‘‘यह
पासिबिल हुआ है क्वांटम टाइम फिजिक्स की मदद से। फिजिक्स की यह नयी ब्रांच
आज से दो सौ साल पहले शुरू हुई जब क्वांटम फिजिक्स में कुछ नये तथ्यों का
पता चला और यह तथ्य मूल कणों के व्यवहार से संबंधित थे। तुम्हारे समय में
क्वांटम मैकेनिक्स दो तरह के मूल कणों की उपस्थिति बताती थी, फर्मिआन्स और
बोसाॅन्स। ये दोनों,,,,!’’
‘‘एक मिनट!’’ रवि ने टोका, ‘‘हम लोग फिजिक्स के स्टूडेन्ट नहीं रहे हैं।’’
‘‘ओह, मैं बहुत सिम्पिल तरीके से बताता हूँ!’’ शशिकान्त ने कहा, ‘‘तुमने इलेक्ट्रान, प्रोटाॅन,,, इन सब का नाम सुना होगा।’’
‘‘हाँ, इनके बारे में तो पता है।’’ माया ने कहा।
‘‘हाँ, इनके बारे में तो पता है।’’ माया ने कहा।
‘‘ये
सब पदार्थ का निर्माण करते हैं। और इनको फर्मियान्स कहा जाता है। इसी तरह
जो कण बलों की रचना करते हैं उन्हें बोसाॅन कहा जाता है। इनमें फोटाॅन और
ग्लूआॅनस जैसे कण शामिल हैं। टाइम के साथ इनकी पोजीशन और दूसरी दशाएं बदलती
रहती हैं। जिसकी वजह से अलग अलग समय में अलग अलग घटनाएं घटित होती हैं।
क्या आप बता सकते हैं कि आज से दस साल पहले कोई विशेष पदार्थ कहाँ पर था और
उसकी क्या दशा थी?’’
‘‘नहीं! भला ये कैसे बताया जा सकता है।’’ रवि ने कहा।
‘‘हाँ,
आज से हजार साल पहले यही समझा जाता था। क्योंकि तब तक टाइम पार्टिकिल की
खोज नहीं हुई थी। यह खोज मात्र दो सौ साल पहले हुई है। इसकी खोज में इतनी
देर इसलिए लगी क्योंकि यह दूसरे कणों की तरह डिस्क्रीट न होकर कान्टीनुअस
है। अर्थात एक अकेला टाइम पार्टिकिल कोई अस्तित्व नहीं रखता, किन्तु एक
अवधि में इसका अस्तित्व दिखने लगता है। समय के साथ हमारी साइंस ने और
तरक्की की और विज्ञान टाइम पार्टिकिल को कण्ट्रोल करने में समर्थ हो गया।
और इसी के साथ कुछ मजेदार घटनाएं हुईं।’’
‘‘कैसी घटनाएं?’’ माया ने पूछा। दोनों को अंदाजा नहीं था कि विज्ञान भी इतना रहस्यमय हो सकता है।
‘‘टाइम
पार्टिकिल को कण्ट्रोल करने के साथ ही हमने देखा कि सभी मूल कण यानि
फर्मियान्स और बोसाॅन भी हमारे कण्ट्रोल में आ गये और हम मनचाहे तरीके से
उनसे काम लेने में सक्षम हो गये। दूसरे शब्दों में हम घटनाओं को मनचाहे
तरीके से देखने और उन्हें बदलने में सक्षम हो गये। इन्हीं खोजों के द्धारा
हम बाद में टाइम मशीन भी बनाने में सफल हो गये। जिसके द्धारा हम भूतकाल या
भविष्य में जा सकते हैं।’’
‘‘ओह फैण्टास्टिक!’’ दोनों के मुँह से निकला।
‘‘टाइम
मशीन बनने के साथ ही गेम जोन ने बच्चों के लिए रिएल वर्चुएलिटी गेम का
निर्माण किया। लेकिन जल्दी ही इसका दुष्परिणाम भी दिखने लगा। कुछ शरारती
