एक कमरे में बृजेश को लाया गया जहाँ चीफ आफिसर के अलावा और कोई न था। न तो कोई जाँच उपकरण था। बस कमरे की नीली रोशनी में दो कुर्सियां आमने सामने रखी दिखाई दे रही थीं। सिक्योरिटी आफिसर ने बृजेश को एक कुर्सी पर बैठने का संकेत किया और खुद दूसरी कुर्सी पर बैठने लगा।
जैसे ही बृजेश कुर्सी पर बैठा, लोहे की कुर्सी से चार यान्त्रिक हाथ निकले और उसे ऊपर से नीचे तक जकड़ लिया।
‘‘ये क्या है?’’ बृजेश ने हैरत और गुस्से से पूछा।
‘‘ये कुर्सी मुजरिमों के साथ इसी तरह का सुलूक करती है। तुम्हारे साथ भी यही सुलूक करेगी। क्योंकि तुम दुश्मन देश के जासूस हो। प्रधानमन्त्री के करीब जाकर तुम उन्हें बम से मारना चाहते थे।’’
‘‘बम! मेरे पास बम कहाँ है?’’
‘‘बम तुम्हारे पेट में आपरेशन करके फिट किया गया है। प्रधानमन्त्री के सामने पहुँचकर तुम पेट के बल गिर जाते। जिससे वह बम फट जाता। यह ताकतवर बम फटने के साथ ही पूरे कमरे को उड़ा देता। लेकिन अब यह कुर्सी तुम्हें हिलने भी न देगी।’’
नकली बृजेश ने एक गहरी साँस ली और बोला, ‘‘तो तुम्हें मेरी असलियत मालूम हो गयी। यह हकीकत है कि बृजेश के मेकअप में मैं एक मानव बम हूं। लेकिन मुझे हैरत है कि तुमने मुझे कैसे पहचान लिया।’’
सिक्यारिटी आफिसर ने कहा, ‘‘इस बात में तो कोई शक नहीं कि तुम्हारा मेकअप हैरतअंगेज़ है। तुमने अपने पूरे शरीर की बाहरी खाल हूबहू बृजेश जैसी बना ली। लेकिन मेरी एक्सरे मशीन ने जब तुम्हारी भीतरी संरचना देखी तो मालूम हुआ कि तुम असली बृजेश नहीं हो। अब तुम्हें जेल भेजने से पहले मैं जानना चाहता हूँ कि आखिर इतना सटीक मेकअप तुमने किस विधि कर लिया?’’
नकली बृजेश थोड़ी देर कुछ सोचता रहा फिर बोला, ‘‘जबकि मैं नाकाम हो चुका हूं तो सोचता हूँ कि तुम्हें बता दूं। दरअसल मेरे देश के वैज्ञानिकों ने एक मशीन बनायी है जो किसी व्यक्ति का फोटोग्राफ लेकर किसी दूसरे व्यक्ति को बाहरी तौर पर हूबहू उसके जैसा बना देती है। देखने में लगता है मानो पहले व्यक्ति का कोई क्लोन पैदा हो गया है।’’
‘‘यह किस तरंह संभव है? माना कि मेकअप से चेहरा बनाया जा सकता है। लेकिन फिंगर प्रिन्ट्स भी बदल देना, यह तो नामुमकिन सी बात है।’’ सिक्योरिटी आफिसर के स्वर में हैरत थी।
‘‘दरअसल वह मशीन जब किसी व्यक्ति का फोटो लेती है तो मशीन की मेमोरी में उस व्यक्ति की बाहरी त्वचा की कोशिकाओं का रिकार्ड ग्राफिक्स रूप में संचित हो जाता है। अब मशीन में उस व्यक्ति को बिठाया जाता है जिसका मेकअप करना है। मशीन अपने ग्राफिक्स रिकार्ड के अनुसार व्यक्ति की कोशिकाओं को परिवर्तित करना शुरू कर देती है। नतीजे में थोड़ी देर के बाद व्यक्ति की त्वचा की सारी कोशिकाएं पहले व्यक्ति के अनुरूप हो जाती हैं। यहां तक कि फिंगर प्रिन्ट्स भी दोनों के एक जैसे हो जाते हैं।’’
‘‘एक्सीलेंट। यह मशीन तो हमारे देश में होनी चाहिए।’’
‘‘नामुमकिन। वह मशीन ऐसी जगह है कि तुम्हारे देश के फ़रिश्ते भी वहाँ नहीं पहुँच पायेंगे।’’
‘‘ये तो वक्त बतायेगा। जब हमने तुम्हें पकड़ लिया तो मशीन को हासिल कर लेना कौन सा मुश्किल काम है।’’
‘‘दरअसल मुझसे कुछ गलतियां हो गयीं। जिसकी वजह से पकड़ा गया। मुझे बृजेश को मारने के बाद उसकी लाश गायब कर देनी चाहिए थी। पता नहीं कहां से मि0 लाल वहां पहुंच गया और उसने बृजेश के एक्सीडेन्ट की खबर सबको दे दी। नतीजे में पुलिस मेरी तरफ से शक में पड़ गयी। हालांकि बाद में मैंने बृजेश का सर और हाथ पैर गायब कर दिये, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।’’
‘‘तुम ठीक कहते हो। लेकिन मुजरिम अगर गलती न करे तो कभी पकड़ा ही न जाये। खैर अब तुम यहीं बैठे बैठे अपने जेल जाने का इंतिजार करो। तुम्हारे पेट का बम अभी निष्क्रिय कर दिया जायेगा।’’
कहकर सिक्योरिटी आफिसर कमरे से बाहर आ गया। अब वह प्रधानमन्त्री के निवास की ओर जा रहा था यह बताने के लिए कि उनके कत्ल की साजिश को नाकाम किया जा चुका है।
--समाप्त--
2 comments:
आपके पोस्ट पर पहली बार आय़ हूं।।पोस्ट अच्छा लगा।मेरे पोस्ट पर आपका सहर्ष स्वागत है।
namskar, kahani rochak aur prernadayak hai.
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