Thursday, March 18, 2021

अधूरा हीरो - भाग 1

यह दास्तान उस वक्त शुरू होने वाली है जब न हम इस दुनिया में होंगे और न आप। लेकिन हो सकता है आप के बच्चों के बच्चे या उनके बच्चे इस दास्तान का हिस्सा बनने के लिये मौजूद हों। लेकिन जो भी उस समय मौजूद होगा, उसके लिये वक्त बहुत मुश्किल होगा।

क्योंकि एक बहुत ही धूर्त व क्रूर शासक के अत्याचारों से दुनिया तंग हो चुकी है। उसका नाम है फीरान।
इतिहास के समस्त कमीनों व शैतानों का जीता जागता वारिस है फीरान।

मामूली गलतियों पर जब वह किसी को सज़ा देता है तो उस सज़ा को देखने वाला भी काँप उठता है। उसके ईजादकर्दा इलेक्ट्रानिक कोड़े सज़ा पाने वाले का दर्द कई गुना बढ़ा देते हैं। और जब सज़ा पाने वाला मनुष्य दर्द से तड़पता है तो फीरान के हलक़ से क़हक़हे फूटते हैं। दूसरों को यातना में देखकर वह आनन्द का अनुभव करता है।

उसके वैज्ञानिकों द्वारा बनाया हुआ जासूसी सिस्टम हर समय एक एक घर का जायज़ा लेता रहता है। अगर कहीं भी उसे कोई लड़की पसंद आ जाती है तो उसके सैनिक ज़बरदस्ती उठाकर उसके महल में पहुंचा देते हैं। उसकी हुकूमत में न तो किसी की शराफत की कोई अहमियत है और न ही किसी की इज़्ज़त सुरक्षित है।  

फीरान का कब्ज़ा पूरी दुनिया पर हो चुका था। लेकिन एक छोटे से देश ने अभी उसकी अधीनता स्वीकार नहीं की थी। इंडियाना नामी यह देश अपनी कम शक्ति के बावजूद उसके मुकाबले में डटा हुआ था।
 
इस देश के जाँबाज़ योद्धा अपनी आज़ादी को क़ायम रखने के लिये फीरान की हाई टेक सेना से संघर्ष कर रहे थे। हालात ये थे कि फीरान की हाई-टेक सेना की घातक डेथ किरणों से निर्दोष नागरिकों को बचाने के लिये ये योद्धा अपने सीने को सीसा पिलायी दीवार बनाकर उन किरणों के सामने खड़ी कर देते थे और हंसते हंसते मौत की आगोश में समा जाते थे।
 
लेकिन कब तक?
 
फीरान अपने महल में सोने व हीरों से बने सिंहासन पर बैठा हुआ था, और उन योद्धाओं को डेथ किरणों द्वारा भस्म होते देखकर कहकहे लगा रहा था।
 
उसके महल की सामने की दीवार किसी बड़े टीवी स्क्रीन की तरह रोशन थी और उसपर इंडियाना के योद्धाओं का संघर्ष उसकी भारी भरकम सेना के साथ साफ साफ दिखाई दे रहा था। फीरान की सेना में रोबोट ज़्यादा थे और हाड़ माँस के मनुष्य कम। यही वजह थी कि ये सामने वाले की हत्या करते समय ज़रा भी दर्द महसूस नहीं करते थे।
फीरान ने देखा, उसकी सेना के रोबोट ने एक योद्धा पर डेथ बीम फेंकी और वह योद्धा फुर्ती के साथ किनारे हो गया। लेकिन उसी समय उधर से भी एक डेथ बीम आयी और योद्धा ने एक बार फिर बेमिसाल फुर्ती का प्रदर्शन करते हुए उल्टी छलांग लगाकर अपने को बचा लिया।
 
फीरान को यह खेल दिलचस्प मालूम हुआ और उसने उस योद्धा की हरकतें देखने के लिये स्क्रीन को इशारा किया और स्क्रीन ने योद्धा को अपने फोकस में कर लिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उसकी उंगली की एक अँगूठी उस स्क्रीन का रिमोट थी।
योद्धा के चेहरे पर डर का कोई निशान नहीं दिख रहा था।

