Wednesday, July 29, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 18

कंपनी द्वारा दिये गये काले सूटों में तीनों काफी स्मार्ट लग रहे थे। लांग बूट और हैट ने तीनों को पूरी तरह काऊ ब्वाय बना दिया था। वे लोग इस समय जीप से कांगो के उस स्पॉट की तरफ जा रहे थे जहां कंपनी का रेस्ट हाउस था। ड्राइवर कोई लोकल काला आदमी था और या तो गूंगा था या उनकी भाषा नहीं समझता था। क्योंकि जब से कंपनी के चेयरमैन ने तीनों को उसमें सवार किया था, वह एक शब्द भी नहीं बोला था।

लगभग दो घंटे की यात्रा के बाद उसने एक जगह झटके के साथ जीप रोक दी।
‘‘इसके आगे एक किलोमीटर तुम लोगों को पैदल चलना पड़ेगा, फिर रेस्ट हाउस मिल जायेगा।’’ ड्राइवर ने कहा।
‘‘ऐं, ये तो बोल रहा है। मैंने तो इसे गूंगा समझा था।’’ प्रोफेसर ने हैरत से कहा।

‘‘हमें जीप से ले चलो न वहां तक।’’ रामसिंह बोला।
‘‘यहां से आगे जीप चलाने का रास्ता नहीं है।’’ उन्होंने सामने देखा, वाकई घने पेड़ों और पहाड़ियों ने रास्ता पूरी तरह बन्द कर रखा था।
वे तीनों नीचे उतर गये। ड्राइवर ने जीप बैक की और इससे पहले वे कुछ और पूछते वह दूर निकल चुका था।

‘‘चलो दोस्तों अब तो पैदल ही सफर करना है।’’ प्रोफेसर ने ठंडी साँस लेकर कहा। फिर वे पेड़ों के बीच दाखिल हो गये।

‘‘प्रोफेसर, यह प्लेटिनम क्या होता है?’’ शमशेर सिंह ने पूछा। उसे अभी तक समझ में नहीं आया था कि वे लोग किस वस्तु की खोज में जा रहे हैं।
‘‘प्लेटिनम एक कीमती धातु होती है जिसे पिघलाकर हीरे बनाये जाते हैं।’’ प्रोफेसर ने बताया।

‘‘ओह! अब मैं समझा कि हीरे इतने कीमती क्यों होते हैं। रामसिंह, मैं एक बात सोच रहा हूं।’’
‘‘कैसी बात?’’

‘‘मैं यह सोच रहा हूं कि यदि हमें प्लेटिनम मिल गया तो हम उसके बारे में उन लोगों को नहीं बतायेंगे बल्कि स्वयं ही पिघला पिघला कर हीरे बनायेंगे और फिर बेच बेचकर पैसे कमाएंगे।’’ शमशेर सिंह ने अपनी योजना बताई।

‘‘योजना तो अच्छी है। क्यों प्रोफेसर?’’ रामसिंह ने प्रोफेसर की ओर देखा।

‘‘मुझे कन्फ्यूजन हो रहा है।’’ प्रोफेसर ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘पता नहीं किताब में क्या लिखा था। शायद प्लेटिनम से हीरे नहीं बल्कि एटम बम बनाया जाता है।’’

‘‘ऐसा करना कि जब प्लेटिनम मिले तो उसे पिघलाकर देख लेना। यदि हीरा बन गया तो हम उसे रख लेंगे और यदि एटम बम बना तो कम्पनी को दे देंगे।’’ शमशेर सिंह ने सुझाया।

2 comments:

Arvind Mishra said...

गति पकड़ रही है कहानी !

seema gupta said...

हा हा हा हीरे का लालच ना गया रोचक...

regards