नताशा और वडाली की शादी हो चुकी थी। और शादी के बाद उन्हें आटे दाल का भाव भी मालूम हो गया था। मालूम भी क्यों न होता, नताशा को तो अरबपति रफीक मस्तान तलाक देकर अपनी सारी प्रापर्टी से बेदखल करके पाई पाई का मोहताज बना चुका था जबकि वडाली चूंकि उसी कंपनी में काम करता था सो बिना रसीदी टिकट बाहर होने के बाद अब चंदे की रसीद खरीदने के भी पैसे नहीं थे।‘‘मैं कहती हूं कोई बड़ा बैंक लूटने की कोशिश करो वरना गुज़ारा चलना मुश्किल है।’’ नताशा ने होंठों की लिपस्टिक सही करते हुए आठवीं बार ये जुमला सुनाया और बर्तन धोता हुआ वडाली झल्ला गया।
‘‘बैंक कोई मेरे फूफा का घर है जो मुंह उठाया और चले गये। तुम्हें पता है अब बैंकों में कितनी सिक्यिोरिटी होने लगी है। पता नहीं कहां से करमजली थुकहरी औरत मेरी किस्मत में आकर बैठ गयी।’’ जो मुंह कभी नताशा को डार्लिंग और स्वीटहार्ट कहते नहीं थकते थे आज उन ही से मूसलाधार जली कटी निकल रही थी।
‘‘अरे तो फिर गुज़ारा कैसे होगा? मेरा मेकअप बाक्स पूरा खाली हो चुका है।’’ नताशा सर पर हाथ धरे बैठी थी और सामने मेकअप बाॅक्स खुला हुआ रखा था।
‘‘दो दिन पहले पूरा सामान खरीदा था। आज खाली भी हो गया। ऐसे कैसे चलेगा।’’ वडाली ने ठंडी लंबी सी साँस ली और साथ ही अपने माथे पर एक चपत भी रसीद कर दी।
‘‘रहने दो डार्लिग अब मैं बिना मेकअप के ही रहूंगी। तुमको और परेशान नहीं करूंगी।’’ नताशा के लहजे में प्यार ज़रूर था लेकिन उस प्यार भरी आवाज़ को निकालने में नताशा ने जो दाँत पीसे थे उसकी आवाज़ बर्तनों की खड़खड़ाहट के बावजूद वडाली के कानों तक पहुंच गई।
‘‘अरे रे ऐसा जुल्म भी मत करना। अब क्या हार्ट अटैक पड़वाओगी बिना मेकअप की शक्ल दिखलाकर।’’ वडाली घबराकर बोला, ‘‘मैं कोशिश करता हूं। कहीं से फाईनेन्स का जुगाड़ करता हूं। काश कि तुम्हें रफीक मस्तान को मारने में कामयाबी मिल जाती तो आज हम ऐश कर रहे होते। लेकिन तुमसे एक काम भी ढंग का नहीं हुआ।’’ वह एक बार फिर बड़बड़ाने लगा। उसका यूं बड़बड़ाना अब नताशा से झेला नहीं जा रहा था लेकिन अब दोनों को एक दूसरे को झेलना मजबूरी बन चुका थी।
‘‘तुम मेरे ऊपर ब्लेम करना छोड़ो और बर्तन ढंग से साफ करो। सुबह नाश्ते में रात की सब्ज़ी की बू आ रही थी।’’ नताशा लिपिस्टिक लगाना छोड़कर अब पर्स खोलने लगी। फिर उसने सिगरेट निकाली और दो तीन कश मार दिये।
वडाली ने उसे सिगरेट पीता देखा और मुंह बनाकर रह गया। उस औरत के साथ जबसे उसने शादी की थी उसकी नाक में दम हो चुका था। एक तो वह औरत किसी तरफ से लगती ही नहीं थी अजीब मर्दमार टाइप की थी।