लोग इनके द्धारा घटनाओं को बदलकर मनचाहे काम करने लगे। इसलिए बाद में एक
यूनिवर्सल कानून बनाया गया कि कोई भी व्यक्ति भूत या भविष्य में जाने के
बाद वहाँ की घटनाओं के साथ कोई छेड़ छाड़ नहीं करेगा। रिएल वर्चुएलिटी गेम पर
भी रोक लगा दी गयी। लेकिन चोरी छुपे इसका बिकना जारी रहा। मेरे बच्चों को
भी ये मिल गया। वे तुम्हारे टाइम में पहुँचकर वहाँ की घटनाओं को बदलने लगे।
विमान दुर्घटना, आलीशान महल की उत्पत्ति, फिर उसका गायब हो जाना, तुम
लोगों का हमारे टाइम में पहुँच जाना इत्यादि घटनाएं इसी गेम का हिस्सा
थीं।’’
‘‘ओह, मेरा सर तो शुरू ही से चकरा रहा था। अब तो लगता है गायब हो जायेगा।’’ माया ने एक बार फिर अपना सर थाम लिया।
‘‘तुम लोग चिन्ता मत करो। अपने बच्चों की गलती की भरपायी मैं करूंगा। तुम्हारे टाइम से मैं वह टुकड़ा हटा दूँगा जिसमें ये घटनाएं घटित हुई हैं।’’
‘‘तुम लोग चिन्ता मत करो। अपने बच्चों की गलती की भरपायी मैं करूंगा। तुम्हारे टाइम से मैं वह टुकड़ा हटा दूँगा जिसमें ये घटनाएं घटित हुई हैं।’’
‘‘तुम्हें
यही करना चाहिए।’’ अचानक वहाँ इंस्पेक्टर भी पहुँच गया, ‘‘मैंने सोचा है
कि इस बार तुम्हारे बच्चों को वार्निंग देकर छोड़ दिया जाये। लेकिन अगर
आइंदा उन्होंने ऐसा किया तो मजबूरन मुझे उन्हें हमेशा के लिए कैद करना
पड़ेगा।’’
‘‘शुक्रिया इंस्पेक्टर साहब। मैं उनकी तरफ से आपसे वादा करता हूँ कि मेरे बच्चे आइंदा ऐसी गलती हरगिज न करेंगे।’’
..............
वायुयान अपनी गति से मंजिल की ओर अग्रसर था। रवि ने अपनी घड़ी देखते हुए कहा, ‘‘बस थोड़ी ही देर में हम स्विट्जरलैण्ड के हवाई अड्डे पर होंगे।’’
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वायुयान अपनी गति से मंजिल की ओर अग्रसर था। रवि ने अपनी घड़ी देखते हुए कहा, ‘‘बस थोड़ी ही देर में हम स्विट्जरलैण्ड के हवाई अड्डे पर होंगे।’’
‘‘शुक्र है! मैं तो थक गयी बैठे बैठे। रवि मुझे तो ऐसा महसूस हो रहा है कि इस प्लेन ने हवा में कुछ ज्यादा ही वक्त गुजार दिया।’’
‘‘हाँ मुझे भी ऐसा महसूस होता है। शायद हम लोग स्विट्जरलैण्ड पहुँचने की उतावली में ऐसा महसूस कर रहे हैं।’’
‘‘हो सकता है।’’
जबकि
उनसे काफी दूर भविष्य में बैठे शशिकान्त के सामने मौजूद टाइम मशीन दिखा
रही थी कि रियल वर्चुएलिटी द्धारा रचित सारी घटनाएं मिटाई जा चुकी हैं, साथ
ही दोनों की स्मृति से भी उन घटनाओं को मिटा दिया गया है।
....समाप्त.....
....समाप्त.....
ज़ीशान हैदर ज़ैदी : लेखक
4 comments:
बहुत सराहनीय प्रयास कृपया मुझे भी पढ़े | :-)
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