‘‘नमस्कार देवता पुत्रों। ’’ उसने हाथ जोड़कर कहा।
‘‘नमस्कार। कहो सरदार, क्या बात है?’’ रामसिंह ने अकड़कर पूछा।
‘‘बात ये है देवता पुत्रों, कि हम आपकी बहुत दिनों से भक्ति कर रहे हैं। किन्तु अभी तक उसके बदले में हमें कुछ नहीं प्राप्त हुआ।’’
‘‘आप अपनी भक्ति के बदले में क्या प्राप्त करना चाहते हैं?’’ प्रोफेसर ने पूछा।
‘‘केवल मुर्गियां। हमारी बस्ती का एक जत्था मुर्गियों को पकड़ने के लिए जा रहा है। आप लोग भी उनके साथ जाईए। मुझे आशा है कि आपकी कृपा से काफी मुर्गियां पकड़ी जा सकेंगी।’’
प्रोफेसर ने रामसिंह की ओर देखा फिर सरदार से बोला, ‘‘ठीक है। हम लोग चलने के लिए तैयार हैं।’’
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सरदार की बेटी की संगत से शमशेर सिंह को लाभ भी हुआ था और मुसीबत भी खड़ी हो गयी थी। लाभ इस प्रकार हुआ था कि वह आदमखोरों का भोजन बनने से बच गया था। मुसीबत ये हुई कि अब वह किसी भी प्रकार सरदार की बेटी से पीछा नहीं छुड़ा पा रहा था।
सरदार अब भी जब शमशेर सिंह को देखता था तो अपने होठों पर जबान फेरने लगता था। किन्तु अपनी पुत्री के कारण कुछ कर नहीं पाता था। शमशेर सिंह अब कुछ कुछ उन जंगलियों की भाषा समझने लगा था।
इस समय एक पेड़ तले वह अपने विचारों में गुम था कि उसके कंधे पर पीछे से एक जोरदार हाथ पड़ा और उसके होठों से चीख निकल गयी। क्योंकि हाथ वाकई जोरदार था। उसने पीछे घूमकर देखा तो वहां मोगीचना खड़ी मुस्कुरा रही थी।
‘‘मर गया। ये बला तो पूरी तरह चिमट गयी है।’’ वह बड़बड़ाया। फिर जबरन अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाकर बोला।
‘‘क्या बात है राजकुमारी? क्या फिर भूख लगी है?’’ सरदार की बेटी होने के कारण वह उसे राजकुमारी कहता था।
‘‘तुमने यह क्यों कहा कि मुझे भूख लगी है?’’ मोगीचना ने चौंक कर पूछा।
‘‘इसलिए क्योंकि जब भी तुम मुझसे मिलती हो, केवल खाने पीने की बातें करती हो।’’
‘‘तुमने एकदम सही अंदाजा लगाया। इस समय मैंने एक स्वादिष्ट पकवान तैयार किया है। तुम भी उसे खा लो।’’
शमशेर सिंह ने अपने पेट पर हाथ फेरा। तब उसे मालूम हुआ कि उसे भी भूख लगी है।
उसने पूछा, ‘‘तुमने कौन सा पकवान बनाया है?’’
‘‘मैंने आज जंगली चूहों की कलेजी पकाई है।’’
पकवान का नाम सुनते ही शमशेर सिंह के फेफड़े नीचे और आंतें ऊपर हो गयीं।
‘‘इस पकवान के बनाने से अच्छा था कि तुम मेरी कलेजी पका देतीं।’’ उसने सर पर हाथ मारकर कहा।
‘‘तुम्हारी कलेजी तो तुम्हारे मरने के बाद मैं खाऊँगी । अभी तो मुझे तुमसे प्रेम करना है।’’ उसने शमशेर सिंह के गले में बाहें डालने की कोशिश की किन्तु दोनों के मोटापे के कारण उसका यह प्रयास विफल हो गया।
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