विज्ञान प्रसार, नेशनल बुक ट्रस्ट व तस्लीम के संयुक्त तत्वधान में एक कार्यशाला का आयोजन दिनांक 26 व 27 दिसंबर 2011 को नेशनल डिग्री कालेज, लखनऊ में हुआ। जिसमें देश भर से आये लगभग 20 चोटी के विज्ञान व विज्ञान कथा लेखक सम्मिलित हुए। इनमें प्रमुख नाम थे, मुख्य अतिथि के रूप में शामिल अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान कथाकार अनिल मेनन, डा0अरविन्द मिश्र, श्री हेमन्त कुमार, श्री देवेन्द्र मेवाड़ी, डा0सी0एम0नौटियाल, श्री विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी, श्री हरीश गोयल, डा0विनीता सिंघल, श्री पंकज चतुर्वेदी, श्री शुकदेव प्रसाद, श्री चंदन सरकार, श्री अमित कुमार ओम, श्री मुकुल श्रीवास्तव, सुश्री बुशरा अलवेरा, श्री मनीष मोहन गोरे, डा0ज़ाकिर अली रजनीश, सुश्री अरशिया अली व ज़ीशान हैदर ज़ैदी। कार्यक्रम के प्रथम दिन उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि थे श्री अनिल मेनन। प्रथम दिन की विस्तृत रिपोर्ट को यहाँ पढ़ें।
उद्घाटन सत्र में अन्य कार्यक्रमों के अलावा दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ जिनमें पहली डा0अरविन्द मिश्र की ‘साइंस फिक्शन इन इंडिया’ व दूसरी ज़ीशान हैदर ज़ैदी की ‘बुड्ढा फ्यूचर’ थी।
‘बुड्ढा फ्यूचर’ नाट्य जगत में एक अनूठा प्रयोग है। यानि किसी साइंस फिक्शन कथात्मक की नाटक के रूप में प्रस्तुति। नाटक की अपनी सीमाएं होती हैं। और किसी साइंस फिक्शन को उन सीमाओं में बांधना निहायत चुनौतीपूर्ण कार्य है। खासतौर से तब जबकि हम यह तथ्य जानते हैं कि एक साइंस फिक्शन फिल्म बनाने में आम फिल्म से कई गुना ज्य़ादा पैसा स्वाहा हो जाता है। और हर कदम पर एक नयी कल्पना व नये सीन की ज़रूरत होती है। ऐसे में नाटक के रूप में इसे दर्शाना, जहाँ केवल एक स्टेज होता है और बजट के नाम पर शून्य होता है इसका मंचन एक चैलेंज ही कहा जायेगा। यही कारण है कि साइंस फिक्शन में ड्रामे की विधा न के बराबर देखने को मिलती है। ज़ीशान हैदर ज़ैदी द्वारा लिखे तीन ड्रामे बुड्ढा फ्यूचर, सौ साल बाद व पागल बीवी का महबूब इस दिशा के कार्य हैं।
बुड्ढा फ्यूचर पर एक पपेट शो भारतीय विज्ञान कथा एसोसियेशन के 2008 अधिवेशन में हुआ। पपेट माध्यम में विज्ञान कथा पर ये विश्व का पहला शो था। जिसे प्रसिद्ध पपेटियर अरशद उमर ने निर्देशित किया था। और अब इसे किताब की शक्ल में क्वींस पब्लिकेशन, लखनऊ ने प्रकाशित किया है।
6 comments:
अच्छा रहा आपके माध्यम से यह सब जानना!
वैसे बुड्ढा फ्यूचर का नाट्य मंचन का वीडियो यदि हो तो अपलोड किया जाए !
बहुत बधाई जीशान !
धन्यवाद अरविन्द जी.
प्रवीण जी, बुड्ढा फ्यूचर को आडियो रूप में सुनने के लिए नीचे 'Buddha Future' लेबल पर क्लिक करें.
बहुत-बहुत मुबारक हो ज़ीशान भाई!
पुस्तक लेखको का साधुवाद.
विज्ञान में काल्पनिक कथाओ पर बहुत कम साहित्य उपलब्ध है . ऐसे में नाट्य विधा में कार्य वाकई उल्लेखनीय और सराहनीय है ...
शुभकामनायें !
Post a Comment