Wednesday, September 3, 2014

झूमती नागिन - कहानी (भाग 2)

बलवन्त की जलती चिता के पास उसके दोनों दोस्त उदास और चिंतित खड़े थे।
‘‘समझ में नहीं आता नेताजी के बंगले में साँप किधर से आ गया।’’ शुक्ला कह रहा था।

‘‘कुछ भी हो, लेकिन हमारा एक अच्छा दोस्त हमसे जुदा हो गया।’’

‘‘ऊपर वाले की मर्जी। चलो घर चलते हैं।’’ दोनों ने आगे बढ़ने के लिए कदम उठाये, लेकिन फिर ठिठक कर रह गये। क्योंकि सामने एक नागिन फन काढ़े हुए गुस्सैली नजरों से उन्हें घूर रही थी।

दोनों हड़बड़ा गये। फिर शुक्ला ने अपना सर्विस रिवाल्वर निकालकर उसपर फायर करना चाहा। लेकिन उससे पहले ही नागिन बिजली की तरह लहराकर झाड़ियों में गायब हो चुकी थी।

‘‘यार, कहीं ये वही साँप तो नहीं था जिसने बलवन्त को डसा है।’’ सुखराम ने झाड़ियों की तरफ देखते हुए कहा।
‘‘हो सकता है। लेकिन ये हमारे सामने क्यों आया था?’’

‘‘आया नहीं आयी थी। वह नर नहीं मादा थी। एक खतरनाक नागिन।’’ सुखराम ने संशोधन किया।
‘‘कुछ भी हो, लेकिन उसका दूसरी बार दिखाई देना शुभ संकेत नहीं है।’’

‘‘दरअसल वह यहाँ देखने आयी थी कि उसके ज़हर का कितना असर हुआ है। अब छोड़ो इन सब बातों को, क्या घर नहीं चलना है?’’

‘‘हाँ चलो। यहाँ तो अब सुनसान हो रहा है।’’
वो दोनों जल्दी से वहाँ से चल दिये। नागिन देखने के बाद उनके दिलों में डर भी समा गया था।
*****

सुखराम की पत्नी उसकी गलत हरकतों से तंग आकर उससे तलाक ले चुकी थी। बच्चा कोर्ग था नहीं। इसलिए वह अकेला ही अपनी फ्लैट पर रहता था और जमकर शराबखोरी करता था।

इस समय भी उसके हाथ में लाल परी थी और सामने टी0वी0 आॅन था जिसपर कोई नर्तकी अपने लटके झटके दिखा रही थी। बैक्ग्राउण्ड में कोई भद्दा सा म्यूजिक बज रहा था।

उसने दो तीन चुस्कियां लीं और उस भद्दे म्यूजिक पर थिरकने लगा। फिर उस म्यूजिक में किसी संपेरे की बीन भी शामिल हो गयी। इसी के साथ याद आ गयी उसे वह नागिन।

‘‘क्या बकवास कहानियां होती थीं पुराने समय मेें। कोई आदमी किसी नाग को मार देता था, फिर नागिन उससे बदला लेती थी।’’ अपनी बात पर वह खुद ही हो हो करके हंसने लगा। नशा उसके ऊपर हावी हो रहा था।

अचाानक उसकी हंसी पर ब्रेक लग गया। क्योंकि खिड़की पर वही नागिन नजर आ रही थी, फन उठाकर इधर उधर झूमती हुई।

सुखराम ने दो तीन बार सर झटका और घूर घूरकर खिड़की की तरफ देखने लगा। नागिन लगातार झूमे जा रही थी।

‘‘लगता है मेरे को नशा ज्यादा हो गया है। ये ससुरी हर जगह दिखाई पड़ रही है।’’
लेकिन फिर उसका नशा हिरन हो गया। क्योंकि नागिन अब खिड़की से उतरकर उसी की तरफ आ रही थी। वह उछलकर खड़ा हो गया और शराब की बोतल हाथ में थाम ली नागिन को मारने के लिए। हालांकि उसका हाथ बुरी तरह कांप रहा था।

नागिन ने उसके ऊपर झपट्टा मारा। उसने बोतल से अपना बचाव करना चाहा। लेकिन नागिन उससे ज्यादा फुर्तीली थी। बोतल का वार बचाते हुए उसने उसकी कलाई में दाँत गाड़ दिये।

सुखराम ने देखा अपना जहर उगलने के बाद वह उसी खिड़की से वापस जा रही थी।
खौफ से कांपते हुए उसने जल्दी से मोबाइल उठाया और शुक्ला का नंबर मिला दिया।

‘‘हैलो!’’ दूसरी तरफ से शुक्ला की नींद भरी आवाज आयी। शायद वह सो गया था।
‘‘शुक्ला, मैं मर रहा हूँ। वही नागिन....।’’

‘‘क्या?’’ शुक्ला के चौंकने की आवाज आयी।
‘‘उसने मुझे काट लिया है। मेरे को लगता है उसमें उसी लड़की की आत्मा समा गयी है और हमसे बदला ले रही है।’’

‘‘बेकार की बातें मत करो। मैं आ रहा हूं तुम्हारे पास।’’
‘‘कोई फायदा नहीं। अब मेरा अंत आ गया है।’’ बेहोश होने से पहले उसने अंतिम वाक्य कहा और फिर उसके हाथ से फोन छूट गया।

स्पीकर से अभी भी शुक्ला की हैलो हैलो की आवाज आ रही थी।
*****
(कल पढ़ें इस कहानी का अन्तिम भाग )

2 comments:

Kokila gupta said...

waiting ...

zeashan haider zaidi said...

kahani men interest lene ke liye dhanywad Kokila Ji.