Monday, July 13, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 10

‘‘मैं जल्दी से वहां बनी एक झोंपड़ी के अन्दर पहुंचा और दरवाजा बन्द कर लिया।’’
‘‘फिर क्या हुआ?’’ इंटरव्यू कमेटी के दूसरे सदस्य ने पूछा।

‘‘फिर मैं घुटनों में सर देकर वहीं भूमि पर बैठ गया। और उसके बाद मुझे कुछ होश नहीं रहा। सुबह तब होश आया जब एक मोटे तगड़े व्यक्ति ने मुझे झिंझोड़कर जगाया। मालूम हुआ कि वह उस बगीचे का चौकीदार था, और उसी झोंपड़ी में रहता था।’’

‘‘बगीचा? लेकिन तुमने तो पहले जंगल कहा था?’’ लाल टाई वाले ने पूछा।
‘‘जी हां। बाद में मुझे मालूम हुआ कि वह वहां के करोड़पति सेठ मूलचन्द का विशाल बगीचा था और वह खरगोश भी पालतू थे। इस कारण मुझे बाद में काफी जुर्माना भी भरना पड़ा था।’’ कहते हुए शमशेर सिंह का चेहरा किसी उल्लू की तरह उदास हो गया।

‘‘जब तुमने सारी रात किसी बगीचे में बिताई तो यह साहसपूर्ण कारनामा कैसे हुआ?’’ चेयरमैन ने पूछा।
‘‘रात भर तो मैं उसे जंगल ही समझता रहा। बगीचे का पता तो सुबह चला।’’ शमशेर सिंह ने तर्क दिया।

‘‘चलो ठीक है। यह बताओ क्या तुम अंग्रेजी में बात कर सकते हो?’’ नीले स्वेटर वाले ने पहली बार अपना मुंह खोला।
‘‘यस यस। वाई नहीं।’’
‘‘व्हाट इस द नेम ऑफ कैपिटल ऑफ इंडिया?’’
‘‘द कैपिटल ऑफ इंडिया नेम इस भारत।’’ शमशेर सिंह ने जवाब दिया।
‘‘और दिल्ली किसकी राजधानी है?’’ चेयरमैन ने पूछा।
‘‘जी, वह भारत की राजधानी है।’’

‘‘अच्छा, एक इतिहास का सवाल बताओ। विश्व की सबसे लम्बी लड़ाई किसके बीच हुई और कितने दिन चली?’’
‘‘मेरे विचार में सबसे लम्बी लड़ाई मेरे मुहल्ले की रामकली और उसकी सास के बीच हुई थी, जब उसका पति हवालात में मुर्गी चुराने के आरोप में बन्द था। पूरे दो दिन चली थी यह लड़ाई।’’

‘‘मेरा मतलब हथियारों द्वारा लड़ाई से है।’’
‘‘वह लड़ाई भी बावर्ची खाने के बर्तनों और बेलन पटरों से लड़ी गई थी। एक भी बर्तन साबुत नहीं बचा था।’’

फिर वहां कुछ देर सन्नाटा छाया रहा, उसके बाद चेयरमैन बोला, ‘‘ठीक है मि0 शमशेर सिंह, आपका इंटरव्यू पूरा हो गया। अब आप जा सकते हैं।’’

‘‘ओ0के0 बहुत बहुत ध्न्यवाद।’’ शमशेर सिंह कुर्सी से उठते हुए बोला।

शमशेर सिंह के जाने के बाद चेयरमैन ने घण्टी बजाई और चपरासी अप्दर आया।
‘‘अभी कितने लोग बाकी हैं?’’ चेयरमैन ने पूछा।
‘‘जी, दो लोग और बचे हैं।’’
‘‘ठीक है। अगले को आधे घण्टे के बाद भेजना। अब कुछ नाश्ते का प्रबंध् करो।’’
चपरासी सर हिलाकर वापस चला गया।

‘‘तो मि0 शमशेर सिंह के बारे में आप लोगों का क्या विचार है?’’ चेयरमैन ने बाकी सदस्यों से पूछा।
‘‘मुझे लगता है किसी गधे ने मनुष्य रूप में जन्म ले लिया है।’’ लाल टाई वाले ने कहा।
‘‘लेकिन गधे बहुत तगड़ी दुलत्ती मारते हैं।’’ चेयरमैन ने कहा और बाकी सदस्य उसका मुंह देखने लगे। किसी की समझ में उसकी बात नहीं आयी थी। चेयरमैन ने आगे कहा, ‘‘अगर हम अपने उद्देश्य को ध्यान में रखें तो हमें ऐसे ही व्यक्तियों को आवश्यक्ता है। जो डील डौल में तो अच्छे हों लेकिन ऊपरी खाना खाली हो।’’

चपरासी वेटर के साथ दाखिल हुआ जो जलपान का सामान लाया था। चेयरमैन ने उसे संबोधित किया, ‘‘मि0 शमशेर सिंह को रोक लेना। दो घण्टे के बाद उनका फिर से इंटरव्यू होगा।’’

4 comments:

admin said...

इंटरव्‍यू के लिए शमशेर सिंह को बहुत बहुत बधाई।

ह ह हा।

Arvind Mishra said...

तो कहानी अभी चरित्र चित्रण पर ही ठहरी हुयी है -ब्रेक लीजिये

Gyan Dutt Pandey said...

शमशेर का आई-क्यू कितना है!?

अभिषेक मिश्र said...

Interview ka ek round aur !