Tuesday, December 1, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 67


‘‘इसलिए, क्योंकि हमारे कबीले का रिवाज है कि यदि कोई बाहरी व्यक्ति कबीले की किसी कन्या से शादी करता है तो उसे कबीले के सारे बच्चे दो साल के लिए सौंप दिये जाते हैं। फिर वे बच्चे उसका वे हाल करते हैं कि वह कुछ समय बाद पागल हो जाता है।’’ मोली ने जानकारी दी।

किन्तु ऐसा क्यों किया जाता है?’’ रामसिंह ने पूछा।
‘‘बात ये है कि कई वर्षों पहले अक्सर बाहरी व्यक्ति आकर कबीले की किसी न किसी लड़की से शादी कर लेते थे। जिसके कारण कबीले के युवकों के लिए लड़कियों का अकाल पड़ जाता था। इस समस्या से निपटने के लिए उस समय के सरदार ने यह नियम बना दिया।’’ 

‘‘फिर किस प्रकार हम और तुम मिल सकते हैं?’’ रामसिंह ने मोली की ठोड़ी पर हाथ रखकर उसे उठाना चाहा, किन्तु उसी समय मोली को छींक आ जाने के कारण उसका यह प्रयास सफल नहीं हो पाया।
‘‘क्यों न हम तुम कहीं भाग चलें?’’ मोली ने नाक सुड़क कर कहा।

‘‘लेकिन भाग कर जायेंगे कहां? चारों ओर तो घना जंगल है।’’
‘‘इसी जंगल में ऐसा स्थान ढूंढेंगे जहाँ कोई हमे न देखे। जहां इस जालिम कबीले के पैर न पहुंच सकें। वहां हम पेड़ काट काटकर एक बड़ा सा घर बनायेंगे। उसमें मैं चैन से सोऊंगी और तुम मेरे पंखा झलना।’’
‘‘लेकिन घर बनाने के लिए पेड़ कौन काटेगा? मैंने तो आजतक एक डाल भी न काटी।’’ रामसिंह ने घबराकर कहा।

‘‘कोई बात नहीं। जब दो तीन काटोगे तो तजुर्बा हो जायेगा। मैंने भी आजतक किसी से प्रेम नहीं किया था लेकिन अब तजुर्बा हो गया और बड़ी आसानी से तुम्हें फंसा लिया।’’
‘‘क्या मतलब?’’ रामसिंह ने चौंक कर उसे देखा।

‘‘मेरा मतलब है कि तुमसे प्रेम करने में मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। हालांकि यह मेरा पहला प्रेम है।’’ मोली ने अपनी बात स्पष्ट की।
‘‘तो ठीक है। यह पक्का हो गया कि हम लोगों को यहां से भागना है। मैं अपने दोस्तों को छोड़ दूंगा और तुम अपनी बस्ती। वैसे भी हमारे यहां का दस्तूर है कि जब किसी की शादी होती है तो लड़के को दोस्त और लड़की को घर छोड़ना पड़ता है।’’

‘‘लेकिन जब हम बस्ती छोड़ देंगे तो हमें अण्डे कैसे मिलेंगे?’’ मोली ने चिन्तित होकर कहा।
‘‘उसकी चिन्ता मत करो। हम लोग जंगल से दो तीन मुर्गियां पकड़ लेंगे। वे हमें अण्डे दिया करेंगी। वैसे भी यहां मेरे दोस्तों को शक हो गया है कि कोई चोर रोज दो अण्डे चुराकर ले जाता है।’’ रामसिंह बोला।

उसी समय उसके सर पर पीछे से लकड़ी का एक टुकड़ा पड़ा और वह चिहुंक कर खड़ा हो गया। उसके साथ साथ मोली भी खड़ी हो गयी। रामसिंह ने पीछे मुड़कर देखा तो प्रोफेसर और शमशेर सिंह कमर पर हाथ रखकर क्रोधित दृष्टि से उसे घूर रहे थे। 

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