Saturday, August 15, 2015

इच्छाधारी - हिंदी विज्ञान कथा (भाग 6)

एलियेन की तलाश शुरू हो गयी थी। फादर ने इसके लिये तीन टीमें तैयार की थीं। पहली टीम में अरुण व रिया थे, दूसरी में संजय व दीपा, जबकि तीसरी टीम में फादर अकेला था। उसने उन लोगों को सख्ती के साथ समझाया था कि अपनी बातचीत से वे बिल्कुल ज़ाहिर न होने दें कि वे एलियेन की तलाश कर रहे हैं। बल्कि वे कैंपिंग के लिये आये हैं और जानवरों व नेचुरल दृश्यों के खूबसूरत फोटोग्राफ उतारना चाहते हैं, यही उनकी बातचीत से ज़ाहिर होना चाहिए।

और इस वक्त वे लोग यही काम कर रहे थे। यानि जंगल के कुदरती दृश्यों की फोटोग्राफी कर रहे थे और साथ ही अचानक दिखने वाले जानवरों को भी कैमरे में कैद कर रहे थे। फिलहाल किसी खतरनाक जानवर से उनकी मुठभेड़ अभी तक नहीं हुई थी।

‘‘इस जगह की खूबसूरती में सब कुछ भूल जाने का मन होता है। यहाँ आने का मकसद भी।’’ रिया खोये खोये लहजे में बोली।

‘‘लेकिन हमें किसी भी हाल में अपने मकसद को नहीं भूलना है। वरना हमारे अनचाहे मेहमानों का मकसद पूरा हो जायेगा।’’ अरुण ने सख्त लहजे में कहा और रिया ने उसका बाज़ू थाम लिया। पता नहीं अरुण के सख्त लहजे में उसकी वार्निंग से डरकर या फिर पास से गुज़रते चितकबरे साँप से डरकर। 

अरुण ने भी उस साँप को देखा लेकिन उसमें फादर के अल्टीमेटम वाली यानि एलियेन के पहचान वाली खास चमक नहीं दिखी। यानि वह एक आम साँप था जो तेज़ी के साथ रेंगता हुआ झाड़ियों के पीछे जा रहा था। 

अचानक एक नेवले ने दूसरी झाड़ी के पीछे से निकलकर उसपर छलांग लगायी और फिर दोनों एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था हो गये। अरुण व रिया थोड़ा दूर हटकर उनकी लड़ाई देखने लगे। इसका तो सवाल ही नहीं था कि वे उस लड़ाई में हस्तक्षेप कर पाते। फिर नेवले की फुर्ती ने साँप को मात दे दी। और थोड़ी ही देर में साँप के टुकड़े टुकड़े हो चुके थे। 

साँप को खत्म करने के बाद नेवले ने एक नज़र उनकी तरफ डाली और फिर उछलकर झाड़ियों के पीछे गायब हो गया। दोनों मानो सम्मोहित होकर अपनी जगह ठिठके हुए थे। 

‘‘उफ् ऐसे सीन सिर्फ जंगल में ही दिखाई दे सकते हैं।’’ रिया एक झुरझुरी लेकर बोली।
‘‘इसी तरह कोई जानवर हमारे भी टुकड़े कर सकता है।’’ अरुण के जुमले पर रिया के जिस्म में सिहरन दौड़ गयी। फिर दोनों बिना कुछ बोले आगे बढ़ गये। 

कुछ दूर चलने के बाद अचानक अरुण एक जगह ठिठक कर रुक गया। 
‘‘क्या हुआ?’’ रिया ने हैरत से उसकी तरफ देखा। 

‘‘ओह, मैंने पहले इस बात पर गौर क्यों नहीं किया?’’ 
‘‘कौन सी बात?’’ 

‘‘शायद तुमने गौर नहीं किया। उस नेवले के जिस्म की अप्राकृतिक चमक पर।’’ अरुण के इस जुमले पर रिया उछल पड़ी। 

‘‘ओ माई गाॅड ... तो क्या वो एल..’’ कहते हुए रिया रुक गयी। उसे फादर जोज़फ की बात वक्त पर याद आ गयी थी। 

‘‘हण्ड्रेड परसेन्ट! दुनिया का कोई नेवला इतना चमकीला नहीं होता।’’ अरुण की आवाज़ जोश से भरी हुई थी। 

उसी वक्त उन्हें पीछे की तरफ सरसराहट की आवाज़ सुनाई दी और वे चैंक कर घूमे। पीछे वही नेवला मौजूद था, किसी एलईडी रोशनी जैसी चमक बिखेरता हुआ। उसकी चमकीली आँखें उन दोनों को घूर रही थीं। 

अचानक अरुण ने फुर्ती के साथ कमर से लगा रिवाल्वर खींचा और नेवले पर फायर झोंक दिया। लेकिन नेवला अरुण से भी कई गुना ज़्यादा फुर्तीला था। इससे पहले कि गोली उसके जिस्म से टकराती, वह बिजली की गति से झाड़ियों में घुस चुका था। 

‘‘यह बुरा हुआ। अब वह जान चुका है कि हम उसके दुश्मन हैं। वह हमें नहीं छोड़ेगा।’’ रिया घबराकर बोली।
‘‘कुछ नहीं होगा।’’ अरुण लापरवाही से बोला, ‘‘और अगर उसने कोई हरकत करने की कोशिश की तो हम इतने कमज़ोर भी नहीं हैं कि उसे सबक न सिखा सकें।’’
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(जारी है)

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