Saturday, November 7, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 51

‘‘अभी तक वैज्ञानिक इसका कारण नहीं ढूंढ पाये हैं कि किस वायरस से जुकाम होता है।’’ प्रोफेसर ने जवाब दिया।
‘‘कैंसर का इलाज क्या है?’’
‘‘यह लाइलाज है फिलहाल।’’

‘‘अगर दूर की नजर कमजोर है तो कौन सी दवा से यह सही हो सकती है?’’
‘‘अभी तक ऐसी कोई दवा नहीं बनी। एक आपरेशन है लेकिन उसमें अंधे होने के चांस ज्यादा हैं।’’
‘‘क्या मरे हुए मेंढक को जीवित किया जा सकता है?’’

‘‘वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं’’
‘‘क्या ऐसा रिवाल्वर बन गया है जिसमें से ऐसी गोली निकलती हो जो किसी मरीज के लगते ही उसे भला चंगा बना देती है?’’
‘‘ऐसा मैंने किसी किताब में नहीं पढ़ा।’’

‘‘कोई ऐसी विधि विकसित की गयी है जिसको प्रयोग करने पर आम की गुठली बोने पर एक दिन के अन्दर वह फल देने लगे?’’
‘‘पुराने जमाने के जादूगर यह चमत्कार करते थे। लेकिन तुम यह सब क्यों पूछ रहे हो?’’ प्रोफेसर ने परेशान होकर पूछा।

‘‘तो यह है तुम्हारा विज्ञान । जिसमें आजतक एक भी ढंग का कार्य नहीं हुआ है। अब मैं बताता हूं कि विज्ञान ने कौन कौन से आविष्कार किये हैं।’’ रामसिंह बोला।
‘‘कौन कौन से आविष्कार? भला तुम क्या जानो?’’

‘‘मैंने भी थोड़ी बहुत किताबे पढ़ी हैं। विज्ञान ने ऐसे बम बनाये है जिनसे पूरा देश पल भर में नष्ट हो जाये। विज्ञान की सहायता से बिना बाप के बच्चे पैदा किये जा सकते हैं। नये मीडिया से किसी की भी प्राईवेसी भंग की जा सकती है। लोगों की पहचान अब शराफत से नहीं बल्कि डी-एन-ए कोड से होती है। अब लोग पड़ोसी से कम और कम्प्यूटर से ज्यादा बात करते हैं। यह है तुम्हारे विज्ञान की तरक्की।’’

‘‘बस बस। मुझे विश्वास हो गया कि तुम चुपके चुपके कहीं पी-एच-डी- कर रहे हो। अब यह सोचो कि शमशेर सिंह को कैसे पड़ोसी कबीले से छुड़ाया जाये।’’

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