Monday, March 22, 2021

अधूरा हीरो भाग 5

 ‘‘ओये अपाहिजों, तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई हमसे आगे निकलने की। जानते नहीं हम कौन हैं।’’ एक युवक आस्तीनें चढ़ाते हुए उनकी तरफ बढ़ा।

‘‘भाई, हम नहीं जानते कि आप कौन हैं। कौन हैं आप लोग?’’ महावीर ने नर्म लहजे में पूछा। इस समय वह बाइक से नीचे उतरकर अपनी नकली टाँगों यानि फाइबर की छड़ों के सहारे खड़ा हुआ था लेकिन कोई अनुमान नहीं लगा सकता था कि उसके पैर नहीं हैं।

‘‘लो देखो’’, कार से बाहर झांकती हुई एक लड़की की तरफ देखते हुए युवक हंसा, ‘‘इस लूले को पता ही नहीं कि हम कौन हैं।’’ उसकी बात पर बाकियों ने कहकहा लगाया। सैफ गुस्से में उन्हें सबक सिखाने के लिये आगे बढ़ा लेकिन महावीर ने आँख के इशारे से उसे रोक दिया।

‘‘माफ कीजिए हम वाकई नहीं जानते कि आप लोग कौन हैं।’’ महावीर का नर्म लहजा बरक़रार था। वह आगे कह रहा था, ‘‘इसमें सरासर मेरी ही गलती है, न मैं इससे शर्त लगाता और न यह प्राब्लम पैदा होती।’’
‘‘कैसी शर्त आंयें?’’ उस लड़के ने उसी तरह अकड़े हुए पूछा।
‘‘मैं ने इससे शर्त लगाई कि थोड़ी सी जगह से तू बाइक नहीं निकाल सकता। लेकिन इसने निकाल दी और शर्त जीत गया।’’ कहते हुए महावीर ने सैफ को आँखों से इशारा किया।

‘‘बिल्कुल। ऐसा कौन माई का लाल है जो इतनी सी साइड में अपनी बाइक निकाल ले जाये।’’ सैफ ने अकड़ कर कहा। वह महावीर का इशारा समझ गया था।
‘‘तुम लोग पूरे लल्लू हो। ये कौन सा मुश्किल काम है। इसे तो मैं भी आराम से कर सकता हूं।’’ लड़का बोला।
‘‘नामुमकिन। हम कैसे मान लें।’’ सैफ ने सर हिलाया।

फिर जल्दी ही ये मामला तय हो गया कि सैफ व महावीर उनकी कार ड्राइव करेंगे। और वो दोनों लड़के उनकी बाइक चलायेंगे। और फिर अकड़ने वाला लड़का उस बाइक को उतनी ही साइड की जगह में से निकाल कर दिखायेगा।

सैफ कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।

‘‘भाई साहब। आपकी कार में मैग्नेटिक रेज़ फेंकने की डिवाइस लगी है। क्या आप का सम्बन्ध पुलिस से है?’’ महावीर ने पूछा।

‘‘अरे पुलिस तो हमारे हाथ की खिलौना है। शायद तुम्हें मालूम नहीं कि मैं कौन हूं।’’ इतना कहकर लड़का फिर चुप हो गया। यानि अभी भी यह सस्पेंस बरकारार था कि वह कौन है। महावीर ने भी उसका परिचय पूछकर इस सस्पेंस को तोड़ने की कोशिश नहीं की। वह तो मैंग्नेटिक रेज़ फेंकने की डिवाइस को गौर से देख रहा था।

फिर सैफ ने कार स्टार्ट की और सड़क के ऊपर उड़ा दी। उसने साइड में उतनी ही जगह रखी थी जितनी पहले थी। दूसरी तरफ ऊंचा डिवाइडर था। लड़कियां उसी कार में पिछली सीट पर मौजूद थीं और अब खामोश थीं। शायद उनके दिमाग में भी यही प्रश्न मौजूद था कि आगे क्या होगा।

‘‘हल्की मैग्नेटिक रेज़ को चारों तरफ फैला दो।’’ महावीर ने धीरे से कहा और सैफ ने मैग्नेटिक रेज़ छोड़ने का बटन आॅन कर दिया।
‘‘तुम लोगों ने गलत पंगा ले लिया है। हमारे फ्रेंड्स तुम लोगों को नचा कर रख देंगे।’’ एक लड़की बोली। उसकी अकड़ देखकर यह साफ हो गया कि चारों एक ही रेवड़ से ताल्लुक रखते हैं।
‘‘अच्छी बात है।’’ महावीर ठंडी साँस लेकर बोला, ‘‘हम लोग पैदा ही नाचने के लिये हुए हैं।’’

इस बीच उन्होंने बैक मिरर में देखा कि लड़कियों के ब्वाय फ्रेंड्स बाइक पर तेज़ी के साथ कार के करीब पहुंच चुके थे। और जल्दी ही वे लोग कार की साइड में आ गये।
साइड में पहुंचते ही उनकी स्पीड थोड़ी धीमी हो गयी थी। और यह इनकी कार से निकलने वाली मैग्नेटिक रेज़ का असर था। उन्होंने स्पीड को बढ़ाने के लिये एक्सीलरेटर को और मरोड़ा।

