Monday, November 23, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 62

ये वही जंगली थे जो प्रोफेसर और रामसिंह के साथ मुर्गिया पकड़ने निकले थे।
‘‘य--ये कौन हैं?’’ शमशेर सिंह ने घबरा कर पूछा।

‘‘ये हमारे भक्त हैं। हम इनके देवता हैं।’’ प्रोफेसर ने अकड़ कर कहा फिर जंगलियों से संबोधित हुआ, ‘‘क्या बात है?’’
‘‘हम लोग अब तक बीस मुर्गियां पकड़ चुके हैं। और अब वापस हो रहे हैं।’’ एक ने कहा।
‘‘ठीक है चलो।’’ प्रोफेसर ने खड़े होते हुए कहा। उसके साथ रामसिंह और शमशेर सिंह भी खड़े हो गये।

‘‘आपने कितनी मुर्गियां पकड़ीं देवताओं?’’ एक जंगली ने चलते हुए पूछा।
‘‘हमने तुम लोगों के लिए एक देवता और पकड़ लिया।’’ प्रोफेसर ने जवाब दिया।
‘‘इसका फैसला हमारे सरदार करेंगे कि ये हमारे तीसरे देवता हैं या नहीं।’’ जंगली ने शमशेर सिंह की ओर संकेत करके कहा।
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‘‘देवता पुत्रों, हमें अफसोस है कि आप एक भी मुर्गी नहीं पकड़ सके।’’ सरदार ने दोनों की ओर देखा।
‘‘हमने इसका कारण बता दिया है।’’ प्रोफेसर ने शमशेर सिंह की ओर देखकर कहा।

‘‘जब हमारे देवता हमारे पूरे खेत की गोभियाँ पल भर में चट कर जाते थे तो हम अपने पड़ोसी कबीले को यह बात गर्व से बताया करते थे। लेकिन आज हम उन्हें शर्म से यह बताएंगे कि उसी देवता के पुत्र इतने नालायक निकले कि एक मुर्गे ने उन्हें मात दे दी।’’ सरदार ने अपना सर पकड़ कर कहा।
‘‘किन्तु पड़ोसी कबीले को यह बताने की आवश्यकता क्या है?’’ रामसिंह बोला।

‘‘आवश्यकता है। हमारा पड़ोसी कबीले से अनुबंध हुआ है कि हम लोग एक दूसरे को अपनी बातें बतायेंगे।’’
‘‘आप उनसे झूठ बोल दीजिए कि हमने भी मुर्गियां पकड़ी हैं।’’

‘‘देवता होकर आप हमें झूठ बोलने की सीख दे रहे हैं। लेकिन हम ऐसा कदापि नहीं करेंगे।’’ सरदार ने घूरकर रामसिंह की ओर देखा और वह सकपका कर चुप हो गया। सरदार फिर बोला,
‘‘अब हमने चूंकि नये आगंतुक को भी देवता पुत्र मान लिया है अत: अब तीनों से मेरी प्रार्थना है कि वे पकड़ी गयी मुर्गियों की देखभाल करें और उन्हें अधिक से अधिक अण्डे देने पर विवश करें।’’

‘‘यह काम मैं कर लूंगा।’’ प्रोफेसर बोला, ‘‘मैं आज ही से रिसर्च आरम्भ कर दूंगा कि किस प्रकार मुर्गियों से अधिक से अधिक अण्डे दिलवाये जायें।’’
‘‘अब हमें परिणाम की प्रतीक्षा है।’’ सरदार उठते हुए बोला।
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