Friday, September 12, 2014

जिस्म खोने के बाद : कहानी (भाग - 2)

मिस रीटा की हत्या की तफ्तीश चल ही रही थी कि उसी षहर में ताबड़तोड़ चार हत्याएँ और हो गई। चारों में वही तरीका अपनाया गया जो मिस रीटा की हत्या में था। अर्थात सभी की गर्दन करंट के तीव्र झटके के कारण झुलस गई थी।

चारों ही हस्तियाँ अपने अपने क्षेत्र में मशहूर थीं।

उनमें से दो साइंटिस्ट थे और अमेरिका की एक परमाणु वेधशाला में कार्यरत थे। तीसरा व्यक्ति लारेटो एक मशहूर वकील था जबकि चौथी एक महिला थी। रोजलीना नाम था और एक सामाजिक संस्था चलाती थी।

ये चारों भी हालीवुड के निवासी थे। वहांँ की तेज़ तर्रार पुलिस इन हत्याओं का सुराग पाने के लिये एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही थी लेकिन अभी तक कामयाबी का दूर दूर तक पता नहीं था। आखिरकार थक हार कर पुलिस ने केस सी.आई.ए. की स्पेशल ब्रांन्च के सुपुर्द कर दिया। और उस स्पेशल ब्रांन्च ने केस का चार्ज तेज तर्रार डिटेक्टिव जेम्स बेकर को सौंप दिया।

जेम्स बेकर एक पुलिस इंस्पेक्टर के साथ लाशों का निरीक्षण करने पहुँचा जो मुर्दाघर में रखी हुई थी।

‘‘सभी की गर्दनों पर एक जैसा झुलसने का निशान हैै।" लाशों को देखते हुये वह बड़बड़ाया।
‘‘हाँ। और सब की मौत करंट के झटके से हुई है।’’ इंस्पेक्टर ने कहा।
‘‘लेकिन पांचों की एक ही तरह की मौत। आखिर इनमें किसकी दुष्मनी थी जो वह इन सभी को बिजली का झटका देकर गायब हो गया। और फिर कत्ल करने के आसान तरीकों को छोड़कर उसने ये मुश्किल तरीका क्यों अपनाया ?" मस्तिष्क में  उमड़ रहे प्रश्नों को बेकर ने ज़बान दी।

‘‘यही गुत्थी तो कोई भी सुलझा नहीं पा रहा है। और फिर वारदात के बाद मुजरिम ने अपना कोई निशान तक नहीं छोड़ा। कमरे में उसके आने के खुशबू तक नहीं मिल सकी।"
‘‘तुम ठीक कहते हो। एक बात और ध्यान देने वाली है।’’

‘‘वह क्या ?’’ इंस्पेक्टर ने चौंक कर पूछा।
ये जो पाँच मर्डर हुये हैं। उनमें से तीन पूरी तरह बन्द कमरे में हुये हैं। जहाँ कोई खिड़की या दरवाज़ा खुला नहीं पाया गया। सवाल यह पैदा होता है कि फिर मुजरिम अन्दर कैसे घुसा? और अगर पहले से अन्दर था तो फिर बाहर कैसे निकला ?’’ बेकर के स्वर में उलझन थी।

‘‘बेकर साहब, कहीं यह भूत प्रेतों का तो चक्कर नहीं है ?’’
‘‘बकवास। मैं इन सब बातों को नहीं मानता। कोई न कोई इसमें राज़ ज़रूर हैै।" वह उठकर टहलने लगा, "पाँच हत्याएँ और सभी की गर्दन पर करंट से झुलसने का निषान। मेरा ख्याल है एक जगह है जहाँ से मुझे सुराग मिल सकता है।"
‘‘कौन सी जगह ?’’ इन्स्पेक्टर ने पूछा।

‘‘साइंटिस्ट मि. रोनाल्डो की लैबोरेट्री।’’ कहते हुये वह तेज़ी से बाहर निकल गया।
-----

"आपकी यह मशीन क्या पिछला रिकार्ड भी बता सकती है?" बेकर ने पूछा। 
‘‘पिछले रिकार्ड से क्या मतलब है बेकर?’’ रोनाल्डो ने पूछा।

मतलब ये कि मैं पिछले दो तीन दिन से वायूमंडल में फैली विद्युत तरंगों को देखना चाहता हूँ, वह भी एक खास जगह की, क्या यह संभव है ?’’

‘‘हण्ड्रेड परसेन्ट पासिबिल है मि0 बेकर। आप किस जगह का वायुमण्डल देखना चाहतें है?’’
‘‘हालीवुड का।’’

रोनाल्डो अपनी मशीन को सेट करने लगा।

‘‘अब तुम ध्यान देना। हालीवुड का पिछले दो तीन दिन का वायुमण्डल स्क्रीन पर आने वाला है।’’
जल्दी ही स्क्रीन पर विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी लकींरे दिखने लगीं।

‘‘यह सब विद्युत तरंगे हैं। ... यह क्या है ?’’ रोनाल्डो ने चौक कर कहा।

बेकर ने भी देखा। स्क्रीन पर एक बहुत ही मोटी पट्टी बन रही थी जिसने लगभग आधी स्क्रीन ढक ली थी। उस पट्टी के दोंनो किनारे आरी की तरह दाँतेदार थे।

‘‘मेरा ख्याल है यह पट्टी किसी विद्युत तंरग की नहीं हो सकती।’’ बेकर ने अनुमान प्रकट किया।
‘‘लेकिन मशीन कुछ और कह रही है। ये स्क्रीन पर जो तुम डाटा देख रहे हो इसके अनुसार यह एक बहुत ही शक्तिशाली विद्युत तरंग है।’’

क्या इतनी शक्तिशाली, कि किसी को मार भी सकती है यह?’’
‘‘शायद हाँं।’’
‘‘फिर तो हमें इसके स्त्रोत का पता लगाकर इसे रोकना पड़ेगा। वरना यह किसी के लिये भी खतरनाक हो सकती है।’’

‘‘तुम ठीक कहते हो। कोशिश करता हूँ पता लगाने की कि यह कहाँ से पैदा हो रही है।’’ कहते हुये रोनाल्डो मशीन के की बोर्ड से खेलने लगा। बेकर खामोशी से उसकी ओर देखा रहा था। लगभग पाँच मिनट बाद रोनाल्डो बोला, 
‘‘हुम्म, तो यह है इसका स्त्रोत।’’

‘‘क्या पता चला ?’’
‘‘यह शक्तिशाली विद्युत तरंगें ब्राजील में आमेजन नदी के किनारे एक अज्ञात जगह से उत्पन्न हो रहीं हैं। जहाँ तक मेरा ख्याल है वह इलाका पूरी तरह निर्जन है।’’
-----
… कल अन्तिम भाग पढ़ें।

No comments: