Wednesday, July 10, 2013

मायावी गिनतियाँ : भाग 3

सम्राट के पपोटों में हरकत पैदा हुई और फिर धीरे धीरे उसने आँखें खोल दीं। उसके आसपास मौजूद सहयोगियों के चेहरे खिल उठे।
''आप कैसा महसूस कर रहे हैं सम्राट?" डोव उसकी तरफ झुका।
''मैं तो ठीक हूँ। लेकिन मुझे हुआ क्या था?"
''सम्राट! हमारे अंतरिक्ष यान में हुई दुर्घटना में आपका शरीर पूरी तरह नष्ट हो गया था। इसलिए हमने आपका दिमाग एक मानव के शरीर में फिट कर दिया है।"

''क्या?" चौंक पड़ा सम्राट।
''क्या हमसे कोई गलती हो गयी सम्राट?" डरते डरते पूछा रोमियो ने।

थोडी़ देर चुप रहने के बाद सम्राट बोला, ''तुम लोगों ने बिल्कुल ठीक किया। इस शरीर में शायद मैं अपने मकसद में जल्दी कामयाब हो जाऊँ। वह मकसद, जिसके लिए हम इस पृथ्वी पर आये हैं।"
''अब आगे के लिए क्या प्लान है सम्राट?" रोमियो ने पूछा।
''फिलहाल जिस बच्चे का शरीर तुम लोगों ने मुझे दिया है, उसके घरवालों से मैं मिलूंगा। और कोशिश करूंगा उनमें घुलमिल कर रहने की। अगर मैं अपनी पहचान छुपाने में कामयाब रहा तो हम यहां बहुत कुछ कर सकते हैं।"
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रामू जब क्लास में दाखिल हुआ तो आगे बैठे हुए सभी लड़के ठहाका मारकर हंस दिये। उन्हें पिछले दिन अग्रवाल सर को दिये जवाब और फिर उसके मुर्गा बनने की याद आ गयी थी।
''लो आ गया गणित का डब्बा।" अमित बोला। वह अग्रवाल सर का चहेता स्टूडेन्ट था।

''इसके दिमाग का डब्बा तो हमेशा गोल रहेगा। पता नहीं किसने इसे हम लोगों के बीच बिठा दिया।" गगन मुंह बिचकाते हुए बोला।
रामू बिना किसी से बात किये चुपचाप पीछे की सीट पर जाकर बैठ गया।

जल्दी ही अग्रवाल सर का पीरियड भी शुरू हो गया। अंदर दाखिल होते ही उनकी पहली दृष्टि रामू पर गयी।
''रामू! कल छुटटी के बाद तुम कहां गायब हो गये थे?" 
''मैं टहलने गया था जंगल तक। संक्षिप्त जवाब दिया रामू के रूप में सम्राट ने।"

''अपने रिश्तेदारों से मिलने गया होगा वहाँ ये।" एक महीन सी आवाज उभरी और पूरी क्लास ठहाकों से गूंज उठी। 
अग्रवाल सर ने सबको शान्त किया और पढ़ाना शुरू किया, ''आज मैं त्रिभुजों के कुछ गुण बताता हूँ। तीन भुजाओं से मिलने वाली ये आकृति त्रिभुज कहलाती है।" ब्लैक बोर्ड पर चाक से अग्रवाल सर ने त्रिभुज की आकृति खींची, ''गगन, तुम बताओ, त्रिभुज के तीनों कोणों का योग कितना होता है?"

''सर, एक सौ अस्सी डिग्री।" गगन ने फौरन जवाब दिया।
''गुड। रामकुमार, तुम खड़े हो और बताओ समबाहू त्रिभुज क्या होता है?" अग्रवाल सर किसी से पूछें या न पूछें रामू से जरूर पूछते थे।

रामू खड़ा हुआ, ''सर, पहले मैं गगन के जवाब में कुछ जोड़ना चाहता हूं। त्रिभूज के तीनों कोणों का योग हमेशा एक सौ अस्सी डिग्री नहीं होता। यह निर्भर करता है उस सतह पर जहां वह त्रिभुज बना हुआ है। अगर वह सतह यूक्लीडियन प्लेन है तब तो कोणों का योग एक सौ अस्सी डिग्री होगा, वरना कम या ज्यादा भी हो सकता है। मिसाल के तौर पर त्रिभुज किसी घड़े जैसी सतह पर बना है तो कोणों का योग एक सौ अस्सी डिग्री से ज्यादा होगा। और अब मैं आता हूं आपके सवाल पर.........।" अग्रवाल सर ने उसे हाथ के इशारे से रुकने के लिए कहा और खुद अपने सर को थामकर कुर्सी पर बैठ गये।

पूरी क्लास अवाक होकर रामू को देख रही थी।
''यह सब तुमने कहाँ पढ़ा?" अग्रवाल सर ने अपनी साँसों को संभालते हुए पूछा।
''यह तो कामनसेन्स है सर।" रामू के जवाब ने गगन और अमित के साथ अग्रवाल सर को भी सुलगा दिया।
''सर आज्ञा दें तो मैं रामू के कामनसेन्स का टेस्ट लेना चाहता हूं।" गगन अपनी सीट से उठा। अग्रवाल सर ने बिना कुछ कहे सर हिलाया।

''बताओ एक से सौ तक की संख्याओं को योग कितना होता है?" गगन ने पूछा। उसे मालूम था कि जिस फार्मूले को उसके भाई ने बताया है यह जोड़ निकालने के लिए, वह रामू को हरगिज नहीं पता होगा।
''पाँच हजार पचास!" जितनी तेजी से रामू ने जवाब दिया उससे यही लगा किसी ने उसके दिमाग में कम्प्यूटर फिट कर दिया है। 
रामू यही बताकर चुप नहीं हुआ, ''मैंने यह कैलकुलेशन फार्मूले के आधार पर की है। जहां तक की संख्याओं को जोड़ना है, उससे एक आगे की संख्या लेकर उस संख्या से गुणा करो और फिर दो से भाग दे दो। रिजल्ट मिल जायेगा। वास्तव में यह समान्तर श्रेणी का एक स्पेशल केस होता है। यह श्रेणी अलजेब्रा की एक कामन श्रेणी है । अन्य प्रचलित श्रेणियां हैं गुणोत्तर, हरात्मक तथा चरघातांकी।"

उसने खामोश होकर इधर उधर देखा। सारे बच्चों के साथ अग्रवाल सर का भी मुंह भाड़ जैसा खुला हुआ था। उन्हें इसका भी एहसास नहीं था कि एक मक्खी लगातार उनके खुले मुंह से अन्दर बाहर हो रही है।
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''हैलो राम।" रामू ने घूमकर देखा, उसी के क्लास की स्टूडेन्ट नेहा उसे पुकार रही थी।
''क्या बात है नेहा?"
''आज तो तुमने सबकी बजा दी। क्या जवाब दिये।"

''शुक्रिया।" सपाट चेहरे के साथ कहा रामू ने।
''क्या बात है? आज तो तुम बदले बदले दिखाई दे रहे हो।" नेहा ने गौर से उसकी ओर देखा। 
''मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ।" गड़बड़ा कर रामू बने सम्राट ने कहा।
''चलो कैंटीन चलकर चाउमीन खाते हैं।" नेहा ने उसका हाथ पकड़ लिया।
''चलो।" दोनों कैंटीन की तरफ बढ़ गये।
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