Sunday, March 29, 2009

दंगाई बंजारे (2)

इं यशवंत ने अपने सहयोगी के रूप में सब इं-कौड़िया को लिया था। जो स्वयं कौंध जनजाति का था। इं-यशवंत ने उसे जानबूझकर लिया था ताकि वह कौंध के शांतिप्रिय लोगों से मिलकर आसानी से अपनी तफ्तीश बढ़ा सके।
जब वह अपनी तैयारी पूरी कर चुका तो उसी समय कमिश्नर ने वहां प्रवेश् किया। उसके साथ एक व्यक्ति और था।
‘‘इं- यशवंत , इनसे मिलो। ये हैं डा0 शशिकांत। यहां की सरकारी मोल्क्यूलर रिसर्च लैब में साइंटिस्ट। जब इन्होंने सुना कि हमने एक दंगाई को पकड़ा है तो उसकी जाच के लिए इन्होंने स्वयं अपने को आफर किया है।’’
‘‘यह सब्जेक्ट मेरे लिए काफी इंटरेस्टिंग है।’’ डा0 शशिकांत ने कहा, ‘‘इससे पहले कि आप किसी और से कहते, मैंने सोचा क्यों न ये मौका खुद ही हथिया लिया जाये।’’
‘‘वेरी गुड।’’ इं- यशवंत ने कहा, ‘‘फिर तो हमारी मेहनत बच गयी एक अच्छे साइंटिस्ट को ढूंढ़ने की।’’
‘‘मैं फौरन अपना काम शुरू कर देना चाहता हूं।’’ डा0 शशिकांत ने कमिश्नर की ओर देखा।
‘‘ठीक है। आप अपना काम करिए। मैं जंगल जाकर अपना काम शुरू करता हूं।’’ इं- यशवंत ने उससे हाथ मिलाया और फिर बाहर की ओर बढ़ा। उसके साथ सब इं- कौड़िया भी था।
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दोनों को जंगलों के बीच भटकते काफी देर हो गयी थी।
‘‘मि0 कौड़िया, आपको पता है कि हमारा टार्गेट क्या है??’’
‘‘कौंध जाति का कोई ऐसा कबीला जो हमारी मदद कर सके।’’ इं- कौड़िया ने जवाब दिया।
‘‘सो तो है। लेकिन हमें उस देवी की तलाश् है, जिसका उस कैदी ने उल्लेख किया था।’’
‘‘मेरे ख्याल में तो ऐसी कोई जीवित देवी नहीं है। हम तो देवी धरनी की मूर्तियां बनाकर पूजा करते हैं।’’
‘‘हो सकता है अब वह देवी जीवित हो गयी हो।’’ इस तरह बातचीत करते हुए वे एक कबीले में पहुंच गये। सुबह का समय था। कबीले की औरतें चूल्हे जला रही थीं जबकि मर्द काम पर जाने की तैयारी कर रहे थे। इन दोनों को सबने अचरज से देखा, क्योंकि बाहरी लोग वहां कम ही आते थे।
‘‘मुझे यहां के मुखिया से मिलना है। किधर है वो??’’ कौड़िया ने उनकी भाषा में पूछा। दूर चौखट पर बैठा एक लम्बा तगड़ा व्यक्ति उठकर उनकी तरफ आया।
‘‘मैं हूं मुखिया। क्या बात है??’’ उसने पूछा।
‘‘हमें अपनी देवी का पता बताओ। जो तुम लोगों को शक्ति प्रदान करती है।’’ जब कौड़िया ने इं-यशवंत की बात मुखिया तक पहुंचायी तो वह खामोश् हो गया।
‘‘हम नहीं बता सकते।’’ थोड़ी देर बाद उसने जवाब दिया।
‘‘क्यो??’’
‘‘देवी नाराज हो जायेगी।’’
‘‘क्या इस कबीले के लोगों को भी उसने शक्ति दी है??’’ इं यशवंत ने सवाल बदल दिया।
‘‘हां। दो युवकों को।’’ मुखिया ने फिर संक्षिप्त उत्तर दिया।
‘‘किधर हैं वो लोग??’’
