और जब उसकी आँखों ने दोबारा रोशनी देखी तो उसने अपने को महल से बाहर पड़ा हुआ पाया।
और उसके पास उसका महबूब रवि मौजूद था। दोनों कुछ देर हैरत से एक दूसरे को ताकते रहे फिर दौड़कर आपस में लिपट गये।
‘‘रवि ये देखो इस वीराने में कितना आलीशान महल।’’ माया ने रवि का ध्यान आकृष्ट किया।
‘‘हाँ। वाकई आलीशान है।’’
और उसके पास उसका महबूब रवि मौजूद था। दोनों कुछ देर हैरत से एक दूसरे को ताकते रहे फिर दौड़कर आपस में लिपट गये।
‘‘रवि ये देखो इस वीराने में कितना आलीशान महल।’’ माया ने रवि का ध्यान आकृष्ट किया।
‘‘हाँ। वाकई आलीशान है।’’
‘‘अंदर
से और भी शानदार है।’’ कहते हुए माया ने रवि का हाथ थामा और महल के गेट की
तरफ बढ़ी। महल के भीतर प्रवेश करते ही वे एक बार फिर आश्चर्यचकित रह गये।
अंदर का माहौल ही बदला हुआ था। चारों तरफ उजाड़ खंडहर दिख रहा था। दीवारों व
भूमि पर ऊँची घास और झाड़ियाँ उगी हुई थीं। हर तरफ सीलन की बदबू फैली हुई
थी।
‘‘य..ये क्या। यहाँ का तो दृश्य ही बदला हुआ है।’’ माया ने हैरत से कहा।
‘‘शायद हम किसी दूसरे महल में आ गये हैं।’’
‘‘लेकिन यहाँ पूरे इलाके में एक ही तो महल दिख रहा है।’’
‘‘शायद हम किसी दूसरे महल में आ गये हैं।’’
‘‘लेकिन यहाँ पूरे इलाके में एक ही तो महल दिख रहा है।’’
‘‘ये
भी हो सकता है जहाज दुर्घटना में हम लोग मर चुके हों। और अब हम दूसरी
दुनिया में हैं। जहाँ पल पल में चीजें बदलती रहती हैं।’’ रवि ने अपनी बात
पर खुद ही अपने अंदर कंपकंपी महसूस की।
‘‘अगर ऐसा होता तो तुम्हारी दुर्घटनाग्रस्त टाँग भी बदली हुई होती। अरे यह क्या?’’
‘‘क्या हुआ?’’
‘‘अगर ऐसा होता तो तुम्हारी दुर्घटनाग्रस्त टाँग भी बदली हुई होती। अरे यह क्या?’’
‘‘क्या हुआ?’’
‘‘महल तो फिर पहले जैसा आलीशान हो गया है।’’
रवि ने पहले तो चारों तरफ देखा फिर हैरत से माया की तरफ। क्योंकि उसे कहीं कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा था।’’
‘‘माया, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?’’
‘‘मैं तो अपने आपको पूरी तरह फिट पा रही हूँ।’’ माया ने ख़ुशी से कहा, जबकि रवि उसकी दिमागी हालत पर शक कर रहा था।
रवि ने पहले तो चारों तरफ देखा फिर हैरत से माया की तरफ। क्योंकि उसे कहीं कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा था।’’
‘‘माया, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?’’
‘‘मैं तो अपने आपको पूरी तरह फिट पा रही हूँ।’’ माया ने ख़ुशी से कहा, जबकि रवि उसकी दिमागी हालत पर शक कर रहा था।
‘‘ऐसे क्या देख रहे हो। ऊपर देखो कितना शानदार झूमर। अपनी पूरी जिंदगी में और कहीं देखा है ऐसा झूमर!’’
रवि ने ऊपर देखा जहाँ मकड़ी का बड़ा सा जाला लटक रहा था।
‘‘ऐसे झूमर तो किसी भी खंडहर में दिख जाते हैं।’’ रवि ने मजाकिया लहजे में कहा।
रवि ने ऊपर देखा जहाँ मकड़ी का बड़ा सा जाला लटक रहा था।
‘‘ऐसे झूमर तो किसी भी खंडहर में दिख जाते हैं।’’ रवि ने मजाकिया लहजे में कहा।
‘‘मजाक
नहीं। मैं तो कहती हूँ यहाँ से कुछ सामान अगर हम पार करके ले जायें तो उसे
बेचकर करोड़पति बन जायेंगे।.....अरे वो दोनों कौन हैं?’’ माया ने एक तरफ
इशारा किया। रवि ने घूमकर देखा। वहाँ दो छोटे छोटे बच्चे खड़े हुए उन्हीं की
तरफ देख रहे थे। उम्र में उनमें से कोई तीन वर्ष से ज्यादा का नहीं था।
दोनों ने अपनी पलक झपकायी। अगले ही पल दोनों बच्चे उनके सामने खड़े हुए थे।
दोनों में एक लड़का था और दूसरी लड़की।
‘‘यार आइंस्टीन का सापेक्षकता का सिद्धान्त तो फ्लाप हो गया।’’ लड़के ने लड़की को संबोधित किया।
‘‘और बिग बैंग थ्योरी भी गलत साबित हो गयी।’’ लड़की ने जवाब दिया।
‘‘और बिग बैंग थ्योरी भी गलत साबित हो गयी।’’ लड़की ने जवाब दिया।
‘‘चलो
हम लोग कोई नयी थ्योरी डेवलप करते हैं।’’ लड़के ने लड़की का हाथ पकड़ा और
दोनों रवि व माया के बीच से होते हुए पीछे निकल गये। दोनों ने घूमकर देखा।
पीछे अब कोई नहीं था। दोनों को एक और हैरत का झटका लगा। एक तो इतने छोटे
बच्चों के मुंह से आइंस्टीन की थ्योरी और बिग बैंग सिद्धान्त सुनना ही अपने
में महान आश्चर्य था।
.....क्रमशः
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