Saturday, October 3, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 35

देवीसिंह और रामसिंह कुछ क्षण जड़वत बने बैठे रहे फिर रामसिंह ने मुंह खोला, ‘‘यार, यह है क्या बला? आज तक इस जानवर के बारे में न तो कहीं पढ़ा और न सुना।’’
‘‘मैं भी यही सोच रहा हूं। हो न हो यह वही जानवर है। और यदि ऐसा है तो---- तो!’’ प्रोफेसर की आखें फैल गयीं।

‘‘क्या बात है प्रोफेसर? कौन सा जानवर’’ रामसिंह ने उसकी ओर घबराकर देखा।
‘‘यह अवश्य ही डाईनासोर है। मैंने किताबों में इसके बारे में पढ़ा है।’’

‘‘मेरा भी यही विचार है कि यह किसी डायन का सर है। किन्तु फिर उस डायन के हाथ और पैर कहा गये?’’
‘‘यह डायन का सर नहीं मूर्ख बल्कि डायनासोर है। एक भयंकर जानवर। जो पहले ज़माने में पाया जाता था। और अब केवल किताबों या फिल्मों में पाया जाता है। अब पहली बार इस जंगल में पाया गया है। मैंने एक खोज कर ली। एक जीवित डाइनासोर की खोज।’’ प्रोफेसर उस जानवर की पीठ पर उछल पड़ा किन्तु इस पर जब उस प्राणी ने पीछे मुड़कर उसे घूरा तो वह सकपकाकर चुप हो गया।

‘‘प्रोफेसर, जल्दी नीचे उतरो। वरना आज हम ऊपर पहुंचने से बच नहीं पायेंगे।’’ रामसिंह ने नीचे उतरना चाहा किन्तु प्रोफेसर ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ लिया।
‘‘पागल न बनो। अभी अगर नीचे उतरने की कोशिश करोगे तो लुढ़क जाओगे। अभी हम सुरक्षित हैं। वरना नीचे उतरते ही यह जानवर मुह बढ़ाकर हमें चट कर जायेगा।’’
‘‘किन्तु यह किधर जा रहा है?’’

‘‘यह तो मुझे भी नहीं मालूम। मुझे लगता है यह अपने निवास पर जा रहा है। -----’’ प्रोफेसर ने आगे भी कुछ कहने का प्रयत्न किया किन्तु रामसिंह ने उसे चुप रहने का संकेत किया।
‘‘यार प्रोफेसर, यह शोर कैसा है? लगता है कई लोग मिलकर चिल्ला रहे हैं।’’
‘‘हा। मुझे भी कुछ ऐसा ही मालूम हो रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कंपनी ने प्लेटिनम की खोज के लिए कुछ और लोगों को भेज दिया हो?’’

‘‘अभी मालूम हो जायेगा। क्योंकि डायनासोर उधर ही बढ़ रहा है। जिधर से आवाज़ें आ रही हैं।’’
‘‘यदि ऐसा हुआ तो हम कंपनी पर मानहानि का दावा ठोंक देंगे। हमारे होते हुए किसी और को प्लेटिनम की खोज पर क्यों लगाया गया।’’ प्रोफेसर ने क्रोधित होकर कहा।

फिर थोड़ी देर बाद उस शोर का करण दिखाई दे गया। जब जानवर उन्हें लेकर एक मैदान में पहुंच गया। इस मैदान के सीन ने रामसिंह और प्रोफेसर का रक्त सोखने के लिए ब्लाटिंग पेपर का काम किया।

2 comments:

Arvind Mishra said...

रोचक सहज शैली !

Arshia Ali said...

चलती का नाम गाडी।
Think Scientific Act Scientific