अंत में वह दिन आ गया जिसका जाफर जैक्सन को बरसों से इन्तिज़ार था. उसने कल्लू कबाड़ीवाले को पटाने में कामयाबी हासिल कर ली थी. कल्लू कबाड़ीवाला उसकी नज़र में बहुत पैसेवाला था. जिसके घर में फ्रिज, टी.वी., वाशिंग मशीन के साथ साथ कैक्टस के पौधे भी मौजूद थे जो हर बड़े घर में पाए जाते हैं. उसने कल्लू से अपने प्रोग्राम को स्पोंसर करने की बात की.
"देखो जी, तुम्हारे प्रोग्राम को स्पोंसर करने से हमारे कबाड़ के बिजनेस को कोई फायदा नहीं होना. इसलिए हम तुम्हारे प्रोग्राम को स्पोंसर नहीं करेंगे." कल्लू कबाड़ीवाले वाले ने जवाब दिया.
"अरे कल्लू भाई, फायदे के लिए प्रोग्राम स्पोंसर नहीं किया जाता बल्कि दिलचस्पी के लिए किया जाता है."
"हमारा भेजा मत चाटो जी. हमें तुम्हारे प्रोग्राम में कोई दिलचस्पी नहीं. हाँ एक मदद कर सकता हूँ. इधर हमारे कबाड़ में दो चार टूटे फूटे सितार, गिटार और तबले आ गए हैं. उन्हें उठाओ और अपने प्रोग्राम में बजा डालो."
जाफर जैक्सन दो मिनट तक सोचता रहा कि इस टेढी खीर को कैसे सीधा किया जाए. फिर चुटकी बजाकर बोला, "कल्लू भाई सुनिए तो मेरे प्रोग्राम को स्पोंसर करने में आपका बहुत बड़ा फायदा है."
"कैसा फायदा?" नाक भौं सिकोड़ते हुए कल्लू कबाड़ीवाले ने पूछा.
"इससे पहले मेरे जितने स्टेज प्रोग्राम हुए हैं. सब में पूरा स्टेज जूते चप्पलों और तरह तरह के कबाड़ से भर गया था. लोग मेरे गायन से खुश होकर ये चीज़ें मुझे सप्रेम भेंट करते हैं. इसीलिए मेरे प्रोग्राम से कबाड़ीवालों को बहुत फायदा होता है कल्लू भाई."
जाफर जैक्सन की बात सुनकर कल्लूभाई सोच में पड़ गए.
"ये तो तूने गजब की बताई. मैं तुम्हारे प्रोग्राम को स्पोंसर करने के लिए तैयार हूँ. ये मेरी तरफ से एडवांस रख लो." कल्लू भाई ने अपनी टूटी फूटी तिजोरी से दो रुपये निकाले और जाफर जैक्सन की जेब में डाल दिए.
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जाने माने संगीतकार जाफर जैक्सन का प्रोग्राम शुरू होने में बस कुछ क्षण शेष थे. प्रोग्राम को स्टेज तक पहुंचाने में जैक्सन के साथियों का बहुत बड़ा योगदान था. क्योंकि उन्होंने अपने हाथ से मैदान में भरे गोबर और कीचड को साफ किया था. दरअसल बहुत दिन से खाली पड़े इस मैदान में ग्वालों और उनकी भैंसों ने स्थाई कब्ज़ा जमा लिया था.
तालियों की गड़गडाहट के बीच जाफर जैक्सन ने अपने चमत्कारी हारमोनियम के साथ स्टेज पर प्रवेश किया. प्रोफेसर का दिया हारमोनियम जैक्सन की चाल में आत्मविश्वास पैदा कर रहा था. उसे अपनी सफलता पर पूरा विश्वास था. माथे पर बेल्ट उसने पहले ही बाँध ली थी.
हारमोनियम का स्विच उसने ऑन किया. दूसरे ही पल हारमोनियम एक मधुर आवाज़ बिखेर रहा था. पूरा मजमा भावविभोर होकर सुनने लगा. तालियों की गड़गडाहट की आवाजें जैक्सन को हवा में उडाने लगीं और वह अपने को अमेरिका का राष्ट्रपति समझने लगा.
"अरे अमेरिका का राष्ट्रपति मेरे सामने क्या चीज़ है. दूसरे देशों पर बम और मिसाइलें दाग दागकर ज़बरदस्ती बड़ा आदमी बना हुआ है. एक दिन मैं उसकी मिसाइलें दूसरे देशों पर फेंक कर उनपर अपना कब्ज़ा जमा लूँगा." ख्यालों में ही जाफर जैक्सन को हर तरफ मिसाइलें तेज़ आवाज़ के साथ उड़ती दिखाई दे रही थीं.
फिर उसे आभास हुआ की मिसाइलों की ये आवाजें ख्यालों में नहीं बल्कि हकीकत में निकल रही हैं. उसने चौंक कर हारमोनियम की तरफ देखा. प्रोफ़ेसर घनश्याम के इस आविष्कार ने जाफर जैक्सन के विचारों को कैच कर लिया था और अब मधुर संगीत की बजाये मिसाइलों की आवाजें निकालने लगा था.
फिर उन आवाजों में बम के धमाके भी शामिल हो गए और जाफर जैक्सन घबराकर स्टेज पर उछल कूद करने को मजबूर हो गया. घबराहट में उसके मस्तिष्क ने संगीत की धुनों को मिसाइल और बम के धमाकों से मिक्स कर दिया था. नतीजे में हारमोनियम से अजीबोगरीब धुनें पैदा होने लगी थीं. इस ऊबड़ खाबड़ धुनों से कदम मिलाते हुए डांस करने में उसके पसीने छूटने लगे थे. हाथ पैर और सर किधर जा रहे हैं उसे इसका भी होश नहीं था.
एकाएक हारमोनियम शांत हो गया. दरअसल उसकी बैटरी ख़त्म हो गई थी. बुरी तरह घबराया जाफर जैक्सन अब इन्तिज़ार कर रहा था पब्लिक की तरफ से आने वाले जूते चप्पलों और सड़े टमाटरों का. प्रोफ़ेसर घनश्याम के लिए उसके दिमाग में दुनिया की सारी गालियाँ इस तरह मंडरा रही थीं जैसे सूर्य के चारों तरफ ग्रह मंडराते हैं.
लेकिन यह क्या, पूरे मजमे पर तो शांति छाई थी. फिर यह शान्ति तालियों के ज़बरदस्त शोर से टूट गई. जाफर जैक्सन का यह टेढा मेढा संगीत पब्लिक के बीच हिट हो गया था. ज़िन्दगी में पहली बार जाफर जैक्सन को इतनी ज़बरदस्त सफलता मिली थी. फ़ौरन चार पांच म्यूजिक कंपनियों के डायेरेक्टरों ने उसे साइन कर डाला.
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लेकिन अगले दिन जाफर जैक्सन अपने ठिकाने से लापता हो गया था. दरअसल वह प्रो.घनश्याम के सामने मौजूद था.
"लो प्रोफ़ेसर, अपना हारमोनियम संभालो."
"क्यों? क्या इसमें कोई खराबी आ गई है?" हैरत से प्रोफ़ेसर ने पूछा.
"खराबी मेरे भेजे में आ गई थी, जो मैंने इसे बनवाया. कल तो मैं पब्लिक की बेवकूफी से पिटते पिटते बच गया. लेकिन काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती. अगर पब्लिक को मालुम हो गया कि मैं धोखा कर रहा हूँ तो वह पल भर में मेरा बेडा गर्क कर देगी." जाफर जैक्सन ने जेब से बेल्ट निकालकर प्रोफ़ेसर के सामने रखी और बाहर की राह ली.
प्रोफ़ेसर बेवकूफों की तरह कभी हारमोनियम को तो कभी दरवाज़े की तरफ देख रहा था जहाँ से अभी अभी जैक्सन निकल गया था.
