Thursday, August 13, 2015

इच्छाधारी - हिंदी विज्ञान कथा (भाग 4)

‘‘भारत में एक मान्यता बहुत प्रचलित है - इच्छाधारी नागों की। जो अपनी इच्छा से मनचाहा स्वरूप धारण कर सकते हैं। पता नहीं इच्छाधारी नागों की कहानी में कितनी सच्चाई है। लेकिन इच्छाधारी एलियेन की खोज मैंने ज़रूर कर ली है। जो हमारी धरती पर मनचाहा स्वरूप धारण करके आ सकते हैं। दूर स्थित इस ग्रह से।’’ फादर ने उस ग्रह की लोकेशन बताने के लिये मैप पर उंगली रखी।

‘‘यानि कि मनुष्य के रूप में।’’ पता नहीं संजय के लहजे में सवाल था या फादर जोज़फ की बात का समर्थन।
‘‘हाँ। मनुष्य के रूप में भी और किसी जानवर के रूप में भी। यही वजह है कि अब तक हमारी दुनिया उनके अस्तित्व का पता लगाने में नाकाम रही है।’’

‘‘तो फिर आपने कैसे पता लगाया?’’ दीपा का सवाल था।
‘‘उनका पता संयोग से लगा। मैं दरअसल रोशनी के कणों यानि फोटाॅन पर रिसर्च कर रहा था। विशेष रूप से फोटाॅन के कुछ खास एण्टीकणों पर रिसर्च कर रहा था कि अचानक मुझे पृथ्वी के वायुमंडल में ऐसे एण्टीकणों की उपस्थिति स्वतन्त्र रूप में डिटेक्ट हुई। फोटाॅन के ये एण्टीकण वायुमंडल में जिस जगह मौजूद थे, वहां पर सूर्य से आने वाली किरणों की तीव्रता कम हो जाती थी। इससे साफ था कि ये एण्टीकण फोटाॅनों को खा रहे हैं।’’ 

‘‘ओह!’’ दीपा ने एक गहरी साँस ली। 

‘‘फिर मैंने अपने यन्त्रों द्वारा उन एण्टीकणों पर और रिसर्च की और तब मुझपर ये राज़ खुला कि ये एण्टीकण कुछ अदृश्य प्राणियों के शरीरों से निकल रहे हैं। और फिर जल्दी ही अकणों से बने उन प्राणियों की पूरी जानकारी मुझे हासिल हो गयी। फिर मैंने उन्हें अपनी धरती के प्राणियों का रूप ग्रहण करके पृथ्वी पर उतरते हुए भी देखा और उनकी पूरी योजना भी मालूम कर ली।’’ फादर जोज़फ मैप पर बन रहे ग्राफ के उतार चढ़ाव को घूरते हुए बोला।

‘‘कैसी योजना?’’ संजय के मुंह से निकला सवाल अनायास ही था। 

‘‘वह योजना निहायत खतरनाक है। चूंकि वे लोग इच्छाधारी हैं और कोई भी शक्ल धारण कर सकते हैं। अतः उन लोगों का प्लान है कि वे मनुष्य रूप धारण करके मनुष्यों के बीच दोस्त बनकर रहें और फिर उन्हें आपस में लड़वा कर पृथ्वी को एक बड़े युद्व के मुंह में धकेल दें। जिससे धीरे धीरे मनुष्य जाति खत्म हो जाये। उसके बाद पूरी पृथ्वी पर ये लोग अपनी हुकूमत कायम कर लेंगे।’’ 

फादर जोज़फ की बात सुनकर वे लोग काँप उठे। अब उनकी समझ में आ रहा था कि फादर ने आधी रात को उन्हें ये सब बताने के लिये क्यों कष्ट दिया है। पूरी मनुष्य जाति खतरे में थी। पहले तो बेतहाशा खून खराबा। बेगुनाहों व मासूम बच्चों की हत्याएं और फिर पृथ्वी से पूरी मनुष्य जाति का नाश। और फिर इच्छाधारी एलियेन का कब्ज़ा।

(जारी है)

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