Tuesday, March 10, 2009

खयाली संगीतकार (1)

होली के अवसर पर एक मजेदार कहानी

जाफर जैक्सन ने जैसे ही दरवाज़े से अन्दर दाखिल होने के लिए कदम बढाया, उसके सर पर कुछ टपकने लगा. दो पलों तक तो माजरा उसकी समझ में नहीं आया, फिर उसने टपकने वाले द्रव को ऊँगली में लपेट कर सूंघा. बहुत तेज़ सड़े अंडे की महक आ रही थी. उसने घबरा कर अपने सूट की तरफ देखा जिसका उस पीले द्रव ने सत्यानाश कर दिया था. बौखला कर वह आगे बढा और झोंक में चक्कर लगाती हुई गेंदनुमा वस्तु से टकरा गया. दूसरे ही पल करंट के तेज़ झटके ने उसे हवा में कूदने पर मजबूर कर दिया, और पल भर के अन्दर वह किसी के क़दमों तले लेट चुका था. मुंह उठाकर देखा तो प्रोफेसर घनश्याम का चेचक से दागदार चेहरा नज़र आया. प्रोफेसर को देखकर हमेशा उसके तनबदन में आग लग जाती थी, लेकिन मुसीबत यह थी कि उसके बिना काम भी नहीं चलता था.

"आओ जे जैक्सन, ये क्या रास्ता चलने का नया तरीका ढूँढा है तुमने?" प्रोफेसर घनश्याम ने उसे दोनों हाथों से उठाते हुए कहा.
"यह सब तुम्हारी लैब के ऊलजुलूल यंत्रों की हरकत है. ये क्या हाल बना रखा है तुमने अपनी लैब का?" चारों तरफ देखते हुए जाफर जैक्सन बोला. वाकई प्रो,घनश्याम की लैब किसी बड़े कबाड़खाने का मंज़र पेश कर रही थी. और प्रोफेसर के साइंटिस्ट होने के साथ उसके सनकी होने का भी इशारा कर रही थी.

"देखो, तुम मेरे काम में नुक्ताचीनी न करो तो अच्छा है. वरना मैं बहुत बुरी तरह पेश आऊंगा." प्रो.घनश्याम नाक भौं सिकोड़ता हुआ बोला.
"ओ.के. ओ.के. मैं तो मज़ाक कर रहा था." जाफर जैक्सन ने उसे शांत करते हुए कहा. अपना मतलब निकालने के लिए प्रोफेसर को खुश रखना ज़रूरी था.
"तुम कैसे टपक पड़े इस वक़्त?" प्रोफेसर घनश्याम ने उसे चश्मे के ऊपर से घूरते हुए पूछा.
"मैं पूछने आया था की तुमने मेरा काम किया या नहीं?"
"कैसा काम?"
"कितनी बार याद दिलाना पड़ेगा." जाफर जैक्सन ने सर पीटते हुए कहा, "अरे मुझे संगीतज्ञ बनना है. और इसके लिए मुझे तुम्हारी मदद चाहिए."
"अच्छा हाँ, याद आया. तुमने कहा था की जो धुन तुम अपने दिमाग में सोचते हो वह हारमोनियम पर निकल नहीं पाती. मेरी राय मानो और किसी अच्छे म्यूजिक स्कूल में दाखिला लेकर हारमोनियम सीख लो. सब ठीक हो जायेगा."

"यही तो हो नहीं सकता." जैक्सन ने बेबसी से कहा, "पूरी दुनिया जानती है कि मैं बहुत अच्छा संगीतकार हूँ. अब अगर मैंने किसी स्कूल में सीखना शुरू किया तो मेरी बनी बनाई इमेज टूट फूट जायेगी."

"ऐसा कुछ नहीं होगा. क्योंकि मैंने तुम्हारी समस्या का हल ढूंढ लिया है."
"सच!" ख़ुशी से जैक्सन लगभग चीख उठा और प्रोफेसर बुरा सा मुंह बनाकर अपना चेहरा पोंछने लगा. क्योंकि जैक्सन के चेहरे से अच्छा खासा थूक निकलकर उसके चेहरे पर पड़ा था.
"आओ. मैं तुम्हें अपना आविष्कार दिखाता हूँ जो मैंने खासतौर पर तुम्हारे लिए बनाया है." वह जैक्सन को लेकर एक कोने में पहुंचा जहाँ एक हारमोनियम रखा हुआ था. हारमोनियम के ऊपर एक छोटी सी बेल्ट भी दिखाई दे रही थी जिस पर रंग बिरंगे कई बटन लगे हुए थे.

"लो, ये बेल्ट तुम बाँध लो." प्रो.घनश्याम ने बेल्ट उठाकर जैक्सन की तरफ बढ़ाई.
"इतनी छोटी बेल्ट. ये तो मेरी कमर की आधी भी नहीं है."
"बेवकूफ, ये बेल्ट कमर पर नहीं माथे पर बाँधी जायेगी."
जाफर जैक्सन ने बेल्ट अपने माथे पर लगाईं और प्रोफ़ेसर ने हारमोनियम पर लगा एक स्विच दबाया. दूसरे ही पल हारमोनियम अलग अलग सुरों में बजने लगा.
"आयें! ये हारमोनियम अपने आप कैसे बज रहा है?"
"अपने आप नहीं बल्कि इसे तुम बजा रहे हो."
"देखिये प्रोफ़ेसर साहब, मैं शक्ल से बेवकूफ लगता हूँ इसका ये मतलब नहीं की आप मेरा मज़ाक उड़ायें. हारमोनियम मेरे हाथों से बीस फिट दूर है. फिर मैं उसे कैसे बजा सकता हूँ?" जाफर जैक्सन बुरा मानकर बोला.

"पूरी बात सुनो गधे. ये हारमोनियम मेरा अनोखा आविष्कार है. मस्तिष्क से निकलने वाली बीटा तरंगों के आधार पर यह कार्य करता है. थ्योरी यह है की जब हम कुछ सोचते हैं तो हमारा मस्तिष्क विशेष प्रकार की तरंगें उत्पन्न करता है. ये बीटा तरंगें कहलाती हैं. इन तरंगों का उतार चढाव हमारे विचारों पर निर्भर होता है. तुम्हारे माथे पर जो बेल्ट बंधी है वह तुम्हारी बीटा तरंगों को हारमोनियम पर रिसीव कर रही है. इसलिए जैसे ही तुम कोई धुन सोचोगे, बीटा तरंगों की मदद से हारमोनियम उसे अपने आप बजा देगा." अपनी बात ख़त्म करके जब प्रोफ़ेसर घनश्याम जाफर की तरफ घूमा तो जाफर अपना सर पकड़कर नीचे बैठ चुका था.

"तुमने जो कुछ भी बताया प्रोफ़ेसर, सब मेरे सर से दो फिट ऊपर निकल गया है. खैर ये हारमोनियम बनाने का बहुत बहुत शुक्रिया. अब मैं इसकी मदद से दुनिया का नंबर वन संगीतकार बन जाऊँगा." जाफर जैक्सन ने आगे बढ़कर हारमोनियम उठा लिया.
"ठहरो. पहले इसे बनाने की फीस तो देते जाओ."
"जब मैं दुनिया का नंबर वन संगीतकार बन जाऊँगा तो अपनी रोयल्टी का आधा हिस्सा तुम्हारे नाम कर जाऊँगा." कहकर जाफर बाहर निकल चुका था. प्रोफ़ेसर अपना सर पकड़कर बैठ गया.
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अपने कमरे में बैठा जाफर जैकसन प्रोफ़ेसर घनश्याम के दिए हारमोनियम को घूर रहा था. "कहीं प्रोफ़ेसर ने मुझे उल्लू तो नहीं बना दिया. इसे चेक करके देखना चाहिए." उसने पट्टी अपने सर पर बाँधी और हारमोनियम का स्विच ऑन कर दिया. इस समय माइकेल जैक्सन के किसी रॉक एन रोल की धुन उसके दिमाग में उभर रही थी. स्विच ऑन करते ही हारमोनियम बज उठा. जाफर जैक्सन ख़ुशी से पागल हो उठा. क्योंकि हारमोनियम बाकायदा रॉक एन रोल की धुन निकाल रहा था. ठीक वही धुन जो जैक्सन के दिमाग में बज रही थी. अपनी धुन पर जैक्सन ने खुद ही डांस करना शुरू कर दिया. वह ऑंखें बंद करके मस्ती में नाच रहा था.
थोडी देर बाद उसे महसूस हुआ की कोई और भी उसके साथ कमरे में नाच रहा है.
"ओह! लगता है मेरी मस्त म्यूजिक सुनकर सुंदरियाँ पधारी हैं." उसने आँखें खोलीं और कमरे का नज़ारा देखकर हक्का बक्का रह गया. पूरा कमरा पड़ोस के असलम भाई की बकरियों से भर गया था. जो उसके संगीत के जोश में भरी पूरे कमरे का सत्यानाश कर रही थीं.

एक ठंडी सांस लेकर जाफर जैक्सन हारमोनियम पर गिर गया.
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3 comments:

Arvind Mishra said...

हा हा हा पूरी तरह होलियाना मूड में हो भाई जीशान-बेहतरीन हास्य विज्ञानं कथा !

seema gupta said...

रंगों के पर्व होली की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामना .

Regards

Reema said...

सचमुच मजेदार!
आगे का इंतज़ार!!