Saturday, October 18, 2008

ताबूत - एपिसोड 14

"वाकई? किस जगह पर मिला?"

"उधर पश्चिम की ओर." शमशेर सिंह ने संकेत करते हुए कहा, "एक छोटा सा दर्रा है, जो पत्थर से बंद था. इस कारण हमारी दृष्टि उस पर नही पड़ी थी. बाद में गौर से देखने पर मालूम हुआ कि वह पत्थर पहाडी का हिस्सा नही है. बल्कि अलग से जमा हुआ है. हम लोगों ने थोड़ी कोशिश की और पत्थर को उसके स्थान से हटा दिया. अन्दर वह दर्रा एक सुरंग की तरह था जो काफ़ी लम्बी चली गई थी."

"क्या उस सुरंग का दूसरा सिरा पहाडी के दूसरी तरफ़ निकलता है?" रामसिंह ने पूछा.

"हम लोग उसके सिरे तक नही पहुँच सके. किंतु उस सुरंग की बनावट से मैंने यही अनुमान लगाया है कि वह पहाडी को पार करती है. हम लोग काफी पीकर उसी रास्ते से चलेंगे."
वे लोग काफी पीने लगे. काफी पीने के बाद प्रोफ़ेसर ने भूरे रंग की एक टहनी निकली और उसे अपने सूटकेस में रखने लगा.

"यह क्या है प्रोफ़ेसर?" रामसिंह ने पूछा.

"यह मुझे सुरंग के पास मिली थी. और इसके बारे में मेरा ख्याल है कि इसका सुरमा बनाकर आँखों में लगाने से मोतियाबिंद और रतौंधी का रोग दूर हो जाता है."
"प्रोफ़ेसर, तुम तो साइंस के एक्सपर्ट हो. एक बात बताओगे?" रामसिंह अपना सर खुजलाते हुए बोला.
"एक क्या हज़ार बातें पूछो." प्रोफ़ेसर ने खुश होकर कहा.

"मैंने सुना है कि मनुष्य पहले बन्दर था. क्या ये बात सच है?"

"बिल्कुल सच है. यह बात तो विश्व के महान वैज्ञानिक डार्विन ने बताई थी. उसने अपना पूरा जीवन बंदरों के बीच बिताने के बाद यह महान सिद्धांत दिया."
"तो फिर वह बन्दर से मनुष्य कैसे बना?" रामसिंह ने पूछा.

"मैंने एक किताब में पढ़ा है कि परमाणु युद्ध के बाद जातियों में परिवर्तन हो जाता है. इसलिए मेरा ख्याल है कि जब बन्दर बहुत विकसित हो गए तो उन्हें अपना बंदरों वाला चेहरा ख़राब लगने लगा. इसलिए उन्होंने अपनी जाति बदलने के लिए परमाणु युद्ध छेड़ दिया. उसके बाद उनकी जाति में परिवर्तन हो गया और वे बन्दर से मनुष्य बन गए."
"तुमने सही कहा प्रोफ़ेसर. मेरा ख्याल है कि आजकल भी इसी कारण परमाणु युद्ध की तैयारियां हो रही हैं. क्योंकि मनुष्य को अपनी शक्ल ख़राब लगने लगी है और वह इंसान से कुछ और बनना चाहता है." शमशेर सिंह ने अपनी राय ज़ाहिर की.
"तुमने बिल्कुल सही कहा शमशेर सिंह. मेरा विचार भी यही है. तुम ज़रूर मेरे शिष्य बनने के काबिल हो." प्रोफ़ेसर ने शमशेर सिंह की पीठ थपथपाई.
"एक बात और बताओ, " रामसिंह ने कहा, "क्या मनुष्य वास्तव में चाँद पर पहुँच गया है?"

4 comments:

seema gupta said...

तुमने सही कहा प्रोफ़ेसर. मेरा ख्याल है कि आजकल भी इसी कारण परमाणु युद्ध की तैयारियां हो रही हैं. क्योंकि मनुष्य को अपनी शक्ल ख़राब लगने लगी है और वह इंसान से कुछ और बनना चाहता है." शमशेर सिंह ने अपनी राय ज़ाहिर की.
" wow unbelievable thought, but rightly asked... intersting.."

Regards

फ़िरदौस ख़ान said...

अच्छी पोस्ट है...पढ़कर अच्छा लगा...

अभिषेक मिश्र said...

Parmanu yudh ki taiyariyon par acha comment diya aapne.

admin said...

कहानी अपने उरूज पर है।.
इसे फिर से पढवाने का शुक्रिया।