‘‘कैसी दुश्मनी? हमने तो हमेशा आपका सम्मान किया?’’ इस बार संजय ने सवाल उठाया।
‘‘मेरी दुश्मनी उनसे है जिन्होंने तुम लोगों को पैदा किया। मैं तुम्हारे माँ बाप का दुश्मन हूं।’’ फादर जोज़फ गुर्राकर बोला।
‘‘लेकिन क्यों?’’ दीपा की आवाज़ में उलझन भरा डर मौजूद था।
‘‘क्योंकि आज से पच्चीस साल पहले मैं अपने माँ बाप के साथ इस ग्रह पर आया था। हमारा यान इसी जंगल में उतरा था। हम लोग जानवरों का शरीर धारण करके खुशी खुशी इस नये ग्रह का आनंद ले रहे थे। लेकिन उसी समय हमारी खुशियों को ग्रहण लग गया। और इस ग्रहण को लगाने वाले थे तुम दोनों के माँ बाप। जो इस जंगल में शिकार खेलने आये थे। उन्होंने मेरे माँ बाप को अपना निशाना बना लिया। जो उस समय बाघ के रूप में थे। मैं उस समय छोटा बच्चा था। मैंने छुप कर अपनी जान बचायी लेकिन हमारी नस्ल हमेशा के लिये खत्म हो गयी। क्योंकि अब मैं अपने ग्रह वापस नहीं लौट सकता था। जिन टेक्यान किरणों को कैरियर बनाकर हम अपने ग्रह से यहाँ तक आये थे उनका सम्पर्क मेरे बाप की मौत के साथ टूट गया।’’
संजय व दीपा जड़ होकर फादर जोज़फ उर्फ एलियेन की कहानी सुन रहे थे।
फादर ने कहना जारी रखा, ‘‘फिर मैंने प्रतिशोध की ठान ली। मिस्टर मेहता और मिस्टर कपूर ने जिस तरह मुझे अकेला रहने पर मजबूर किया है, मैं भी उन्हें नस्लविहीन कर दूंगा। हमेशा के लिये अकेले रहने पर मजबूर कर दंगा। दो को मार चुका हूं इसी जंगल में जहाँ मेरे माँ बाप को मारा गया था। अब दो और बचे हैं।’’ फादर ने उन्हें घूरते हुए कहा।
उसका इरादा भांपकर संजय ने उसपर छलांग लगायी। लेकिन वह एलियेन पूरी तरह सावधान था। उसने अपने हाथ को एक झटका दिया। नतीजे में संजय उछलकर पलटा और दीपा से टकरा गया। उसके जोरदार धक्के से दीपा संभल न सकी। एक पत्थर से उसका सर टकराया और वह अचेत हो गयी।
-----
दीपा के होश जब दोबारा संभले तो उसे अपने ऊपर किसी का साया महसूस हुआ। जब आँखें कुछ और देखने के काबिल हुईं तो उसने पाया कि संजय उसके ऊपर झुका हुआ है और उसे होश में लाने की कोशिश कर रहा है।
‘‘स..संजय?’’
‘‘तुम ठीक तो हो दीपा?’’ संजय ने नर्म आवाज़ में पूछा।
‘‘हाँ मैं तो ठीक हूं। ल...लेकिन फादर - एलियेन?’’
‘‘उसे मैंने मार डाला। वो देखो।’’
संजय की बात सुनते ही दीपा की सारी कमज़ोरी व चोट का एहसास जाता रहा। वह झटके से उठ बैठी और संजय की बतायी दिशा की ओर देखने लगी। वहाँ पर एक चमकदार नेवला मरा हुआ पड़ा था।
‘‘य...ये तुमने इसे मारा?’’
‘‘हाँ। हमारी मदद ईश्वर ने की और मैं इसे मारने में कामयाब हो गया। एक कठिन संघर्ष के बाद। उठो दीपा अब घर चलते हैं।’’ संजय ने उसे सहारा देकर उठाया और गाड़ी की तरफ ले जाने लगा।
दीपा ने देखा कि उनकी गाड़ी सही सलामत थी। गाड़ी से लिपटा हुआ विशालकाय अजगर कहीं गायब हो चुका था। संजय ने दीपा को सहारा देकर गाड़ी में बिठा दिया।
‘‘मैं उस एलियेन की लाश को जलाकर आता हूं। फिर हम लोग रवाना हो जायेंगे।’’
‘‘हाँ। उसका भी अंतिम संस्कार ज़रूरी है।’’ दीपा ने फीकी मुस्कुराहट के साथ कहा।
संजय ने सर हिलाया और नेवले के मुरदा शरीर के पास पहुंच गया फिर उसे घसीटकर पेड़ों के एक झुरमुट की तरफ ले जाने लगा। जैसे ही उसने उस झुरमुट को पार किया, वहाँ मौजूद छोटे से मैदान में एक और लाश पड़ी दिखाई दी। ये एक मनुष्य की लाश थी। उसने उसे पलटा तो उस लाश का चेहरा सामने आ गया।
अगर उस चेहरे को दीपा देख लेती तो यकीनन उसके दिल की धड़कन रुक जाती। क्योंकि ये चेहरा संजय का था। आने वाले संजय ने नेवले के शरीर को उसके ऊपर फेंका और फिर दोनों को आग दिखा दी। दोनों मृत शरीर धड़ाधड़ जलने लगे।
उस आग की रोशनी में जिंदा संजय का चेहरा अचानक भयानक हो गया था। वह बड़बड़ा रहा था, ‘‘अब मैं अपने ग्रह की और अपने बाप की नस्ल को यहीं इसी पृथ्वी पर बढ़ाऊंगा। जिसने मेरे माँ बाप को मारा, उसी की बेटी हमारी नस्ल को आगे बढ़ायेगी। एक इच्छाधारी की नस्ल को।’’ उसके चमकते चेहरे पर एक कुटिल मुस्कुराहट उभर आयी।
संजय की लाश से फूटते शोले अब बुलन्द हो रहे थे।
--समाप्त--
5 comments:
Nice Post,i like Your Blog,
thedramaserial.blogspot.com
bahut kam log he hindi me science fiction likh rahen hai
एक बार हमारे ब्लॉग पुरानीबस्ती पर भी आकर हमें कृतार्थ करें _/\_
http://puraneebastee.blogspot.in/2015/03/pedo-ki-jaat.html
Very nice story. keep it up writing.
Very nice story. keep it up writing.
Nice Books to read thanks
Post a Comment