Thursday, February 26, 2009

विज्ञान कथा - अवतार (३)

राजेश ने अपने डिपार्टमेंट के कंप्यूटर सेक्शन में सी.डी. का वह टुकडा दिखाया और फ़िर उस टुकड़े पर रिसर्च की जाने लगी. जल्दी ही कंप्यूटर विशेषज्ञ ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी.
"सी. डी. के उस टुकड़े से हमें कुछ विजुअल्स प्राप्त हुए हैं, जो हमारी पृथ्वी के नहीं हैं. वह दृश्य वास्तव में मंगल ग्रह के हैं." "तो क्या बाबा त्यागराज मंगल ग्रहवासी है? लेकिन सी.डी. तो इसी पृथ्वी की है न?' "हाँ. उसपर बने मोनोग्राम के मुताबिक वह एक्स देश में मैनुफैक्चर हुई है." "मामला काफी उलझ गया है." राजेश ने विशेषज्ञ के हाथ से सी.डी. का टुकडा ले लिया और उसे अपनी उँगलियों के बीच नचाने लगा. इस बीच विशेषज्ञ ने सी.डी. से प्राप्त फोटोग्राफ्स राजेश के सामने लाकर रख दिए. राजेश ने फोटोग्राफ्स को गौर से देखना शुरू कर दिया.

"ये फोटोग्राफ्स हूबहू वैसे हैं जैसे नासा के यान मंगल ग्रह की सतह से प्रेषित करते हैं. बस केवल एक फर्क है."
"वह क्या?" राजेश ने पूछा. "इनमें स्पष्टता बहुत है. ऐसा लगता है किसी ने अपने हाथों से ये चित्र उतारे हैं. जबकि अन्तरिक्ष यान से प्राप्त चित्रों में हलकी सी झिलमिलाहट होती है." विशेषज्ञ की बात सुनकर राजेश सोच में डूब गया.

जब राजेश ने कंप्यूटर विशेषज्ञ के निष्कर्ष अपने साथियों के सामने रखे तो सब उसका मुंह ताकने लगे. "इसका तो एक ही निष्कर्ष निकलता है की बाबा त्यागराज मंगल ग्रह का वासी है और सुबूत के तौर पर वह सी.डी. साथ लाया था. क्यों नाजिया!" राजेश के एक साथी ने मजाकिया लहजे में कहा.

"मंगल ग्रह तो नहीं. लेकिन उसका एक्स देश से ज़रूर कोई गहरा सम्बन्ध है." नाजिया ने गंभीर लहजे में कहा. "हाँ, मैं भी यही सोच रहा हूँ." राजेश ने कहा, "तुमने बाबा की झोंपडी में जिन एक्स देशवासियों को देखा था, वे इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूत्र दे सकते हैं. उनपर हाथ डालना पड़ेगा."

"लेकिन बहुत संभलकर. वरना बाबा के हजारों शागिर्द हमारा कचूमर बना डालेंगे." राजेश के साथी ने कहा.
-------------

जल्दी ही राजेश बाबा के एक साथी को पकड़ने में कामयाब हो गया जो एक्स देश का वासी था. उससे राज़ उगलवाने के लिए राजेश ने एक अनोखा तरीका अपनाया.

देश के मशहूर साइंटिस्ट डा० अरुण कुमार ने एक अनोखी मशीन कुछ दिनों पहले रा को भेंट की थी. यह मशीन किसी भी शख्स के मस्तिष्क को अपने कंट्रोल में लेते हुए उसकी स्मृति में छुपे हुए राज़ उगलवा लेती थी.
एक्स देश के उस व्यक्ति को मशीन से अटैच्ड कुर्सी पर बिठा दिया गया. उसके बाद जो कुछ उसने उगला, वह किसी को भी हैरतज़दा कर सकता था.