कार के अन्दर मौजूद लड़कियां अपने फ्रेन्ड्स का उत्साह बढ़ाने के लिये ज़ोर ज़ोर से चीख रही थीं। उन्हें इसका भी होश नहीं था कि ड्राइविंग सीट पर बैठे सैफ व महावीर क्या हरकतें कर रहे हैं।
‘‘अब रेज़ को रोक दो।’’, महावीर ने धीरे से कहा।
सैफ ने मैग्नेटिक रेज़ को बन्द करने का बटन दबा दिया। दूसरे ही पल साइड में मौजूद लड़कों को लेकर बाइक लगभग आवाज़ की रफ्तार से आगे बढ़ गयी। बाइक के सेफ्टी सेंसर बन्द थे और इतनी रफ्तार को कण्ट्रोल करना उनके बस में था नहीं। नतीजा यह हुआ कि बाइक साइड के डिवाइडर से उसी तरह टकराई जैसे गन से निकली गोली अपने टार्गेट से टकराती है।

अगले ही पल दोनों बाइक समेत चारों खाने चित हो चुके थे।

महावीर व सैफ को मालूम था कि वे मरे नहीं होगे। क्योंकि आजकल डिवाइडर इस तरह बनाये जाते थे कि किसी दुर्घटना की हालत में वे एक हद तक शाॅक अपने अन्दर सोख लें। लेकिन दोनों को नानी ज़रूर याद आ गयी होगी इसका उन्हें यक़ीन था।

उधर ये दुर्घटना देखकर दोनों लड़कियां बुरी तरह चीख पुकार मचाने लगी थीं। और उनसे कार रोकने को कह रही थीं।
सैफ ने कार रोक दी।

फिलहाल दोनों एक सुनसान रास्ते से गुज़र रहे थे वरना अब तक वहाँ जाम लग चुका होता। कार रुकने के साथ ही दोनों लड़कियां अपने फ्रेंड्स को पुकारती हुई तेज़ी से भागीं। पहली बार उन्हें मालूम हुआ कि उनमें से एक लड़के का नाम गोल्डी है और दूसरे का प्लैटी।

‘‘कमीनों! तुमने हमारे गोल्डी और प्लैटी के साथ क्या किया।’’ गुस्से में बिफरी हुई दोनों लड़कियां तेज़ी के साथ घूमीं।
महावीर व सैफ भी उनके पास पहुंचे। सैफ ने उन्हें टटोला तो मालूम हुआ कि दोनों बेहोश हो चुके हैं।
‘‘साॅरी, ये तो बेहोश हो गये।’’ सैफ ने अफसोस के साथ सर हिलाया।
‘‘अब क्या होगा।’’ एक लड़की परेशानी से बोली।
‘‘सब इन कमीनों की वजह से हुआ है। हम लोग आराम से घूमने आ रहे थे। ये बीच में कबाब की हड्डी की तरह टपक पड़े।’’ दूसरी लड़की ने गुस्से से कहा।
‘‘देखिए, आप लोग शांत रहिए।’’ महावीर उन्हें समझाने लगा, ‘‘इसमें हमारी कोई गलती नहीं। ये लोग खुद ही बाइक माँग कर चलाने लगे थे।’’

‘‘लेकिन अब क्या होगा?’’ पहली लड़की फिर परेशान स्वर में बोली, शायद उसका दिल कमज़ोर था।

‘‘अब तो कोई कार आयेगी और इन्हें कुचलती हुई निकल जायेगी।’’ सैफ इत्मिनान से बोला।
‘‘नहीं नहीं। प्लीज़ इन्हें बचा लो।’’ पहली लड़की और ज़्यादा घबरा गयी। घबराहट में उसे ये भी ध्यान नहीं था कि आजकल कारें ज़मीन पर नहीं बल्कि हवा में चलती हैं अतः कुचलने का सवाल ही नहीं पैदा होता।
‘‘प्लीज़ कुछ करो। इन्हें बचा लो।’’ दूसरी लड़की ने महावीर से रिक्वेस्ट की।
‘‘मेरा तो दिमाग ही नहीं चल रहा है।’’ महावीर ठंडी साँस लेकर बोला, ‘‘जब मेरे ज़ोरों की भूख लगती है तो मेरा दिमाग काम करना बन्द कर देता है।’’

उसकी बात सुनकर दूसरी लड़की तेज़ तेज़ कदमों से चलती हुई कार तक गयी और एक बड़ा सा टिफिन उठाकर उनके पास आयी, ‘‘लो भरो जल्दी। और कोई तरकीब सोचो।’’
‘‘हाँ, ये हुई न बात।’’ सैफ ने उसके हाथ से टिफिन ले लिया। और फिर दोनों वहीं ज़मीन पर बैठ गये। टिफिन खोलने में उन्होंने ज़रा भी देर नहीं लगायी थी। क्या पता कब दोनों को होश आ जाये।

खाना काफी लज़ीज़ था। लगता था किसी फाइव स्टार रेस्टोरेंट से पैक करवाया गया है। दोनों जल्दी जल्दी खाने लगे।
‘‘वेरी टेस्टी। कहां से मंगवाया है?’’ महावीर खाने की तारीफ करने लगा।
‘‘जल्दी करो। वो लोग कब तक बेहोश रहेंगे।’’ लड़कियां बार बार कभी ब्वाय फ्रेंड्स को देखती थीं तो कभी दाँत पीसकर उनकी ओर। फिर दोनों ने खाना खत्म करके एक लंबी डकार ली।
‘‘खाना खिलाने का शुक्रिया।’’ महावीर लड़कियों से कहने लगा।
‘‘खाना गया तेल लेने। इनका जल्दी से कुछ करो।’’ दूसरी लड़की ने गुस्से से कहा।

‘‘सैफ एक काम करो’’, महावीर सैफ की तरफ घूमा, ‘‘तुम उनका कंधा पकड़ो और ये लड़कियां पैर पकड़ लेंगी। फिर कार में डाल दो। ये दोनों ड्राइव करके अपने ब्वाय फ्रेंड्स को हास्पिटल ले जायेंगी। हो सकता है हास्पिटल जाने से पहले ही इन्हें होश आ जाये।’’
‘‘ये सारा काम तुम लोगों को करना है। हम लोग कुछ नहीं करेंगे।’’ दूसरी लड़की चीखी।

‘‘मैडम, मैं तो कुछ कर ही नहीं सकता क्योंकि मेरे हाथ ही नहीं हैं। आपको मेरे दोस्त का साथ तो देना ही पड़ेगा।’’
लाचार होकर दोनों लड़कियों ने महावीर की राय पर अमल करते हुए दोनों को सैफ के साथ मिलकर उठाया और कार की पिछली सीट पर डाल दिया।
‘‘मुझे अफसोस है कि आप लोग अब भूखे रह जाओगे।’’ महावीर के चेहरे से लग रहा था जैसे उसे गिल्टी फील हो रहा है। हालांकि उसके चेहरे से उसके दिल का हाल लेना लगभग असंभव था।

‘‘तुम हमें समझते क्या हो’’, पहली लड़की गर्व से बोली, ‘‘गोल्डी और प्लैटी हमारे लिये और मंगवा लेंगे। शायद तुम्हें मालूम नहीं कि ये लोग कौन हैं?’’

‘‘यह सवाल बहुत देर से यहाँ चकरा रहा है। अब बता भी दीजिए कि ये लोग कौन हैं वरना सस्पेंस से हमारे भेजे उड़ जायेंगे।’’ महावीर दयनीय आवाज़ में बोला।
‘‘गोल्डी हरस का बेटा है और प्लैटी हरस का भतीजा।’’ पहली लड़की जल्दी से बोली।
‘‘अब एक नयी समस्या खड़ी हो गयी। यह हरस कौन है?’’ महावीर ने सवाल किया।
‘‘तुम हरस को नहीं जानते। तुम जहाँपनाह फीरान के वज़ीर को नहीं जानते। हरस वह है जो चाहे तो पूरी दुनिया को खरीद सकता है। उसके पास बहुत पैसा है। वह तो जहाँपनाह फीरान के लिये बहुत बड़ा सोने चाँदी व हीरे मोतियों का शहर बनवा रहा है।’’ पहली लड़की गर्व से धाराप्रवाह बोल रही थी।

‘‘अच्छा, अब देर न करो और इन्हें जल्दी से किसी हास्पिटल में ले जाओ। वरना ऐसा न हो कि हरस सोने का शहर बनाता रह जाये और उसके बेटे कब्रों में जाकर बस जायें।’’
‘‘चुप रहो अपाहिज मनहूसों।’’ उसी लड़की ने डपटा और ड्राइविंग सीट पर बैठ गयी। फिर उनके चेहरों पर धूल फेंकती हुई कार आगे उड़ गयी।
‘‘यार! फीरान के शहर का बहुत ज़्यादा चर्चा है हर तरफ।’’ महावीर ने चेहरे की धूल को सैफ के बाज़ू से रगड़कर साफ किया।

‘‘हाँ। अब तो उसे देखने की ख्वाहिश होने लगी है।’’ सैफ ने भी अपने शौक का इज़हार किया।
‘‘शहर यहाँ से हज़ार किलोमीटर दूर है। लोकल इण्टरस्टेट ट्रेन से दो घण्टे में पहुंच जायेंगे। बोलो क्या कहते हो?’’ महावीर के लहजे से लग रहा था कि वह वहाँ जाने के लिये पूरी तरह आमादा है।
‘‘जहाँ तुम वहाँ मैं।’’ सैफ तो हर उस जगह जाने को तैयार रहता था जहाँ महावीर कहता था। दोनों के बीच दोस्ती कुछ इसी किस्म की थी।

‘‘बस माँ की इजाज़त का मसला पड़ेगा’’
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