटेक्ट को मिला है। आपको उसका नक्शा डिजाइन करना है।’’
‘‘ओ-के-।’’ अशोक ने सर हिलाया।
‘‘दरअसल आपको पूरे शहर का नक्शा डिजाइन करना है। वह शहर जो बसने वाला है।’’ इस बार चेयरमैन ने ग्लोब से नज़रें हटाकर उसके चेहरे पर डालीं।
‘‘यह शहर कहाँ पर होगा?’’ उसने पूछा।
‘‘सहारा रेगिस्तान के इस वीरान निर्जन स्थान पर।’’ चेयरमैन ने ग्लोब के एक हिस्से पर अपने पेन की नोक रखी।
‘‘यहाँ पर शहर बसाना एक नामुमकिन सी बात है।’’ चीफ इंजीनियर बोल उठा।
‘‘हमारी कंपनी ने कई बार नामुमकिन को मुमकिन बनाया है। इसी लिये हम पूरी दुनिया में मशहूर हो चुके हैं।’’ चेयरमैन के स्वर में पत्थर की सी सख्ती थी। जवाब में चीफ इंजीनियर खामोश हो गया। 
‘‘आप क्या कहते हैं मि०अशोक? इसका नक्शा कितने समय में तैयार हो जायेगा?’’ चेयरमैन अशोक की तरफ घूमा।
‘‘तीन दिन बाद आपको नक्शा मिल जायेगा सर।’’ अशोक ने शांत स्वर में कहा।
‘‘गुड। फिर हम तीन दिन बाद दोबारा मिलते हैं।’’ चेयरमैन ने मीटिंग बर्खास्त कर दी।
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अशोक ने जब प्रोजेक्ट के बारे में वैशाली को बताया तो छूटते ही वह बोली, ‘‘आप इस प्रोजेक्ट में न शामिल हों।’’
‘‘क्यों?’’
‘‘कल सपने में जिस व्यक्ति को हम दोनों ने आपकी जान लेते देखा वह अफ्रीकी था। और यह प्रोजेक्ट भी अफ्रीका का ही है।’’
‘‘अरे हाँ। कैसा अजब संयोग है। लेकिन हमें ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। एक सपने से डरकर अगर हम काम छोड़ने लगें तो न सिर्फ लोग हमपर हसेंगे बल्कि कंपनी भी मुझे निकाल बाहर करेगी।
‘‘ठीक है। जैसी आपकी मर्जी।’’ एक गहरी साँस वैशाली ने ली।
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तीन दिन बाद इंजीनियर्स की एक और बैठक मीटिंग रूम में शुरू हुई। जिसमें रेगिस्तान में पूरे शहर को बसाने का ब्लू प्रिंट चेयरमैन के सामने पेश होना था। ग्लोटेक्ट के चेयरमैन के साथ कंपनी के और डायरेक्टर्स भी थे। ब्लू प्रिंट बताने की कमाण्ड संभाली अशोक ने।
‘‘दरअसल किसी भी शहर को बसाने के लिये सबसे ज़रूरी चीज़ है पानी। तो सबसे पहले हम इसी प्लान पर विचार करेंगे कि पानी कहां से हासिल होगा। उसे कैसे लाया जायेगा और कहाँ स्टोर किया जायेगा।’’
कहते हुए अशोक ने प्रोजेक्टर चालू किया और उस जगह का नक्शा स्क्रीन पर झिलमिलाने लगा जहाँ शहर बसाया जाना था।
‘‘इस जगह के लिये पानी के हमारे पास दो स्रोत हैं। पहली है नील नदी और दूसरा है समुन्द्र। इनमें से समुन्द्र ज्यादा पास है और पानी का बड़ा स्रोत भी है।’’
चेयरमैन गौर से अशोक की बात सुन रहा था।
‘‘एक विशाल और लम्बी पाइप लाइन समुन्द्र के पानी को शहर के एक सिरे तक पहुंचाएगी जहाँ एक विशाल प्लांट इस पानी को मीठे पानी में बदल देगा। और फिर वह पानी नहर के द्वारा उस विशाल तालाब में गिरेगा जो शहर के बीचोंबीच बना होगा।’’
‘‘तालाब की क्या ज़रूरत? हम शहरवासियों को पाइपों के द्वारा पानी का डायरेक्ट सप्लाई दे सकते हैं।’’ एक डायरेक्टर ने एतराज़ किया।
‘‘शहर बसाने से पहले वहाँ पूरा इको सिस्टम डेवलप करना होगा। जिसके लिये एक विशाल तालाब होना ज़रूरी है।’’ अशोक ने स्पष्ट किया।
‘‘लेकिन उस जगह का टेम्प्रेचर इतना ज्यादा है कि पूरे तालाब का पानी पल भर में भाप बनकर उड़ जायेगा।’’ चेयरमैन ने एक और समस्या उठायी।
‘‘इसके लिये हमारे इंजीनियर्स ने एक तरकीब निकाली है। कुछ छतरी जैसी रचनाएं, जिनमें सोलर पैनल लगे होंगे, सूर्य की रोशनी से ऊर्जा लेकर हवा में मंडराती रहेंगी और हवा के टेम्प्रेचर को कम कर देंगी।’’
‘‘गुड। अब मुझे यकीन हो गया कि हम शहर बसा लेंगे। प्रोजेक्ट की फाइल लाओ। मैं हस्ताक्षर कर देता हूं। यह काम जल्द से जल्द शुरू हो जाना है।’’ चेयरमैन ने खुश होकर कहा।
‘‘सर! एक सवाल हम पूछ सकते हैं?’’ अशोक ने थोड़ा रुकते हुए पूछा। 
‘‘पूछो।’’
‘‘यह प्रोजेक्ट हमें किस देश से मिला है?’’
‘‘फिलहाल वह देश अपना नाम नहीं जाहिर करना चाहता। लेकिन शहर बसने के बाद आप लोगों को मालूम हो जायेगा।’’
फिर मीटिंग खत्म हो गयी।
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