जब कई बार वह योद्धा बच निकला तो कई रोबोटों ने एक साथ उसपर घातक किरणों से वार किया। इसबार भी उस योद्धा ने बेमिसाल फुर्ती का प्रदर्शन किया और वे किरणें उसपर पड़ने की बजाय रोबोटों पर ही पड़ीं और कई रोबोटों के परखच्चे उड़ गये।

 ‘‘क्या कर रहे हो बेवकूफों। एक मामूली मनुष्य को तुम लोग खत्म नहीं कर पा रहे हो।’’ फीरान बड़बड़ाया।
वह योद्धा अभी भी कई रोबोटों को एक साथ छका रहा था। उस के अन्दर जिस्मानी ताकत भी ग़ज़ब की दिखाई दे रही थी। क्योंकि कुछ रोबोटों को वह मात्र घूंसे के प्रहार से टीन की तरह पिचका चुका था।

फीरान की उंगली ने एक बार फिर हरकत की और उस योद्धा की पूरी कुंडली स्क्रीन पर दिखने लगी।
‘‘ओह तो ये बात है।’’ फीरान बड़बड़ाया।
उस योद्धा का नाम जयवीर था, वह उस देश के कई प्रतापी सम्राटों का वंशज था। शायद इसीलिए उसके अन्दर बहादुरी व लड़ने की क्षमता कूट कूटकर भरी थी।
 
‘‘लेकिन मेरे पास हर चीज़ का तोड़ है।’’ उसने कुटिल हंसी हंसते हुए कहा।
फिर उसने सर में लगे अपने मुकुट के द्वारा उस सैनिक टुकड़ी के चीफ से सम्पर्क स्थापित किया और कहने लगा, ‘‘उस योद्धा को तुम आमने सामने की लड़ाई में नहीं हरा सकते। उसे धोखे से मारो।’’
 
सैनिक टुकड़ी का चीफ उसकी बात समझ गया। और दो रोबोट सैनिकों को लेकर अलग हो गया।
अब वह पेड़ों के एक झुरमुट के बीच पहुंचा और उसके दोनों साथी तेज़ी के साथ वहाँ गड़ढा खोदने लगे। कुछ ही मिनटों में वहाँ लम्बा चौड़ा गड्ढा तैयार हो गया था। उस गड्ढे को घास फूस डालकर बन्द कर दिया गया।

अब चीफ फिर से जयवीर के सामने आ गया था। फिर वह उसे उस गड्ढे की ओर भेजने की कोशिश करने लगा। आखिरकार वह अपने रोबोट सैनिकों के साथ इस मकसद में कामयाब हो गया।
 
जैसे ही जयवीर लड़ते लड़ते उस गड्ढे के ऊपर पहुंचा उसके कदमों ने ज़मीन छोड़ दी और वह सीधे गड्ढे के अन्दर चला गया।
दूसरे ही पल फीरान के सैनिकों की गनों से निकलने वाली बीसियों डेथ किरणें उसके जिस्म पर पड़ चुकी थीं।

जयवीर का जिस्म लकड़ी की तरह जलने लगा और उसने तड़प तड़प कर अपनी जान दे दी।  
‘‘गया काम से।’’ फीरान हो हो करके हंसने लगा।
 
‘‘इंडियाना वासियों, कब तक मेरी असीम शक्ति से टकराओगे एक दिन तुम्हें मेरा गुलाम बनना पड़ेगा।’’ वह अपनी भारी आवाज़ में कह रहा था जिसमें क्रूरता कूट कूट कर भरी हुई थी।
-----

उधर जयवीर के घर में दिलासा देने वालों का ताँता लगा हुआ था।
उसकी पत्नी जयंती की आँखों में आँसू ज़रूर थे लेकिन साथ ही चेहरे पर चट्टानों जैसी सख्ती भी स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी। और होती भी क्यों न। वह एक वीर की पत्नी जो थी। जयवीर ने जिस बहादुरी से फीरान की सेना का सामना किया था, वह उसके असीम शौर्य को साबित करने के लिये काफी था।
 
कुछ इसी तरह के शब्द दिलासा देने वालों के भी थे।
 
‘‘जब तक ये दुनिया क़ायम है जयवीर की वीरता की कहानियां हमेशा दोहरायी जाती रहेंगी। जयंती तुम सब्र से काम लेना क्योंकि तुम एक वीर की विधवा हो।’’ एक बूढ़ी औरत भर्राये गले के साथ बोली।

उसी वक्त एक घबराया हुआ व्यक्ति अन्दर दाखिल हुआ।
‘‘आप लोगों ने सुना? हमारे देश ने फीरान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।’’ उसने अन्दर दाखिल होने के साथ यह दुःखभरी खबर सुनाई।  
‘‘यह तो होना ही था। शायद अब देश में कोई जयवीर नहीं बचा।’’ उसी बूढ़ी औरत ने ठंडी साँस लेकर कहा।

‘‘जब तक दुनिया क़ायम है, इस देश में जयवीर पैदा होते रहेंगे। मेरी कोख में पलने वाला जयवीर का बेटा एक दिन इस देश को फीरान से मुक्ति दिलायेगा, उसे मौत का मज़ा चखाकर।’’ जयवीर की पत्नी जयंती के लहजे में विश्वास की वह गूंज थी जिसने दिलासे के तमाम शब्दों को बेआवाज़ कर दिया था।
-----

‘‘मैंने मौत को भी हरा दिया है। और वह मेरी मुट्ठी में आ चुकी है।’’ फीरान गर्व से अपने वज़ीरों से उस जश्न में कह रहा था जो इंडियाना के समर्पण की खुशी में आयोजित हुआ था।

‘‘यह चमत्कार कैसे हुआ है जहाँपनाह?’’ उसके कुटिल मुंहलगे वज़ीर शोतन ने आँखें फैलाकर पूछा। शोतन इंसानों के बीच लड़ाई कराने के लिये तरह तरह की साज़िशें रचने का माहिर था और अच्छी तरह जानता था कि फीरान अपने को पुराने ज़माने के बादशाहों के ‘जहाँपनाह’ लक़ब से पुकारा जाना पसंद करता है।

‘‘यह ऐसे हुआ है कि मैंने अपनी कोशिकाओं से बुढ़ापा लाने वाले जींस खत्म कर दिये हैं। अब मुझे न तो बुढ़ापा आ सकता है और न ही कुदरती मौत। और दुनिया में कोई ऐसा माई का लाल नहीं जो मेरी हत्या कर सके। अतः मैं अब हमेशा ज़िन्दा रहूंगा और लोगों को मरते देखने का मज़ा लूटता रहूंगा।’’ फीरान के मुंह से हमेशा की तरह रीढ़ में सिहरन दौड़ाने वाली हंसी बाहर निकली थी।

उसी वक्त महल के इस दरबारनुमा हॉल के दरवाज़े से एक अधेड़ आयु का व्यक्ति दाखिल हुआ। उसके सर पर हैटनुमा लंबी कैप मौजूद थी। वह फीरान के पास आया और हैट उतारकर व सर झुकाकर उसे अभिवादन देने लगा।

‘‘आओ डाक्टर जिंदाल। मेरे होनहार साइंटिस्ट। पूरे एक साल बाद तुम मेरे पास आये हो। कहाँ गायब थे?’’
‘‘मैं आपके लिये एक बेहतरीन चीज़ तैयार करने में लगा हुआ था। अब वो खास चीज़ तैयार हो गयी है और मैं उसे आज आपकी सेवा में हाज़िर करने की इजाज़त चाहता हूं।’’ डाक्टर जिंदाल ने एक बार फिर सर झुकाकर उसका अभिवादन किया।

‘‘मैं जानना चाहता हूं कि वह खास चीज़ क्या है?’’
‘‘वह खास चीज़ एक मशीन है जो वर्चुअल पार्टिकिल थ्योरी के आधार पर काम करती है। कोई भी घटना वास्तविक रूप में होने से पहले आभासी रूप में घटित होती है। मेरी मशीन उस आभासी रूप को रिकार्ड करके किसी घटना को उसके होने से पहले बता देती है।’’

‘‘यानि वह मशीन भविष्यवाणी करने की मशीन है।’’ शोतन ने सर हिलाते हुए कहा।
‘‘हाँ। आम शब्दों में यही कहा जायेगा।’’
 
‘‘इस तरह के तमाशे इससे पहले कई लोगों ने दिखाने की कोशिश की और गलतबयानी के जुर्म में जहाँपनाह के हण्टर का मज़ा चख कर चले गये।’’ शोतन ने खिल्ली उड़ाने के लहजे में कहा।

‘‘ये गलतबयानी नहीं है। जहाँपनाह खुद उसे चेक कर सकते हैं।’’ डाक्टर जिंदाल ने थोड़ा गुस्से में आकर कहा।
‘‘मैं उस मशीन को ज़रूर देखूंगा।’’ फीरान ने हाथ उठाकर कहा और दोनों चुप हो गये।
-----

जब फीरान डाक्टर जिंदाल की बनायी हुई मशीन के पास पहुंचा तो उसके साथ उसके तीन वज़ीर भी थे जिनमें से एक शोतन था और बाक़ी दो के नाम हरस व जुरात थे। ये दोनों कमीनगी में किसी भी तरह शोतन से कम नहीं थे।
‘‘कहाँ है तुम्हारी मशीन डाक्टर जिंदाल?’’ डाक्टर जिंदाल की लैबोरेट्री में पहुंचकर फीरान इधर उधर देखने लगा।
‘‘आप रिमोट का ये बटन दबाईए, मशीन आपके सामने होगी।’’ डाक्टर जिंदाल ने एक छोटा सा रिमोट फीरान की तरफ बढ़ाया।
 
फीरान ने रिमोट का बटन दबाया, दूसरे ही पल लैबोरेट्री की सामने की दीवार किसी शटर की तरह बगैर आवाज़ किये ऊपर उठ गयी और वहाँ एक विशालकाय मशीन नज़र आने लगी जिसका सामने का हिस्सा किसी वायुयान के कॉकपिट की तरह दिख रहा था और उस कॉकपिट में लगे शीशों से बाहर का आसमान भी दिखाई दे रहा था।
 
‘‘डाक्टर जिंदाल, क्या आपने किसी पुराने वायुयान को कटवाकर यहाँ लगा लिया है?’’ शोतन ने व्यंग्यपूर्ण स्वर में डाक्टर जिंदाल को मुखातिब किया।
‘‘मिस्टर शोतन, समझने को आप कुछ भी समझ सकते हैं, लेकिन वास्तविकता ये है कि ये मेरा बनाया हुआ ऐसा आविष्कार है जिसकी दूसरी मिसाल नहीं। यह मल्टीवर्स के उस यूनिवर्स से आने वाली तरंगों को कैच कर लेती है जिसमें हमारे यूनिवर्स का भविष्य छुपा हुआ है।’’
 
‘‘डाक्टर जिंदाल! हमें कैसे मालूम होगा कि यह मशीन भविष्य बताती या दिखाती है। हमें भी यह कोई वायुयान का कॉकपिट दिखाई दे रहा है जिसके बाहर का आसमान भी साफ साफ दिखाई दे रहा है।’’ फीरान ने तिरछी नज़रों से मशीन ही को घूरा।

‘‘जहाँपनाह। मैं दिखाता हूं।’’ डाक्टर जिंदाल ने उसके हाथ से रिमोट ले लिया और उसके कुछ बटन दबाये। दूसरे ही पल कॉकपिट में दिख रहे आसमान में एक संख्या चमकने लगी।
‘‘ये संख्या बता रही है कि हम किस समय का भविष्य देख रहे हैं।’’
‘‘ये तो दस साल के बाद का समय है।’’ शोतन बड़बड़ाया।
‘‘दस साल के बाद इस आसमान के नीचे ये होगा।’’ डाक्टर जिंदाल ने फिर रिमोट को हरकत दी और फीरान तथा अन्य लोगों ने देखा कि आसमान ऊपर उठ गया और नीचे की धरती दिखाई पड़ने लगी।
 
उस ज़मीन पर एक आलीशान बंगला दिखाई पड़ रहा था।
 
‘‘यह बंगला तो बहुत खूबसूरत है। किसका है ये?’’ वहाँ मौजूद दूसरे वज़ीर हरस ने मुंह फैलाकर पूछा।
 
‘‘अभी मालूम हो जायेगा।’’ कहते हुए डाक्टर जिंदाल ने रिमोट को हरकत दी और बंगले के अन्दर का दृश्य स्पष्ट होने लगा। फिर उस बंगले का एक कमरा नज़र आया जिसमें चारों तरफ सोना व हीरे जवाहरात वगैरा बिखरे हुए थे।
और उनके बीच में एक व्यक्ति सोने चाँदी का ही बना हुआ लिबास पहने हुए उन जवाहरातों को उछाल रहा था और ज़ोर ज़ोर से हंस रहा था।
 
‘‘ये कौन है?’’ फीरान ने पूछा।
डाक्टर जिंदाल ने रिमोट के द्वारा सीन को घुमाया और उन सबके मुंह से एक साथ आश्चर्यमिश्रित ‘ओह’ की आवाज़ निकली।
क्योंकि वह व्यक्ति और कोई नहीं हरस ही था। उस दृश्य में हरस और ज़्यादा मोटा दिखाई दे रहा था।

‘‘तुमने तो बहुत माल इकट्ठा कर लिया है हरस।’’ फीरान ने हरस को घूरा।
‘‘अभी कहां जहाँपनाह, ये तो दस साल के बाद का भविष्य है।’’ हरस ने जल्दी से सफाई पेश की, ‘‘अब आपका वज़ीर बनकर इतना तो कमा ही लूंगा।’’
 
वह चापलूसी भरी हंसी हंसने लगा। फीरान ने त्योरियां चढ़ाते हुए उसे हाथ के इशारे से रोक दिया और उसकी हंसी पर इमरजेन्सी ब्रेक लग गया।
‘‘कान खोलकर सुनो। जब तुम्हारे पास इतना माल इकट्ठा हो जाये तो उसका आधा मेरे महल में पहुंचा देना। ठीक दस साल के बाद।’’ फीरान ने गुर्राकर कहा।
 
‘‘बिल्कुल बिल्कुल जहाँपनाह। आपके हुक्म का पालन हमारा फर्ज़ है।’’ हरस ने जल्दी से कहा।
अब फीरान दोबारा डाक्टर जिंदाल से मुखातिब हुआ, ‘‘तुम्हारा ये आविष्कार हमें बहुत पसंद आया।’’
‘‘शुक्रिया जनाब।’’ डाक्टर जिंदाल ने झुककर कहा।
 
‘‘हम तुम्हें इसका ईनाम भी देंगे। लेकिन उससे पहले हम एक भविष्य और देखना चाहते हैं।’’
‘‘आप हुक्म कीजिए जहाँपनाह। आप किस समय का भविष्य देखना चाहते हैं?’’
 
‘‘हम देखना चाहते हैं कि बीस साल बाद हमारी हुकूमत कहाँ तक होगी। केवल ज़मीन में या आसमानों में भी।’’ फीरान ने गर्व से कहा।
उसकी बाद सुनकर डाक्टर जिंदाल ने रिमोट के बटन को दबाया और मशीन की स्क्रीन के आसमान पर सौ साल बाद का वर्ष चमकने लगा।
 
फिर आसमान के नीचे की ज़मीन भी दिखाई पड़ने लगी। ये एक मैदान था जहाँ लोहे की एक विशाल मूर्ति दिखाई दे रही थी। ये मूर्ति फीरान की थी। डाक्टर जिंदाल ने दृश्य को और स्पष्ट किया और फिर उन लोगों ने जो देखा जो उनके लिये पूरी तरह अप्रत्याशित था।

