Friday, July 24, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 15

थोड़ी देर उध्ड़ोबुन में रहने के बाद उसने लाल स्विच पर उंगली रख दी। अगले ही पल परखनली नुमा रचना से कोई चीज उछलकर उसकी खोपड़ी से टकरायी और उसके पूरे सूट पर पीले रंग का कोई तरल बहने लगा। वह भौंचक्का होकर बहते हुए तरल को देखने लगा जो वास्तव में सड़े अंडों का जूस था।

अंदर कहीं घंटी बजने की आवाज सुनाई दी और थोड़ी देर बाद एक सज्जन अंदर से दौड़ते हुए निकले। जिनकी नाक पर भारी फ्रेम का धूप का चश्मा लटक रहा था। मि0 शोरी समझ गये कि यही प्रोफेसर डेव हैं।

देवीसिंह शोरी को देखकर ठिठक गया जो अपने चेहरे पर बहते अंडों के जूस को रूमाल से साफ कर रहा था।
‘‘आपने गलती से गलत घंटी बजा दी। वह घंटी वास्तव में चोरों के लिए है।’’ प्रोफेसर ने शोरी को देखकर कहा।
‘‘मैं कुछ समझा नहीं।’’ शोरी ने कुछ न समझते हुए कहा।

‘‘जी हां। मैंने दो घंटियां लगवा रखी हैं। बात यह है कि इस मोहल्ले में चोरियां बहुत होती हैं। इसलिए मैंने एक सिस्टम का आविष्कार किया। जैसे ही कोई चोर मेरे घर में घुसने के लिए लाल रंग की घंटी बजायेगा, तुरंत उसके ऊपर अंडों की बौछार होगी और साथ ही मुझे भी पता चल जायेगा कि कोई चोर मेरे घर में घुसने की कोशिश कर रहा है।’’
‘‘लेकिन कोई शरीफ व्यक्ति भी तो उस घण्टी को बजा सकता है?’’

‘‘उनके लिए तो मैंने नीले रंग की घंटी लगवा रखी है। फिर भला वे चोरों वाली घंटी क्यों बजाने लगे?’’ प्रोफेसर ने सवाल किया।
‘‘किन्तु इस समय तो मैं ही गलत घण्टी का स्विच दबा बैठा। और मैं शरीफ भी हूं।’’ शोरी ने कहा।

‘‘आपने तो मेरा बनाया नियम तोड़ दिया, फिर आप--- खैर छोड़िए। आप शायद मुझसे मिलने आये हैं। अत: अंदर आ जाईए।’’

प्रोफेसर के पीछे पीछे शोरी अंदर आया।
‘‘हां। अब बताईए।’’ प्रोफेसर ने शोरी को सोफे पर बैठने का संकेत किया।

‘‘मैं एक ऐसी कम्पनी का डायरेक्टर हूं जो देश के कोने कोने में छुपे वैज्ञानिकों को ढूंढती है और उन्हें रिसर्च के लिए सहायता देती है। हमें मालूम हुआ था कि यहां भी एक महान वैज्ञानिक का निवास है। आखिरकार वह महान वैज्ञानिक अर्थात आप मुझे मिल गये।’’

‘‘ओह! थैंक्यू थैंक्यू। तो आप हमारी सहायता के लिए आये हैं।’’

‘‘जी हां। हमारी कंपनी के पास एक रिसर्च वर्क है। जिसे करने के लिए हमें एक महान वैज्ञानिक चाहिए। आशा है उस रिसर्च वर्क को आप स्वीकार करके हमें कृतार्थ करेंगे।’’

4 comments:

Arvind Mishra said...

hoon ! ab aage badhiye !

seema gupta said...

"बेहद रोचक"

regards

संगीता पुरी said...

रचना अच्‍छी लगी .. पर समझ में नहीं आया .. पुराना एपीसोड पढना पडेगा !!

अभिषेक मिश्र said...

Team taiyar ho gai !