उसने सोचा था कि उससे शादी करके वह रफीक मस्तान की अरबों की सम्पत्ति का मालिक बन जायेगा और खूबसूरत जवान बीवी अलग मिल जायेगी। लेकिन पहले सपने पर तो बुलडोज़र चल गया और दूसरा सपना जब हकीकत में बदला तो मालूम हुआ टाॅफी के चक्कर में ऐसी च्यूंगम निगल चुका है जो पहले ही कोई चूसकर जा चुका है।
‘‘मैं पूछती हूं बर्तन धोने में इतनी देर लगाओगे तो झाड़ू पोंछा कब करोगे?’’ इस बार नताशा की लताड़ उसे होश में ले आई और वह जल्दी जल्दी बर्तन धुलने लगा।
‘‘काश कि तुम रफीक मस्तान को मारने में कामयाब हो जाती तो आज ये बर्तन रोबोटिक्स मशीनें धो रही होतीं।’’ वडाली मायूसी के साथ फिर से पुराना राग अलापने लगा।
‘‘अब जो काम हो ही नहीं पाया उसके लिये रोने से फायदा? कुछ नया करना ही होगा। बैंक लूटने का प्लान ही सबसे बेहतर है।’’
‘‘आज के ज़माने में बैंक लूटना नामुमकिन है।’’ वडाली ने हाथ खड़े कर दिये।
‘‘इस दुनिया में नामुमकिन कुछ नहीं। फीरान को मारना भी नामुमकिन था। लेकिन मिस्टर परफेक्ट ने वह कर दिखाया। और उसकी अम्मा ने रफीक को मुझसे बचा लिया। मेरा बस चले तो उसका खून पी जाऊं।’’ नताशा ने दाँत पीसे।
‘‘तो फिर ठीक है। चलो एक बार पूरे शहर का चक्कर लगाकर आते हैं और फिर देखते हैं कौन सा बैंक सबसे बेहतर होगा लूटने के लिये।’’
दोनों में सहमति बन गयी और थोड़ी ही देर में वे तैयार होकर अपने फ्लैट से नीचे उतर चुके थे।
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डा0 बामर को चार महीने की सज़ा के बाद बेल मिल चुकी थी। जेल में पूरे चार महीने तक वह एक ही बात सेाचता रहता था और अब बेल मिलने के बाद जब वह एक रेस्टोरेंट में पहुंचा तब भी वही बात सोच रहा था।
ये वही बात थी जो शोतन ने उसे बतायी थी। यानि हरस का खज़ाना।
हरस का शायद टनों खज़ाना इस ज़मीन के किसी हिस्से में मौजूद था और जिस हिस्से में मौजूद था उसका पता गोल्डी के अलावा किसी को नहीं था। लेकिन गोल्डी तो पागल हो चुका था।
उसने ठंडी साँस ली और किसी बकरे की तरह अपना मुंह चलाने लगा। मुंह इसलिए चला रहा था क्योंकि भूख ज़ोरों की लगी थी और जिस रेस्टोरेंट में बैठा था उसका वेटर शायद घोंघे की खानदान से था। आर्डर लेकर जो गया तो अभी तक वापस नहीं लौटा था।
बोरियत दूर करने के लिये उसने इधर उधर नज़रें दौड़ाना शुरू कर दीं। और फिर एक औसत उम्र के जोड़े पर जाकर उसकी नज़र ठहर गयी जिसमें औरत अच्छी खासी खूबसूरत थी। मर्द कैसा था इससे उसे कोई मतलब भी नहीं था। सबसे खास बात ये कि जैसे ही औरत की नज़र उसकी नज़र से टकराई उस खूबसूरत हसीना ने मधुर मुस्कान उसके ऊपर निछावर कर दी।
एक मर्द को और चाहिए भी क्या होता है। इस मुस्कुराहट ने उसे चारों खाने चित कर दिया। लेकिन उस औरत के साथ बैठा मर्द कौन था?
