Monday, December 24, 2018

ऊँचाईयों के पार - भाग 2


जब तान्या को होश  आया तो उसने अपने को एक सफेद बिस्तर पर पड़े देखा। पूरा ग्रुप उसे चारों तरफ से घेरे खड़ा था। 
सभी के चेहरे से परेशानी जाहिर हो रही थी। तान्या को आँखें खोलते देखकर सभी के चेहरे पर इत्मिनान की एक लहर दौड़ गयी।

‘‘तान्या तुम ठीक तो हो?’’ रोहित ने आगे बढ़कर पूछा।
‘‘हाँ...म...मगर!’’

‘‘तुम म्यूजियम में एक तस्वीर देखते देखते अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी थीं। फिर हम तुम्हें यहाँ हास्पिटल में ले आये। भगवान का शुक्र है कि तुम ठीक ठाक हो ।’’ विनय बोला।

‘‘तो इसका मतलब बेहोशी की हालत में मैं सपना देख रही थी।’’ तान्या बड़बड़ाई।

लेकिन यह तो सपनों की एक शुरुआत थी। उसके बाद उसने रोज सपने देखने शुरू कर दिये। हर सपने में वही आदम आकृति उसके आसपास मौजूद होती थी और उसे बाहों में लेकर उससे प्यार मोहब्बत की बातें किया करती थी।

‘‘तुम्हारे गर्भ में मेरा प्यार परवरिश पा रहा है।’’ एक दिन उसने कहा।
‘‘अच्छा! और मुझे पता ही नहीं।’’ तान्या ने मज़ाकिया लहजे में कहा।
‘‘मेरी बात को झूठ मत समझो।’’ उसने कुछ सीरियस होकर कहा।
...........

‘‘क्या बात है तान्या? आजकल तुम कुछ परेशान मालूम होती हो।’’ तान्या के सबसे करीबी दोस्त रोहित से उसकी परेशानी छुपी न रही।
‘‘परेशान तो नहीं, हाँ उलझन में जरूर हूँ।’’

दोनों इस वक्त एक रेस्टोरेन्ट में चाईनीज़ का मज़ा लेने आये हुए थे।
‘‘कैसी उलझन?’’ रोहित ने पूछा।

‘‘आजकल मैं एक अजीब सा सपना रोजाना देख रही हूँ।’’ कहते हुए उसने अपना सपना बयान किया।

‘‘मालूम होता है म्यूजियम की उस तस्वीर ने तुम्हारे ऊपर गहरा असर डाला है। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि अगर कोई चीज़ दिमाग पर प्रभाव डालती है तो वह सपने में भी दिखाई देती है और बार बार दिखाई देती है।’’ 

‘‘हो सकता है यही बात हो। लेकिन वह तस्वीर ऐसी खास तो नहीं थी कि उसका प्रभाव मेरे ऊपर इतना ज्यादा पड़ जाये।’’

‘‘जरूरी नहीं जो चीज हमें प्रभावित करे वह खास ही हो। तुमने देखा होगा कभी कभी बहुत संभ्रान्त लोग बेख्याली में कोई फूहड़ गाना गा रहे होते हैं। दरअसल वह गाना उनके दिमाग में कहीं से घुसपैठ कर बैठता है और फिर इस तरह सवार हो जाता है जैसे बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।’’

‘‘कुछ भी हो, लेकिन वह सपना तो अब मेरे लिए बहुत बड़ी उलझन बन गया है। लगता है जैसे मैं दोहरी जिंदगी जी रही हूँ। एक जीती जागती और दूसरी सपने में।’’

‘‘क्यों न तुम किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट से मिलो।’’ रोहित ने राय दी।

‘‘यही मैं भी सोच रही हूँ।’’ कहते हुए तान्या उठने लगी, लेकिन फिर दोबारा बैठ गयी और अपना सर थाम लिया।

‘‘क्या हुआ?’’ रोहित ने चौंक कर पूछा।
‘‘मुझे चक्कर आ रहा है।’’

‘‘मालूम होता है उस सपने ने तुम्हारी सेहत पर भी बुरा असर डाला है।चलो मैं तुम्हें डाक्टर के पास ले चलता हूँ।’’ रोहित ने उसका हाथ पकड़कर उसे सहारा दिया।
...........

डाक्टर ने तान्या का अच्छी तरह चेकअप किया और फिर बाहर आकर रोहित से पूछने लगा,‘‘क्या ये आपकी पत्नी है?’’

‘‘अभी तक तो नहीं। क्या बात है डाक्टर साहब?’’

‘‘ऐसी हालत में इनके पति को इनका ख्याल रखना चाहिये। इन्हें तीन माह का गर्भ है और इनके जिस्म में खून की अच्छी खासी कमी है।’’

डाक्टर की बात सुनकर रोहित हैरत में पड़ गया।

डाक्टर ने फिर कहा,‘‘देखिए, ये मामला सीरियस है। आप इनके पति से मुझे मिलाईए या बात कराईए। मैं उन्हें कुछ जरूरी मशविरे देना चाहता हूँ।’’

रोहित ने एक गहरी साँस लेकर कहा,‘‘डाक्टर, तान्या गैर शादी शुदा है। मैं आपकी बात पर कैसे यकीन कर लूँ कि वह माँ बनने वाली है।’’

‘‘ओह! आई एम सॉरी। लेकिन हकीकत वही है जो मैंने बताई है।’’

इस बीच तान्या भी चेकअप रूम से बाहर आ चुकी थी। जब उसने डाक्टर की बात सुनी तो उसके मुँह से बस यही निकला,‘असंभव!’
...........
क्रमशः 

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