Monday, July 8, 2013

मायावी गिनतियाँ : भाग 1

'टन टन टन! स्कूल की घण्टी तीन बार बजी और रामू को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके दिल पर किसी ने तीन बार हथौड़े से वार कर दिया। चौथा पीरियड शुरू हो गया था और ये पीरियड उसे किसी राक्षस के भोजन की तरह लगता था। किसी तरह खत्म ही नहीं होता था। उसे गणित और गणित के अग्रवाल सर दोनों से चिढ़ थी। और चौथा पीरियड उन्हीं का होता था।
उसने अपने मन को उम्मीद बंधाई कि शायद आज अग्रवाल सर न आये हों। किसी एक्सीडेन्ट में उनकी टांग टूट गयी हो। आजकल के ट्रेफिक का कोई भरोसा तो है नहीं।
लेकिन ट्रेफिक वाकई भरोसेमन्द नहीं है। क्योंकि अग्रवाल सर अपनी दोनों टांगों की पूरी मजबूती के साथ क्लास में दाखिल हो रहे थे। चेहरे पर चढ़ा मोटा चश्मा उन्हें और खुंखार बना रहा था।
आने के साथ ही उन्होंने बोर्ड पर दो रेखाएं खींच दीं और एक लड़के को खड़ा किया, ''अनिल, तुम बताओ ये क्या है?
अनिल खड़ा हुआ, ''सर, ये दो समान्तर रेखायें हैं।
''शाबाश। बैठ जाओ। गगन, तुम समान्तर रेखाओं की कोई एक विशेषता बताओ।
''सर, समान्तर रेखाएं आपस में कभी नहीं मिलतीं। गगन ने तुरन्त जवाब दिया। उसकी गणित का लोहा तो अच्छे अच्छे मानते थे।
''गुड। तुम भी बैठ जाओ। रामकुमार, अब तुम खड़े हो।
''लो, आ गयी शामत।" किसी तरह उसने अपनी टांगों पर जोर दिया। पूरी क्लास का सर उसकी तरफ घूम गया था।
''बताओ, समान्तर रेखाएं आपस में क्यों नहीं मिलतीं ?" अग्रवाल सर ने सवाल जड़ा और उसका दिमाग घूम गया। उन दोनों से तो इतने आसान सवाल और मुझसे इतना टेढ़ा।
''सर, रेखाएं स्त्रीलिंग होती हैं। और सित्रयों की विशेषता यही होती है कि वो ससुरी आपस में मिल बैठकर नहीं रह सकतीं। आखिरकार उसे एक धांसू जवाब सूझ ही गया।
दूसरे ही पल पूरी क्लास में एक ठहाका पड़ा और वह बौखला कर चारों तरफ देखने लगा। क्या उसके मुंह से कुछ गलत निकल गया था?
''अबे घोंघाबसंत की औलाद, पूरी दुनिया सुधर जायेगी लेकिन तू नहीं सुधरेगा । चल इधर किनारे आ। दूसरे ही पल उसका कान अग्रवाल सर की मुटठी में था। किनारे पहुंचकर पहले तो उस खड़ूस ने दो तीन थप्पड़ जमाये फिर मुर्गा बन जाने का आर्डर दे दिया।
-------
सड़क पर पैडिल मारते हुए रामकुमार उर्फ रामू आज कुछ ज्यादा ही विचलित था। उसे एहसास हो गया था कि गणित जीवन भर उसके पल्ले नहीं पड़ेगी। और गणित के बिना जीवन ही बेकार था। यही सबक रोज उसके माँ बाप और टीचर्स दिया करते थे।
सो उसने अपना जीवन समाप्त करने का निश्चय किया। उसके रास्ते में एक छोटा सा जंगल पड़ता था। उसके अंदर एक गहरा तालाब है, ये भी उसे पता था। उसने अपनी साइकिल सड़क से नीचे उतार दी। अब वह उस गहरे तालाब की ओर जा रहा था। चूंकि उसने तैरना सीखा नहीं था, इसलिए वह आसानी से डूबकर मर जायेगा यही विचार आया उसके मन में।
जल्दी ही उसकी साइकिल तालाब के किनारे पहुंच गयी। उसने स्पीड तेज कर दी। वह साइकिल के साथ ही पानी में घुस जाना चाहता था।
.................continued

1 comment:

PD said...

अच्छा हुआ जो देर से आया.. अब एक ही बार में सारे अंक पढने को मिलेगा.. :)