"धत तेरे की। ये भी कोई एक्सपेरीमेन्ट हुआ। इंसान ही को इंसान बनाकर दिखा दो तो जानें।’’ रामसिंह ने फिलास्फी झाड़ी।
‘‘पहले मैं जानवरों पर एक्सपेरीमेन्ट कर रहा हूं। फिर इंसानों की बारी आयेगी।’’ प्रोफेसर ने बताया।
‘‘ये इस डोंगे में क्या है?? बड़ी बदबू आ रही है।’’ एक डोंगे को उठाकर रामसिंह सूंघने लगा।
‘‘उसमें भैंस का गोबर है।’’ प्रोफेसर ने बताया और रामसिंह डोंगे को रखकर इस प्रकार मुंह बनाने लगा मानो अभी उल्टी हो जायेगी।
‘‘धत तेरे की। प्रोफेसर क्यों इतनी गंदगी फैला रहे हो??’’
‘‘यही तो मेरे प्रयोग का मूल सिद्धान्त है। मनुष्य बनाने के लिए मैं यह गंदगी चुहिया में इंजेक्ट करूंगा। तुम इस प्रकार सोचो कि भैंस का गोबर खेतों में पड़ता है तो उससे अनाज पैदा होता है। यही अनाज जब मनुष्य खाता है तो उसकी सेहत बनती है। बस इसी प्रकार मैं डायरेक्ट गोबर खिलाकर चुहिया को मनुष्य बना दूंगा।’’ प्रोफेसर अपनी थ्योरी समझा रहा था। किन्तु उसे नहीं मालूम था कि उसका यह व्याख्यान इतना ऊंचा है कि रामसिंह के सर पर से गुजरा जा रहा है।
‘‘अच्छा अच्छा ठीक है। अब लैब से बाहर निकलो क्योंकि आज शमशेर सिंह भी बिजी है और मैं अकेला बोर हो रहा हू?’’
‘‘क्यो? क्या कर रहा है शमशेर सिंह?’’ प्रोफेसर ने चौंक कर पूछा।
‘‘आज उसका किसी प्राईवेट कंपनी में इंटरव्यू है। और वह इसकी तैयारी कर रहा है। उसका कहना है कि आज उसे बिल्कुल डिस्टर्ब न किया जाये क्योंकि यह इंटरव्यू उसे हर हाल में निकालना है।’’
‘‘ओह! इसके लिए तो उसे मुझसे मिलना चाहिए था। मैं उसे इंटरव्यू में पूछी जाने वाली पूरी जानकारी दे देता। भला मुझसे अधिक ज्ञान किसे होगा।’’ प्रोफेसर ने अकड़ कर कहा।
‘‘बात तो तुम्हारी सही है प्रोफेसर। इससे पहले भी तुमने तीन बार इंटरव्यू के लिए अपना सम्पूर्ण ज्ञान शमशेर सिंह को घोंट कर पिला दिया था। किन्तु शायद इंटरव्यू वालों के लिए वह ओवरज्ञान हो गया था। अत: उन्होंने शमशेर सिंह को रिजेक्ट कर दिया।’’
‘‘इसमें गलती शमशेर सिंह की थी। उसे इतना नर्वस होने की क्या आवश्यकता थी। खैर चलो उसके घर चलते हैं।’’
फिर प्रोफेसर ने अपनी लैब बन्द की और वे लोग शमशेर सिंह के घर की ओर प्रस्थान कर गये।
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3 comments:
हों तो आगाज बता आरहे हैं की अफसाना लंबा चलेगा
ज़ीशान भाई क्या बात है...
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
Prof. sahab ki theory mein dam to lag raha hai ! :-)
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