‘‘वो देवी की सेना में शामिल हो गये।’’
‘‘देवी की सेना?’’
जवाब में मुखिया ने बताया कि अद्भुत शक्ति प्राप्त करने के बाद वे जवान गहरे जंगल में किसी अज्ञात स्थान पर रहने लगते हैं। वह स्थान, जो देवी का निवास है। फिर देवी के आदेश् पर वे जंगल से बाहर निकलकर लड़ाई करते हैं। फिर वापस हो जाते हैं।
इं यश्वन्त और कौड़िया ने एक दूसरे की तरफ देखा
‘‘इसका मतलब वो देवी नहीं, कोई बुरी आत्मा है जो लोगों को आपस में लड़ा रही है।’’
जब मुखिया तक यह बात पहुंची तो वह थर थर काँपने लगा। फिर बोला, ‘‘चुप हो जाओ तुम लोग। वरना देवी का कहर टूट पड़ेगा तुम्हारे ऊपर भी और हमारे ऊपर भी। भाग जाओ यहाँ से।’’
उसने आगे कहा, ‘‘और हम देवी का पूरा समर्थन करते हैं। वह बाहरी लोगों से लड़ रही है जो यहां आकर हमारा अस्तित्व खत्म कर रहे हैं।’’
अब तक मुखिया के आसपास काफी लोग इकट्‌ठा हो गये थे इसलिए इं- यश्वन्त ने यही तय किया कि चुपचाप वहां से हट जाये।
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जब इं-यश्वन्त कमिश्नर के पास पहुंचा तो कमिश्नर कहीं जाने के लिए तैयार हो रहा था।
‘‘मैं तुम्हारा ही इंतिजार कर रहा था इंस्पेक्टर। हमें फौरन चलना है।’’
‘‘कहां?’’
‘‘डा0 शशिकांत ने हमें अपनी लैब में बुलाया है। कुछ खास बताने के लिए।’’
जब दोनों डा0 शशिकांत की लैब में पहुंचे तो उसे इंतिजार करते हुए पाया।
‘‘मैंने उस व्यक्ति की कोशिकाओं के नमूने की जांच की और मुझे बहुत विस्मयकारी बातें पता चली हैं। आईए, मैं आपको दिखाता हूं।’’
वह उन्हें लेकर लैब के एक कमरे में पहुंचा जहां कम्प्यूटर तथा उससे अटैच्ड प्रोजेक्टर मौजूद था। उसने कम्प्यूटर और प्रोजक्टर चालू किया और सामने स्क्रीन पर कुछ स्लाइड्‌स दिखने लगीं।
‘‘ये पूरा मामला है इवोल्यूशन का। मैंने उस व्यक्ति की एक कोशिका की स्लाइड तैयार की है। देखिए।
स्क्रीन पर कोशिका का मैग्नीफाइड चित्र दिख रहा था। उसने उस चित्र को और बड़ा करना शुरू किया। अब कोशिका का एक एक भाग स्पष्ट दिख रहा था।
‘‘आप इसके माइटोकान्ड्रिया को गौर से देखें। माइटोकान्ड्रिया कोशिका का पावर प्लांट होता है। क्योंकि ये ए-टी-पी- नाम की केमिकल एनर्जी तैयार करता है। यह कोशिका के दूसरे भागों से ग्लूकोज और एन-ए-डी-एच- जैसे पदार्थों को लेकर आक्सीजन की उपस्थिति में ए-टी-पी- का निर्माण करता है। इस अभिक्रिया में एक इलेक्ट्रोन ट्रांसपोर्ट चेन का निर्माण होता है जो ए-टी-पी- तैयार करके समाप्त हो जाती है।
यह पूरी अभिक्रिया माइटोकान्ड्रिया में उपस्थित एक डी-एन-ए- कण्ट्रोल करता है।’’
स्क्रीन पर अब उस डी-एन-ए- का चित्र दिखाई पड़ रहा था।
‘‘सारी गड़बड़ की जड़ यही डी-एन-ए- है।’’
‘‘वह किस तरह??’’ कमिश्नर ने पूछा।
