Friday, December 4, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 69


‘‘रामसिंह तो उस लड़की के पीछे पागल हो रहा है। आज फिर सुबह से उसके साथ बैठा है। मुझे डर है कि जंगली जानवर उसपर हमला न कर दें। क्योंकि वह स्थान एकदम सुनसान है।’’
‘‘मैं उसी के इलाज के लिए यह आविष्कार कर रहा हूं।’’
‘‘कैसा आविष्कार?’’

‘‘मैं एक ऐसा अर्क बनाने जा रहा हूं जिसे पीने के बाद उसके सिर से इश्क का भूत उतर जायेगा।’’
‘‘क्या ऐसा संभव है?’’
‘‘बिल्कुल। मैंने किताबों में पढ़ा है कि अगर किसी व्यक्ति को दूसरे काम में व्यस्त कर दिया जाये तो वह पहला काम भूल जाता है। इसी सिद्धान्त का उपयोग मैं अपने आविष्कार में करूंगा।’’

‘‘भला इस सिद्धान्त का तुम्हारे अर्क से क्या सम्बन्ध ?’’
‘‘सम्बन्ध इस प्रकार है कि इस अर्क को पीने के बाद रामसिंह पर हवा में उड़ने का भूत सवार हो जायेगा इसलिए वह अपने लिए पंख के निर्माण में लग जायेगा। इस चक्कर में वह अपने इश्क के भूत को पूरी तरह भूल जायेगा।’’

‘‘लेकिन वह हवा में उड़ेगा किस प्रकार?’’
‘‘उड़ने की क्या आवश्यकता है। कुछ दिनों बाद जब अर्क का प्रभाव समाप्त हो जायेगा तो वह नार्मल हो जायेगा। फिर उसके दिमाग में न तो इश्क का भूत रह जायेगा और न हवा में उड़ना याद रह जायेगा।’’

‘‘ठीक है। तो फिर जल्दी से अपने अर्क का आविष्कार करो। इससे पहले कि हालात सीरियस हो जायें हमें उसे इसका डोज दे देना है।’’
‘‘तुमने अंग्रेजी कब सीख ली? सीरियस और डोज तो काफी कठिन शब्द हैं।’’ प्रोफेसर ने आश्चर्य से उसे घूरा।

‘‘एक किताब में पढ़े थे। तुम्हारी मेज पर पड़ी थी। मैं उसे अपने घर उठा लाया था।’’
‘‘कौन सी किताब? क्या नाम था उसका?’’ प्रोफेसर ने चौंक कर पूछा।

‘‘उसका नाम था, जानवरों के डाक्टर कैसे बनें।’’ शमशेर सिंह ने बताया।
‘‘अब कहां है वह किताब?’’ प्रोफेसर ने पत्ती पीसना रोक कर पूछा।

‘‘एक दिन लकड़ी गीली होने के कारण चूल्हा नहीं जल रहा था। मैंने उस किताब का उपयोग कर लिया।’’
‘‘मर गये।’’ प्रोफेसर सर पकड़कर बैठ गया, ‘‘उस किताब में कुछ प्राचीन हकीमी नुस्खे लिखे थे।’’

‘‘तो इसमें चिन्ता की क्या बात है। बाजार से दूसरी खरीद लेना।’’
‘‘ऐसी किताबें बाजार में नहीं मिलतीं। बड़ी मुश्किल से कबाड़ मार्केट से खरीदी थी।’’ 

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