‘शायद उसका भाई है।’ उसने देखा औरत लगातार उसे देखकर मुस्कुरा रही थी। फिर वह इशारे भी करने लगी। पास आने के इशारे। एक मर्द को औरत से और क्या चाहिए होता है। वह तुरन्त अपनी सीट से उठा और उनके पास पहुंच गया।
‘‘जी आपने मुझे बुलाया?’’ उसने पूरी शालीनता के साथ पूछा।
‘‘जी हाँ। मेरी अपने साथी से शर्त लगी थी आप प्लीज़ बैठिए।’’
वह फौरन खाली कुर्सी पर बैठ गया और पूछने लगा, ‘‘कैसी शर्त।’’
मैंने शर्त लगायी थी कि आप की शक्ल और बाॅडी पूरी तरह एक्स मोंटी से मिलती है लेकिन मेरा साथी इससे सहमत नहीं।’’
सुनते ही डाक्टर बामर कढ़ाही में पड़े भटूरे की तरह फूल गया। अब एक्स मोंटी से तो उस ज़माने का बच्चा बच्चा वाकिफ था। एक्शन फिल्मों का सुपरस्टार। उसके नाम से ही फिल्में हिट हो जाती थीं।
‘‘मैं कहता हूं ये छछूंदर एक्स मोंटी के अंगूठे के बराबर भी नहीं।’’ औरत का साथी गुर्राकर बोला। और डा0बामर को उसपर बेतहाशा गुस्सा आ गया। हालांकि बड़ी मुश्किल से उसने उस गुस्से पर काबू पाया वरना उसकी इमेज औरत की नज़र में तो खराब हो ही जाती।
‘‘तुम्हारे कहने से क्या होता है - वडाली। ये एक्स मोंटी का डुप्लीकेट है तो है।’’ औरत अपनी बात पर अड़ी थी।
‘‘नताशा! तुमको आदमी पहचानने की अक्ल ही ऊपर वाले ने नहीं दी है। मैं फिर कहता हूं ये आदमी छछूंदर का दूसरा भाई है। अरे अगर इसके सामने गली का कुत्ता भी तेज़ आवाज़ में भौंक दे तो इसकी ... गीली हो जायेगी।’’ वडाली बायीं आँख दबाकर बोला।
इतनी बेइज़्ज़जी के बाद तो किसी का भी दिमाग आउट हो सकता था तो डा0बामर का फिर क्यों न होता। उसने झपट कर वडाली का गरेबान थाम लिया।
लेकिन दूसरे ही पल उसके हाथ पैर ढीले हो गये क्योंकि कोई नुकीली चीज़ उसकी पसली में चुभने लगी थी। और चुभाने वाला वडाली ही था।
‘‘बेटा गरेबान छोड़ दे वरना यहीं बैठा बैठा ऊपर पहुंच जायेगा। ये स्पेशल खंजर है अन्दर तक काट भी डालेगा और खून भी नहीं टपकेगा। पोस्टमार्टम से पहले घाव का पता भी नहीं चलेगा।’’ वडाली की धीमी ठंडी आवाज़ डा0 बामर के कानों में पहुंची और उसके हाथ पैर ठंडे हो गये। वो एक साइंटिस्ट था और लड़ाई भिड़ाई से दूर दूर तक उसका नाता नहीं था।
ये तो साफ हो ही गया था कि दोनों कुछ लुटेरे टाइप के प्राणी हैं।
‘‘त..तुम लोग क्या चाहते हो?’’ उसने हांफते हुए पूछा।
‘‘हम चाहते हैं तुम हमारा बिल भर दो।’’ नताशा एक अदा के साथ बोली।
‘‘व...वो तो मैं यूही भर दूंगा। इसके लिये च...चाकू की क्या ज़रूरत।’’ वह कांपते हुए बोला।
‘‘सिर्फ बिल भरने से काम नहीं चलेगा छछूंदर। तुझे हम लोगों के आठ दस दिन के खर्चे का भी इंतिज़ाम करना होगा। हमने पहले सोचा बैंक लूटा जाये लेकिन उसमें रिस्क ज़्यादा है। सो अब तुम्हारे जैसे आसामियों से काम चलाना पड़ेगा।’’
‘‘पर्स इसका काफी भारी लग रहा है। लगता है हमारे पूरे महीने का जुगाड़ हो गया।’’ दूसरी तरफ से नताशा उसका पर्स टटोल रही थी।
उधर डा0 बामर किसी और ही धुन में था। कुछ सोचकर उसके चेहरे पर एक चमक आ चुकी थी। वह धीरे से बोला, ‘‘मेरे पास एक प्लान है अगर कामयाब हो गया तो तुम लोगों को जिंदगी भर किसी को लूटने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।’’
‘‘कैसा प्लान?’’ वडाली उसे घूरकर बोला। उसकी बात पर नताशा भी चौंक पड़ी थी।
‘‘ऐसे नहीं।’’ डा0बामर आगे झुककर धीमी आवाज़ में बोला, ‘‘इतनी ज़रूरी बात न तो चाकू की नोक पर होती है और न रेस्टोरेंट जैसे किसी पब्लिक प्लेस पर। आजकल किस रेस्टोरेंट की दीवार में कौन सा माईक छुपा है कोई नहीं जानता।’’ वह धीरे से पूरी राज़दारी के साथ बोल रहा था।
‘‘तो फिर कहीं और चलते हैं। लेकिन बिल तो तुमको ही पे करना पड़ेगा। हमारे पास फूटी कौड़ी नहीं है।’’ वडाली सर हिलाते हुए बोला।
‘‘हां वो तो मैं बोल ही चुका हूं।’’ वडाली ने अपना चाकू वापस जेब में रख लिया। फिर डा0बामर ने अपना और बाकी दोनों को बिल चुकाया और तीनों उठ खड़े हुए।
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