‘‘इस डी-एन-ए- में कुछ डिफेक्ट पैदा हो गया है। नतीजे में ए-टी-पी- बनने की प्रक्रिया बीच ही में छूट जाती है। और इलेक्ट्रोन ट्रांसपोर्ट चेन टूटकर इलेक्ट्रोन को मुक्त कर देती है। ये मुक्त इलेक्ट्रोन कोशिका की दीवार से बाहर आ जाते हैं।
इस तरह करोड़ों इलेक्ट्रोन शरीर के बाहरी हिस्से में इकट्‌ठा होकर एक इलेक्ट्रिक तनाव पैदा करने लग गये। नतीजे में वह व्यक्ति एक जीता जागता बिजलीघर बन गया।’’
‘‘ओ माई गॉड। लेकिन डी-एन-ए- में ऐसा परिवर्तन आया क्यो??’’ इं-यश्वन्त ने पूछा।
‘‘शायद इवोल्यूशन की वजह से। और यह इवोल्यूशन हुआ है प्रदूषण की वजह से। दरअसल कौंध जनजाति हमेशा जंगलों के बीच रही है। लेकिन अब उन जंगलों के बीच पहाड़ियों को काटकर बड़ी बड़ी फैक्ट्रियां लग रही हैं। खनिज निकालने के लिए बड़ी बड़ी मशीनें लगातार खुदाई कर रही हैं। जब मशीनों से पहाड़ियां कटती हैं तो धूल के साथ बहुत सी धातुएं इनके शरीरों में घुस रही हैं। जिससे इनके शरीर की बनावट गड़बड़ा रही है। और इस तरह की समस्या पैदा हो रही है।’’
‘‘ठीक है। ये बात तो समझ में आ गयी। लेकिन सवाल ये है कि फिर ये दूसरों पर हमले क्यों कर रहे हैं।’’
‘‘इनके जिस्म में दौड़ने वाली बिजली इनके मस्तिष्क पर भी असर डाल रही है। जिससे ये अत्यन्त उग्र व पागल हो रहे हैं। साथ ही इनके दिमाग में कहीं न कहीं बाहरी लोगों के लिए नफरत भी पनप रही है, जो इनके अस्तित्व के लिए खतरा बन रहे हैं।’’
‘‘और देवी वाली बात?’’
‘‘चूंकि ये बहुत ज्यादा धार्मिक होते हैं और रोज देवी की पूजा करते हैं। इसलिए पागलपन की दशा में वही देवी इनके दिमाग में छा जाती है।’’
‘‘इसका हल क्या होना चाहिए?’’
‘‘यही कि जहां जहां भी ये रहते हैं, वहां बाहरी लोगों के जाने से रोक लगा देनी चाहिए। कोई विकास कार्य, कोई हाई वे वहां न बने। खास तौर से उस कंपनी पर फौरन रोक लगनी चाहिए जो बाक्साइट की खुदाई करते हुए काफी अंदर तक पहुंच चुकी है।’’ डा0 शशिकांत ने कमिश्नर की तरफ देखा।
‘‘तुम ठीक कहते हो। जबसे उस कंपनी ने बाक्साइट की खुदाई शुरू की है, उसके बाद ही से फसाद भी शुरू हुए है।’’ कमिश्नर ने कहा।
‘‘हां। क्योंकि उस कंपनी के काम शुरू करने के बाद हवा में प्रदूषण एकाएक बहुत बढ़ गया और कौंध के लोगों में इवोल्यूशन होने लगा।’’
‘‘मुझे ये बात मुख्यमन्त्री और सरकार तक पहुंचानी होगी। मुझे नहीं लगता कि सरकार आसानी से वहां कंपनी को मना करेगी। लेकिन कौंध जनजाति का मामला भी गंभीर है।’’ कमिश्नर कुछ सोचने लगा।
-------continued

2 comments:

Reema said...

इसे यहाँ देखकर अच्छा लगा!एक बात (जो अब तक नही कही)- ये कहानी TV production में बहुत अच्छी लगेगी!

Arvind Mishra said...

रीमा जी की बात से सहमत ! ध्यान दें !