उन दोनों की बातों से अनजान रामसिंह बस्ती से कुछ दूर मोली के साथ बैठा हुआ था। वह उसे प्रेम भरी दृष्टि से देख रहा था जबकि मोली अपनी उंगलियों से कच्ची भूमि पर लकीरें खींच रही थी।
घनी झाड़ियों और पेड़ों के झुरमुट के कारण उनके वहाँ से देख लिये जाने की संभावना बहुत कम थी।
घनी झाड़ियों और पेड़ों के झुरमुट के कारण उनके वहाँ से देख लिये जाने की संभावना बहुत कम थी।
रामसिंह ने एक ठण्डी साँस ली और कहने लगा, ‘‘मोली, जब से तुम्हें देखा है प्रेम की नदी में डूब गया हूं। कुछ भी खाता पीता हूं बिल्कुल हजम नहीं होता। हर समय पेट खराब रहने लगा है। रातों को जागता हूं और दिन में सोता हूं। यदि गलती से आँख लग भी जाये तो सपने में तुम ही तुम दिखाई देती हो। मैं तुम्हारी ओर बाहें फैलाता हूं तो वे कमबख्त शमशेर सिंह की तोंद से लिपट जाती हैं, जो मेरी बगल में सोता है। मैंने आजतक सैंकड़ों लड़कियों का पीछा किया, बीसियों को छेड़ा है दसियों सैण्डिल भी खाये हैं। लेकिन प्रेम केवल तुमसे हुआ है। अब तुम मेरा दिल न तोड़ना क्योंकि प्रोफेसर ने अभी तक दिल जोड़ने वाला सीमेण्ट नहीं बनाया है। हालांकि मैंने कई दिन पहले से उसे कह रखा है।’’
मोली ने रामसिंह का प्रेमालाप बीच ही में रोककर साँस ली जो रामसिंह की साँस से कहीं अधिक ठण्डी और लम्बी थी, फिर कहना शुरू किया, ‘‘यही हाल मेरा है मेरे प्रिय देवता। तुम्हारे प्रेम में डूबकर मेरी भूख दोगुनी हो गयी है। पहले दो अण्डों में मेरा पेट भर जाता था, अब चार की आवश्यकता महसूस होती है। जब तक तुम्हें देख नहीं लेती, मुझसे धान नहीं कुटता। केला छीलकर बकरी को खिला देती हूं और छिलका स्वयं खा लेती हूं। कल तम्हारी झलक देखकर नंगे पैर दौड़ी तो मालूम हुआ कि वह जंगल का कोई आवारा सियार था जिसकी काठी तुमसे मिलती जुलती थी। मेरे प्रिय, तुम्हारे प्रेम में कब तक मैं दीवानी बनी रहूंगी?’’ उसने रामसिंह की आँखों में झांककर करूण स्वर में कहा।
‘‘सब्र करो प्रिय मोली।’’ रामसिंह ने दिलासा देते हुए कहा, ‘‘यह तो कुछ भी नहीं है। हमारे देश में ऐसे ऐसे प्रेमी हुए हैं जो प्रेम करने से पहले दीवाने थे, प्रेम करने के बाद और दीवाने हो गये और मरते दम तक दीवाने बने रहे। हमारे यहां ऐसे ऐसे वीर भी हुए हैं जिन्होने प्रेम करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं किया। उसके लिए वे दुनिया से इतनी जोरों से टकराये कि दुनिया हिल कर रह गयी और वे स्वयं चारों खाने चित हो गये। तुम चिन्ता मत करो मैं जल्दी ही सरदार से बात करूंगा कि वे तेरी मेरी शादी कर दें।’’
‘‘श --- शादी । न--नहीं तुम ऐसा कदापि मत करना।’’ मोली ने घबरा कर कहा।
‘‘क्यों?’’ रामसिंह ने आश्चर्य से पूछा।
‘‘क्यों?’’ रामसिंह ने आश्चर्य से पूछा।
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