Tuesday, August 11, 2015

इच्छाधारी - हिंदी विज्ञान कथा (भाग 2 )

‘‘ऐसा ज़रूरी काम क्या हो सकता है जिसके लिये आपने रात को बारह बजे यहाँ आने की तकलीफ की? हमें बुला लिया होता।’’ अरुण बोला। और सबने उसकी बात की सहमति में सर हिलाया। 
फादर जोज़फ का ताल्लुक उनके घरों से कम से कम दस साल का था। और न सिर्फ चारों भाई बहन बल्कि उनके पैरेन्ट्स भी उनकी काफी इज़्ज़त करते थे। फादर का अपने चर्च के अलावा और कहीं आना जाना बहुत ही कम था। वो किसी से मिलते जुलते नहीं थे। लेकिन उन लड़कों की फैमिली से उनका मेल मिलाप और प्यार इतना ज़्यादा था कि अक्सर लोग उन्हें उन परिवारों का सदस्य ही समझ लेते थे।

‘‘बात कुछ ऐसी ही है जिसके लिये मुझे इस वक्त यहाँ आना पड़ा। लेकिन उस बात को बताने के लिये तुम लोगों को मेरे साथ चर्च तक चलना पड़ेगा। अभी।’’ फादर ज़ोज़फ की बात में न जाने क्या था कि वे लोग फौरन उसके साथ चर्च तक जाने के लिये तैयार हो गये।
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चर्च के अन्दर इस वक्त उन पाँचों के अलावा और कोई नहीं था। फादर जोज़फ के चेहरे पर इतनी ज़्यादा गंभीरता थी कि वे लोग ये सोचने पर विवश थे कि शायद उसके साथ कोई अनहोनी हो गयी है। लेकिन उस अनहोनी को बताने से उसकी ज़बान रुक रही हैं। क्योंकि वह काफी देर से अपनी कुर्सी पर बगैर कुछ बोले सिर्फ सोचे जा रहा था। 

‘‘फादर! आप हमें क्या बताना चाहते हैं?’’ आखिरकार इस खामोशी से तंग आकर संजय ने अपनी ज़बान खोली। 
‘‘ओह हाँ!’’ फादर अपने विचारों की दुनिया से बाहर आ गया, ‘‘कुछ बताने से पहले मैं तुम लोगों से एक सवाल पूछना चाहता हूं। क्या तुम्हें एलियेन्स पर यकीन है?’’ 

फादर के सवाल पर सब एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। ये रात को बारह बजे एलियेन्स के बारे में पूछना। क्या फादर अब उन्हें बुलाकर कोई साइंस फिक्शन कहानी सुनाना चाहता है? लेकिन ये कौन सा वक्त है कहानी सुनाने का? 

‘‘एलियेन्स के बारे में हमने बहुत सी साइंस फिक्शन फिल्में देखी हैं। और नावेल भी पढ़े हैं। लेकिन उनका वास्तव में अस्तित्व है इस बारे में हम तब तक यकीन नहीं कर सकते जब तक कि उन्हें अपनी आँखों से न देख लें।’’ दीपा ने अपना मंतव्य फादर के सामने रखा। 
‘‘और फिलहाल साइंस एलियेन्स के बारे में कुछ पता नहीं कर पायी है।’’ रिया ने दीपा की बात से सहमति ज़ाहिर की। 

‘‘लेकिन अगर मैं कहूं कि एलियेन्स का अस्तित्व है और मुझे उसके सुबूत भी मिल चुके हैं, तो क्या तुम मेरी बात पर यकीन करोगे?’’ फादर जोज़फ की बात पर वे सभी चैंक उठे थे और एक बार फिर एक दूसरे का मुंह ताकने लगे थे।

‘‘बेटे। जो लोग भी मुझे जानते हैं, वो मुझे एक पादरी के तौर पर जानते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि मैं एक साइंटिस्ट भी हूं। और मैंने फिज़िक्स में डाक्टरेट हासिल की है।’’ 
फादर का ये स्टेटमेन्ट वाकई में उनके लिये एक रहस्योद्घाटन था। वो लोग खुद फादर को फादर के ही रूप में जानते थे न कि एक साइंटिस्ट के तौर पर। 

फादर आगे कह रहा था, ‘‘इसी चर्च के तहखाने में मेरी एक छोटी सी लैब है जिसमें मैं एलियेन्स के बारे में अपनी कुछ मशीनों के ज़रिये रिसर्च कर रहा हूं। और कुछ सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश कर रहा हूं।’’ 

‘‘कैसे सवाल?’’ अरुण ने पूछा।
‘‘यही कि अगर दूसरे ग्रहों पर या यूनिवर्स के किसी और कोने में एलियेन्स हैं तो किस तरह के हैं? क्या वे पृथ्वी पर आते हैं? और अगर आते हैं तो हमें उनका आभास क्यों नहीं होता?’’ 

‘‘तो आपको अपने सवालों का जवाब मिला?’’ दीपा ने पूछा। 
‘‘हाँ!’’ फादर जोज़फ का ये जवाब उनके लिये और चैंकाने वाला था। 

‘‘मुझे अपने कई सवालों का जवाब मिल गया है। आओ, मैं तुम्हें अपनी लैब दिखाता हूं।’’ फादर अपनी कुर्सी से उठ गया। अब वह तहखाने के रास्ते की तरफ था। उसके पीछे पीछे बाकी चारों थे। 

‘‘एलियेन्स न सिर्फ यूनिवर्स में मौजूद हैं बल्कि हमारी पृथ्वी पर आते भी हैं।’’ आगे चलते हुए फादर कह रहा था, ‘‘मैंने अपने यन्त्रों द्वारा न सिर्फ उनकी उपस्थिति दर्ज की है बल्कि उनकी बातचीत को भी सुन चुका हूं। क्योंकि मैंने उनकी भाषा को अपनी भाषा में ट्रांस्लेट करने में कामयाबी हासिल कर ली है।’’ 

फादर जोज़फ की ये अनोखी बातें सुनकर चारों उसे इस तरह अजीब नज़रों से देखने लगे मानो फादर खुद ही एक एलियेन हो।

(जारी है)