वह शिष्य दरअसल एक्स देश के रक्षा विभाग का एक महत्वपूर्ण व्यक्ति था, और बाबा त्यागराज वास्तव में वहां की लैब का एक प्रोडक्ट था. वह व्यक्ति हिप्नोटाइज्ड अवस्था में बोल रहा था, "दरअसल पृथ्वी के अलावा इस सौरमंडल में जितने भी ग्रह हैं, कहीं भी जीवन नहीं है. यहाँ तक कि पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा भी पूरी तरह वीरान है. इस कारण उन ग्रहों पर मनुष्य का भेजना एक दुष्कर कार्य है. उन्हें अपने जीवन हेतु आक्सीजन सिलिंडर भी ले जाना पड़ता है और पानी तथा भोजन भी. ऐसे में एक्स देश के अन्तरिक्ष अनुसंधान केन्द्र ने ऐसे मानव का कांसेप्ट दिया जो बिना हवा पानी और भोजन के जीवित रह सके. इस पर अनुसंधान शुरू कर दिया गया. प्रयोगों के लिए बहुत से बच्चे तीसरी दुनिया के देशों से अवैध रूप से खरीदे गए और चुपचाप ये अनुसंधान होने लगे. उन बच्चों में बाबा त्यागराज भी शामिल था, जो भारत के एक कोने से अपह्रत किया गया था.

हमारे एक्सपेरिमेंट्स की शुरुआत इस तरह हुई कि मनुष्य को पहले भोजन और पानी से मुक्त किया जाए. दरअसल मनुष्य के शरीर के लिए जो तत्व आवश्यक हैं, वह सभी वायु में मौजूद हैं. जैसे पानी जो की हाइड्रोजन और आक्सीजन का योगिक है और ये दोनों तत्व वायु में पाये जाते हैं. इसी प्रकार भोजन के तत्व अर्थात कार्बन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन और आक्सीजन भी वायु के ही अंग हैं. आवश्यकता इस बात की है इनसे पानी तथा भोजन के अणु बना लिए जाएँ जिन्हें मानवीय शरीर ग्रहण कर ले. कुछ हद तक पौधे इस कार्य को करते हैं अर्थात प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा वे भोजन तैयार कर लेते हैं. इसके लिए उनकी पत्तियों में मौजूद क्लोरोप्लास्ट की भूमिका अहम् होती है.
मनुष्य में ये गुण पैदा करने के लिए हमें उसके मूल ढाँचे में परिवर्तन करना पड़ा. दरअसल मनुष्य की सभी मूल क्रियाएं उसकी कोशिकाओं में होती हैं, और उन कोशिकाओं को कंट्रोल करता है एक सूक्ष्म कंप्यूटर जो हर कोशिका में मौजूद होता है, अर्थात डी.एन.ए. इसी डी.एन.ए. के निर्देशों के अनुसार कोशिकाएं भोजन तथा पानी को अमीनो एसिड तथा ऊर्जा में परिवर्तित करती हैं. जिसका इस्तेमाल मानव शरीर करता है.

हमने डी.एन.ए. तथा कोशिकीय ढाँचे में परिवर्तन करके मानव शरीर में ऐसी सूक्ष्म मशीनें तैयार कर दीं जो वायु से आक्सीजन, हाइड्रोजन तथा अन्य तत्वा लेकर पानी, अमीनो एसिड तथा ऊर्जा निर्मित कर सकती थीं. सोलह हज़ार बच्चों में केवल एक सफलता मिली, जो बाबा त्यागराज के रूप में सामने आया. हमारे देश ने गुप्त रूप से त्यागराज को मंगल गृह पर भेजा. त्यागराज के शरीर की कोशिकीय मशीनों को चलने के लिए केवल सूर्या के प्रकाश की आवश्यकता पड़ती है. नतीजे में उसने सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की यात्रा की और वापस आ गया.

उसी समय हमारे देश के राष्ट्रपति ने एक योजना बनाई. भारत हमारे देश के लिए एक बड़ा बाज़ार है. लेकिन उस बाज़ार के एक बड़े हिस्से पर दूसरे देशों का कब्ज़ा है. पूरे बाज़ार पर कब्ज़ा करने के लिए हमने एक नीति बनाई. भारत चमत्कारों का देश है. और बाबा त्यागराज से बड़ा चमत्कार और क्या हो सकता है. अगर भारत में बाबा त्यागराज को भगवान् का अवतार मान लिया जाए और यह अवतार एक्स देश के हक में बोल दे तो फिर भला कौन उसकी बात काटने की जुर्रत कर सकता है. सोने पर सुहागा तब होगा जब दंगे और फसादों के बीच बाबा का नाम उभरकर सामने आये." वह व्यक्ति इतना बोलकर चुप हो चूका था. सुनने वालों की जुबानें तो पहले ही गुंग थीं.
------------

कल अंतिम किस्त में बाबा का अंजाम

No comments: