Sunday, December 23, 2018

ऊँचाईयों के पार - Part 1


ज़ीशान -ज़ैदी  लेखक

शहर के बीचोंबीच स्थित स्ट्रोक्स आर्ट गैलरी में कलाप्रेमी दर्शकों का हुजूम लगा हुआ था। माडर्न आर्ट की इस प्रदर्शनी में विश्व के कई नामी गिरामी चित्रकारों की पेंटिग्स मौजूद थीं। वहाँ मौजूद दर्शकों में कालेज छात्रों का एक ग्रुप भी शामिल था।

तान्या को न तो माडर्न आर्ट से दिलचस्पी थी और न ही समझ थी। उसे तो हर तस्वीर ‘उल्टी जलेबी’ की तरह दिख रही थी। बहरहाल चूँकि वह ग्रुप की एक मेम्बर थी इसलिए ग्रुप के साथ घिसटना उसकी मजबूरी थी।

लेकिन इस एक तस्वीर ने उसे ठिठकने पर मजबूर कर दिया। न जाने ऐसी क्या बात थी उसमें। देखने में ऐसा कुछ नहीं था तस्वीर में। पूरे कैनवस पर आदम की तस्वीर बनी हुई थी जो पेड़ से फल तोड़ने की कोशिश में था। तान्या उस तस्वीर में ऐसा खोई कि पूरा ग्रुप कब आगे निकल गया, उसे इसका भी आभास नहीं हुआ।

उसी वक्त वहाँ अँधेरा छा गया। क्योंकि आर्ट म्यूजियम की लाइट चली गयी थी।
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अचानक तान्या ने देखा उसके सामने वही आदम की तस्वीर मौजूद है जीवित अवस्था में।
‘‘ आओ! मैं तुम्हारा ही इंतिजार कर रहा था।’’ उस तस्वीर के मुँह से सरसराती आवाज पैदा हुई।

‘‘क..कौन हो तुम?’’ तान्या ने घबराहट भरे स्वर में पूछा।

‘‘डरो मत। मेरे पास आओ। मैं तुम्हारा महबूब हूँ, तुमसे प्यार करता हूँ। वह बाहें फैलाकर उसकी तरफ बढ़ा। तान्या ने घबराकर पीछे हटना चाहा, लेकिन लगता था मानो उसके कदम वहीं जम गये हों। जल्दी ही तस्वीर वाले  श ख्स ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया। अचानक दोनों के बीच की सारी दीवारें गिर गयीं। एक भयानक तूफान था वह जिसने तान्या को अपने लपेटे में ले लिया था।

और जब वह तूफान थमा तो तान्या बेहोश  हो चुकी थी।
...........

क्रमशः 

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