मूर्ति के पास बहुत बड़ा मजमा इकट्ठा था और वे सब मूर्ति के ऊपर कंकड़ पत्थर व जूते चप्पलें फेंक रहे थे और चीख चीखकर उसे बुरा भला कह रहे थे।
 
फिर एक व्यक्ति ऊंचे मुकाम पर खड़ा हुआ और बोलने लगा, ‘‘दोस्तों आज का दिन बहुत बड़ी खुशी का दिन है। आज ही के दिन हमें और सारी दुनिया को एक बहुत बड़े राक्षस फीरान के अत्याचारों से मुक्ति मिली थी। हम सब के हीरो मिस्टर परफेक्ट ने उसका संहार करके हमें उससे मुक्ति दिलायी थी। बोलो मिस्टर परफेक्ट की जय।’’

फिर वहाँ मिस्टर परफेक्ट की जय जयकार होने लगी।
डाक्टर जिंदाल ने देखा फीरान का चेहरा अंगारे की तरह लाल हो गया था। उसने सीन बदलना चाहा लेकिन फीरान ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया।

वह व्यक्ति फिर बोलने लगा, ‘‘दोस्तों, अब हम मिस्टर परफेक्ट का सम्मान करेंगे। जो यहाँ पधारने वाले हैं।’’
जैसे ही उसके शब्द समाप्त हुए, एक उड़ती हुई कार वहाँ पहुंची और स्टेज पर उतर गयी। फिर उसमें से एक लंबा तगड़ा व्यक्ति बाहर निकला। जिसका बलिष्ठ शरीर मानो साँचे में ढला हुआ था। और चेहरा इतना खूबसूरत मानो किसी यूनानी देवता की संगमरमर की बनी हुई मूर्ति।
 
उसे देखते ही पब्लिक और ज़ोरों से जय जयकार करने लगी। फिर उसे फूलमालाओं से लाद दिया गया।
 
‘‘डाक्टर जिन्दाल, पता करो यह मिस्टर परफेक्ट कौन है।’’ फीरान के हुक्म पर डाक्टर जिन्दाल ने सर हिलाया और मिस्टर परफेक्ट को मशीन पर फोकस करके एक बटन दबा दिया।
अब स्क्रीन पर तेज़ी के साथ दृश्य इस तरह बदल रहे थे मानो कोई फिल्म तेज़ी के साथ रिवर्स की जा रही हो।
 
‘‘तुम क्या कर रहे हो?’’ शोतन ने पूछा।
‘‘मैं उस व्यक्ति यानि मिस्टर परफेक्ट को मशीन पर केन्द्रित करके वर्तमान में आ रहा हूं। ताकि मुझे पता चल जाये कि वर्तमान में वह व्यक्ति कहाँ है।’’ डाक्टर जिन्दाल ने जवाब दिया।

लगभग दो मिनट तक स्क्रीन पर तस्वीरें तेज़ी के साथ भागती रहीं और फिर एक दृश्य पर आकर ठहर गयीं। उस दृश्य को देखकर सभी चौंक उठे।
क्योंकि उसमें जयवीर की विधवा जयंती नज़र आ रही थी।
 
‘‘हूं, तो ये है वह औरत जो मेरी मौत को जन्म देने की कोशिश कर रही है।’’ फीरान ठंडी आवाज़ में बोला फिर एक कहकहा लगाकर हंस पड़ा।
 
हंसते हंसते वह तीसरे वज़ीर जुरात की तरफ घूमा, ‘‘जुरात, मुझे यह औरत अभी मेरे सामने हाज़िर चाहिए। जिंदा।’’ जुरात ने सर हिलाया और बाहर निकल गया।

------- 
आगे क्या हुआ इसे जानने के लिये पढ़ें इस धारावाहिक का अगला भाग।  और कहानी की कड़ियों की सूचना मिलती रहे इसके लिये ब्लॉग को फॉलो करें. सम्पूर्ण उपन्यास एक साथ पेपरबैक संस्करण में निम्न लिंक पर उपलब्ध है। 

No comments: