Friday, July 1, 2011

ड्रामा द ग्रेट डिक्टेटर्स (Part - 4)

हिटलर  : ये कौन मेरा लक़ब चुरा रहा है? इस दुनिया में सिर्फ एक ही डिक्टेटर गुज़रा है और वह मैं हूं। 
डा0सायनाइड  : तुम चाहो तो इससे मोहब्बत कर सकती हो। तब तक मैं अपना एक्सपेरीमेन्ट करता हूं कि दो डिक्टेटरों के मिलने पर क्या इफेक्ट पैदा होता है।

हिटलर  : (क्लियोपेट्रा से) तुम कौन हो? 
क्लियोपेट्रा  : मैं मिस्र की शहज़ादी हूं। 
हिटलर  : क्या चाहती हो? 
क्लियोपेट्रा : मैंने जूलियस सीज़र से मोहब्बत की। फिर एण्टोनी से मोहब्बत की। और अब तुमसे मोहब्बत करना चाहती हूं। 
हिटलर  : मोहब्बत? ये किस बला का नाम है? 
क्लियोपेट्रा : मोहब्बत दुनिया की सबसे खूबसरत शय है। ये फूलों की खुश्बू में होती है। सितारों की रोशनी में होती है। भौंरे की गुनगुन में होती है। हवाओं की सरसराहट में होती है और-- 
हिटलर  : क्या ये तोप के गोले में भी होती है? 
क्लियोपेट्रा : नहीं ये सिर्फ नाज़ुक जज्ब़ातों में होती है। 
हिटलर  : हिटलर को नाजुक जज्ब़ातों में कोई दिलचस्पी नहीं। हमें सिर्फ गन पाउडर में दिलचस्पी है।
क्लियोपेट्रा : काश कि तुम्हें लिपिस्टिक पाउडर में दिलचस्पी होती तो तारीख में किसी आलमी जंग का नाम न होता। क्या मेरे जैसी खूबसूरत औरत को देखकर तुम्हारे दिल में कुछ नहीं आता? 
हिटलर  : हमारे पास जो भी आता है हम उसको फौरन गोली मार देते हैं।
क्लियोपेट्रा हाय। ये दुनिया के सारे डिक्टेटर सनकी क्यों होते हैं?

(उसी वक्त जैक्सन डाक्टर को पुकारता हुआ अन्दर आता है।)

जैक्सन  : डाक्टर -डाक्टर सायनाइड! 
(हिटलर को देखकर ठिठक जाता है।)
जैक्सन  : अरे बाप रे, ये मरदूद अभी तक यहां मौजूद है। मैं जाता हूं वापस। 
(वह जाने के लिये मुड़ता है उसी वक्त हिटलर पुकारता है।)

हिटलर  : रुको। 
(जैक्सन के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगती है।)
जैक्सन  : जल तू जलाल तू आई बला को टाल तू। (कई बार दोहराता है।)
हिटलर  : इधर आओ। 
(जैक्सन अपना वज़ीफा रटते हुए उसकी तरफ आता है।)

हिटलर  : सुनो, इस बला को हमारे पास से हटा दो। (क्लियोपेट्रा की तरफ इशारा करके।) वरना मैं पागल होकर बंदूक़ की नाल अपने मुंह में ठूंस लूंगा। 
क्लियोपेट्रा  : (गुस्से से) क्या! मेरे जैसी खूबसूरत, हसीना, नाज़नीन को तुम बला कह रहे हो? अब तो मैंने ठान लिया है कि तुमको मोहब्बत का सबक सिखाकर रहूंगी। 
हिटलर  : ओ यार मैं किस मुसीबत में फंस गया। तुम ज़रूर कोई यहूदी लड़की हो। सारे यहूदी गंदी नस्ल वाले दूसरों को अपनी मीठी बातों के जाल में फंसाने में माहिर होते हैं। 
क्लियोपेट्रा  : गुस्से में मैं मिस्र की शहज़ादी हूं। और मेरी नस्ल तुमसे बेहतर है। 
हिटलर  : इम्पासिबिल, मेरी आर्य नस्ल दुनिया की बेस्ट नस्ल है। 
क्लियोपेट्रा  : चलो फिर टेस्ट करते हैं। 
हिटलर  : कैसा टेस्ट? 

क्लियोपेट्रा  : हम दोनों पब्लिक के बीच वोटिंग कराते हैं कि जर्मन शेफर्ड और अलसेशियन में कौन सी कुत्तों की नस्ल अच्छी होती है। अगर पब्लिक ने जर्मन शेफर्ड को ज्यादा वोट दिये तो हम तुमको बेस्ट मान लेंगे। 
हिटलर  : ठीक है। अगर पब्लिक ने अलसेशियन को ज्यादा वोट दिया तो हम तुमको बेस्ट मान लेंगे। लेकिन पब्लिक कहां की ली जाये? 
क्लियोपेट्रा  : हिन्दुस्तान की पब्लिक वोट देने में माहिर है। चलो उसी से वोटिंग कराते हैं। 
हिटलर : ठीक है चलो। दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर बाहर निकल जाते हैं।

डा0सायनाइड : अब मेरे पास बची है ये आखिरी टोपी। देखूं इसको पहनने वाला क्या बनता है। 
जैक्सन  : डाक्टर, सारे डिक्टेटर्स तो तुम पहले ही पैदा कर चुके हो। अब कौन बाक़ी है? 
डा0सायनाइड  : दुनिया में डिक्टेटरों की कमी है क्या। एक ढूंढो हज़ार मिलते हैं। 
(वह नीचे गिरे आखिरी लड़के को टोपी पहनाता है। और वह लड़का उठकर बैठ जाता है। थोड़ी देर सर पर हाथ रखकर कुछ सोचता है और फिर वहीं गोल गोल घूमने लगता है।) 

जैक्सन  : हांयें। इसे क्या हुआ? 
डा0जैक्सन  : ये तो इसी से पूछना पड़ेगा। 
जैक्सन  : (उसके घूमने के बीच में आकर) भाई, तुम कौन हो? 
लड़का  : मैं, नरेन्द्र मोदी हूं। नहीं, मैं बाल ठाकरे हूं। नहीं, मैं राज ठाकरे हूं। नहीं मैं स्वामी असीमानन्द-----।  मैं, मैं कौन हूं? वह अपने सर को इस तरह थाम लाता है मानो उसका सर चकरा रहा हो। 
जैक्सन  : डाक्टर, इसे क्या हुआ? 

डा0सायनाइड  : जब मैं इसकी टोपी बना रहा था तो मशीन में कुछ गड़बड़ हो गयी थी। इस टोपी में बहुत सी मेमोरीज़ एक साथ भर गयी हैं। फिर भी यह हमारे काम का है। 
जैक्सन  : फिर तो हमें इसको मिस्टर कन्फ्यूज़ कहना चाहिए। मि0कन्फ्यूज़, आप इस दुनिया में क्यों आये हैं?
मि0कन्फ्यूज़  : सब लोग बम बरसाते हैं, मैं भी सबके ऊपर बम बरसाऊंगा। सब दंगा करते हैं मैं भी दंगा करूंगा। सारे कण्ट्री बिना पासपोर्ट के अपने अन्दर घुसने पर रोक लगाये हैं मैं भी अपने महाराष्ट्र में सबके घुसने पर रोक लगा रहा हूं। मक्का में कोई हिन्दू दाखिल नहीं हो सकता। इसलिए हमारे गुजरात में कोई मुस्लिम दाखिल नहीं होगा। 
जैक्सन  : लेकिन ये सब आप क्यों करना चाहते हैं मि0कन्फ्यूज़?
मि0कन्फ्यूज़  : बताया तो कि सब करते हैं इसलिए मैं कर रहा हूं।
जैक्सन  : मि0कन्फ्यूज़। इस दुनिया में हर एक का कुछ करने के लिये मक़सद है। कोई दुनिया का दादा बनना चाहता है, कोई अपनी नस्ल को बेस्ट साबित करना चाहता है। कोई बहत्तर हूरें पाना चाहता है तो कोई एक हूर को अपने बेटे की नज़र से बचाने के लिये दीवार में चुनवाना चाहता है। आखिर तुम्हारा मक़सद क्या है? 

मि0कन्फ्यूज़  : हमारा मकसद (थोड़ी देर सोचने के बाद) हमारा मकसद पूरी दुनिया में हिन्दुत्व को फैलाना है। 
डा0सायनाइड  : कौन सा हिन्दुत्व? भगवान श्रीराम जी वाला या भगवान श्री कृष्ण जी वाला या भगवान महादेव जी वाला या देवी दुर्गा माता वाला?
मि0कन्फ्यूज़ : हम हर प्रकार के हिन्दुत्व का मिला जुला रूप दुनिया में फैलाना चाहते हैं। 
जैक्सन  : भगवान श्रीराम जी के एक ही पत्नी थी और भगवान श्रीकृष्ण जी के कई पत्नियां थीं। तुम कौन सा रूप फैलाना चाहते हो? 
मि0कन्फ्यूज़  : मैं दूसरों के लिये भगवान श्रीराम जी का रूप फैलाऊंगा और अपने लिये भगवान श्रीकृष्ण जी का रूप धारण करूंगा।
डा0सायनाइड  : लेकिन ये काम तो बम ब्लास्ट और दंगों के बगैर भी किया जा सकता है। क्या ज़रूरी है हर बात पत्थर मारकर कही जाये?    

मि0कन्फ्यूज़ : हम बम ब्लास्ट करके शांति स्थापित करना चाहते हैं। हम घर जलाकर लोगों को सुकून देना चाहते हैं। हम पत्थर फेंककर मनुष्य को सभ्य बनाना चाहते हैं।
डा0सायनाइड  : (जैक्सन से) यार तुमने इसका नाम मि0कन्फ्यूज़ रखकर सही किया। 
जैक्सन  : अरे ओ लीचड़, यही चाहत तो अलकायदा और तालिबान वाले भी बयान कर रहे हैं। वह भी बम ब्लास्ट करके दुनिया में शांति लाना चाहते हैं। 
मि0कन्फ्यूज़  : वो लोग आतंकवादी हैं। वो केवल अपने मान्यता वालों को छोड़कर पूरी दुनिया को मिटा देना चाहते हैं। 
डा0सायनाइड  : तुम्हारे इरादे भी तो यही लग रहे हैं। हिन्दुत्व वादियों को छोड़कर पूरी दुनिया समाप्त हो जाये। 
मि0कन्फ्यूज़  : हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति का नाम है। जिसमें हर धर्म और हर मान्यता के लिये स्थान है। 
जैक्सन  : हांयें। ये हिन्दुत्व तो पहले ही दुनिया में फैला हुआ है। क्योंकि दुनिया में हर धर्म और हर मान्यता के लिये स्थान है। 

मि0कन्फ्यूज़  : (थोड़ी देर सोचने के बाद) मैं जो कुछ कर रहा हूं, अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये कर रहा हूं।
जैक्सन  : आप अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये क्या क्या कर रहे हैं। 
मि0कन्फ्यूज़  : अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये, हम देश के सारे मुसलमानों को दंगे और बम ब्लास्ट में मार देंगे। हम देश के सारे ईसाईयों को ज़िन्दा जला देंगे। हम देश के सारे सेक्यूलर हिन्दुओं को पत्थर मार मारकर भगा देंगे और उत्तर भारतीयों का महाराष्ट्र में आना वर्जित कर देंगे।
जैक्सन  : उसके बाद बचेगा क्या भारत में - कद्दू? डाक्टर सायनाइड, ये तुमने इसे कौन सी टोपी पकड़ा दी जिसको पहनकर ये पागल हो गया है। 
डा0सायनाइड  : ये टोपी का नही, उसमें भरी हुई मेमोरी का कुसूर है। सुनो, हमें इसपर ज्यादा टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए और चलकर बड़े डिक्टेटर्स की खबर लेनी चाहिए। अगर वे सब आपस में मिल गये तो दुनिया के लिये खतरा बन सकते हैं।
(वह जैक्सन का हाथ पकड़कर वहां से निकल जाता है जबकि मि0कन्फ्यूज़ सर खुजलाता हुआ वहीं खड़ा है।)

2 comments:

Arvind Mishra said...

जर्मन शेफर्ड और अलसेशियन में कौन सी कुत्तों की नस्ल अच्छी होती है।

भाई ये दोनों एक ही हैं बस नाम फर्क है ...बाकी कहानी गोली की तरह सनासन चलती जा रही है ..

एक स्वतन्त्र नागरिक said...

सचिन को भारत रत्न क्यों?
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