------समाप्त--------
लेखक - जीशान हैदर जैदी
"देखो जी, तुम्हारे प्रोग्राम को स्पोंसर करने से हमारे कबाड़ के बिजनेस को कोई फायदा नहीं होना. इसलिए हम तुम्हारे प्रोग्राम को स्पोंसर नहीं करेंगे." कल्लू कबाड़ीवाले वाले ने जवाब दिया.
"अरे कल्लू भाई, फायदे के लिए प्रोग्राम स्पोंसर नहीं किया जाता बल्कि दिलचस्पी के लिए किया जाता है."
"हमारा भेजा मत चाटो जी. हमें तुम्हारे प्रोग्राम में कोई दिलचस्पी नहीं. हाँ एक मदद कर सकता हूँ. इधर हमारे कबाड़ में दो चार टूटे फूटे सितार, गिटार और तबले आ गए हैं. उन्हें उठाओ और अपने प्रोग्राम में बजा डालो."
जाफर जैक्सन दो मिनट तक सोचता रहा कि इस टेढी खीर को कैसे सीधा किया जाए. फिर चुटकी बजाकर बोला, "कल्लू भाई सुनिए तो मेरे प्रोग्राम को स्पोंसर करने में आपका बहुत बड़ा फायदा है."
"कैसा फायदा?" नाक भौं सिकोड़ते हुए कल्लू कबाड़ीवाले ने पूछा.
"इससे पहले मेरे जितने स्टेज प्रोग्राम हुए हैं. सब में पूरा स्टेज जूते चप्पलों और तरह तरह के कबाड़ से भर गया था. लोग मेरे गायन से खुश होकर ये चीज़ें मुझे सप्रेम भेंट करते हैं. इसीलिए मेरे प्रोग्राम से कबाड़ीवालों को बहुत फायदा होता है कल्लू भाई."
जाफर जैक्सन की बात सुनकर कल्लूभाई सोच में पड़ गए.
"ये तो तूने गजब की बताई. मैं तुम्हारे प्रोग्राम को स्पोंसर करने के लिए तैयार हूँ. ये मेरी तरफ से एडवांस रख लो." कल्लू भाई ने अपनी टूटी फूटी तिजोरी से दो रुपये निकाले और जाफर जैक्सन की जेब में डाल दिए.
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जाने माने संगीतकार जाफर जैक्सन का प्रोग्राम शुरू होने में बस कुछ क्षण शेष थे. प्रोग्राम को स्टेज तक पहुंचाने में जैक्सन के साथियों का बहुत बड़ा योगदान था. क्योंकि उन्होंने अपने हाथ से मैदान में भरे गोबर और कीचड को साफ किया था. दरअसल बहुत दिन से खाली पड़े इस मैदान में ग्वालों और उनकी भैंसों ने स्थाई कब्ज़ा जमा लिया था.
तालियों की गड़गडाहट के बीच जाफर जैक्सन ने अपने चमत्कारी हारमोनियम के साथ स्टेज पर प्रवेश किया. प्रोफेसर का दिया हारमोनियम जैक्सन की चाल में आत्मविश्वास पैदा कर रहा था. उसे अपनी सफलता पर पूरा विश्वास था. माथे पर बेल्ट उसने पहले ही बाँध ली थी.
हारमोनियम का स्विच उसने ऑन किया. दूसरे ही पल हारमोनियम एक मधुर आवाज़ बिखेर रहा था. पूरा मजमा भावविभोर होकर सुनने लगा. तालियों की गड़गडाहट की आवाजें जैक्सन को हवा में उडाने लगीं और वह अपने को अमेरिका का राष्ट्रपति समझने लगा.
"अरे अमेरिका का राष्ट्रपति मेरे सामने क्या चीज़ है. दूसरे देशों पर बम और मिसाइलें दाग दागकर ज़बरदस्ती बड़ा आदमी बना हुआ है. एक दिन मैं उसकी मिसाइलें दूसरे देशों पर फेंक कर उनपर अपना कब्ज़ा जमा लूँगा." ख्यालों में ही जाफर जैक्सन को हर तरफ मिसाइलें तेज़ आवाज़ के साथ उड़ती दिखाई दे रही थीं.
फिर उसे आभास हुआ की मिसाइलों की ये आवाजें ख्यालों में नहीं बल्कि हकीकत में निकल रही हैं. उसने चौंक कर हारमोनियम की तरफ देखा. प्रोफ़ेसर घनश्याम के इस आविष्कार ने जाफर जैक्सन के विचारों को कैच कर लिया था और अब मधुर संगीत की बजाये मिसाइलों की आवाजें निकालने लगा था.
फिर उन आवाजों में बम के धमाके भी शामिल हो गए और जाफर जैक्सन घबराकर स्टेज पर उछल कूद करने को मजबूर हो गया. घबराहट में उसके मस्तिष्क ने संगीत की धुनों को मिसाइल और बम के धमाकों से मिक्स कर दिया था. नतीजे में हारमोनियम से अजीबोगरीब धुनें पैदा होने लगी थीं. इस ऊबड़ खाबड़ धुनों से कदम मिलाते हुए डांस करने में उसके पसीने छूटने लगे थे. हाथ पैर और सर किधर जा रहे हैं उसे इसका भी होश नहीं था.
एकाएक हारमोनियम शांत हो गया. दरअसल उसकी बैटरी ख़त्म हो गई थी. बुरी तरह घबराया जाफर जैक्सन अब इन्तिज़ार कर रहा था पब्लिक की तरफ से आने वाले जूते चप्पलों और सड़े टमाटरों का. प्रोफ़ेसर घनश्याम के लिए उसके दिमाग में दुनिया की सारी गालियाँ इस तरह मंडरा रही थीं जैसे सूर्य के चारों तरफ ग्रह मंडराते हैं.
लेकिन यह क्या, पूरे मजमे पर तो शांति छाई थी. फिर यह शान्ति तालियों के ज़बरदस्त शोर से टूट गई. जाफर जैक्सन का यह टेढा मेढा संगीत पब्लिक के बीच हिट हो गया था. ज़िन्दगी में पहली बार जाफर जैक्सन को इतनी ज़बरदस्त सफलता मिली थी. फ़ौरन चार पांच म्यूजिक कंपनियों के डायेरेक्टरों ने उसे साइन कर डाला.
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लेकिन अगले दिन जाफर जैक्सन अपने ठिकाने से लापता हो गया था. दरअसल वह प्रो.घनश्याम के सामने मौजूद था.
"लो प्रोफ़ेसर, अपना हारमोनियम संभालो."
"क्यों? क्या इसमें कोई खराबी आ गई है?" हैरत से प्रोफ़ेसर ने पूछा.
"खराबी मेरे भेजे में आ गई थी, जो मैंने इसे बनवाया. कल तो मैं पब्लिक की बेवकूफी से पिटते पिटते बच गया. लेकिन काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती. अगर पब्लिक को मालुम हो गया कि मैं धोखा कर रहा हूँ तो वह पल भर में मेरा बेडा गर्क कर देगी." जाफर जैक्सन ने जेब से बेल्ट निकालकर प्रोफ़ेसर के सामने रखी और बाहर की राह ली.
प्रोफ़ेसर बेवकूफों की तरह कभी हारमोनियम को तो कभी दरवाज़े की तरफ देख रहा था जहाँ से अभी अभी जैक्सन निकल गया था.
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लेखक - जीशान हैदर जैदी
5 comments:
होली की बहुत बहुत बधाई .......
"...कैक्टस के पौधे भी मौजूद थे जो हर बड़े घर में पाए जाते हैं"
हा हा - सत्य वचन!
Shayad Jaikson ne thik hi kiya. Holi ki shubhkaamnayein.
मजेदार कहानी।
अरे यह तो नहले पर दहला रहा !
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