Sunday, November 22, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 61

‘‘मैं आज ही से इसके ऊपर प्रयोग करना शुरू कर दूंगा।’’ प्रोफेसर ने दिलासा दिया।
‘‘यह तुम इन लोगों से क्या बकवास कर रहे हो। ये लोग कौन हैं?’’ मोगीचना ने शमशेर सिंह को संबोधित करके क्रोधित स्वर में कहा।

‘‘ये लोग बहुत ऊंची हस्ती हैं। और इत्तेफाक से मेरे मित्र हैं। कुछ दिन पहले बिछड़ गये थे। आज फिर मिल गये।’’ शमशेर सिंह ने बताया।
‘‘तो फिर इन्हें मेरे कबीले में ले चलो। सरदार इनसे मिलकर अवश्य प्रसन्न होगा।’’
मोगीचना की बात सुनकर प्रोफेसर और रामसिंह ने उसके साथ जाने का इरादा किया किन्तु शमशेर सिंह ने तुरन्त उन्हें रोक दिया।

‘‘सरदार अवश्य खुश होगा। इसलिए क्योंकि उसे तुम्हारे रूप में मानव भोजन मिल जायेगा। प्रोफेसर, रामसिंह, तुम लोग भूल कर भी इसके कबीले मत जाना। इसका कबीला आदमखोर है।’’ उसकी बात सुनकर उनके कदम वहीं रुक गये। शमशेर सिंह ने यह बात अपनी भाषा में कही थी अत: मोगीचना उसे नहीं समझ सकी।

शमशेर सिंह ने उसे संबोधित किया, ‘‘तुम बस्ती में वापस जाओ, हम लोग थोड़ी देर में आयेंगे।’’
‘‘किन्तु हमारे प्रेम का क्या होगा?’’

‘‘वह कहीं नहीं भागेगा। वापस आकर कर दूंगा। अभी मैं अपने दोस्तों के साथ कुछ काम करना चाहता हूं।’’ शमशेर सिंह ने उसे धकेलते हुए कहा और वह जबरन वापस हो गयी। जब वह दूर निकल गयी तो शमशेर सिंह बोला, ‘‘अब जल्दी से यहां से भागो वरना अगर वह पलट गयी तो फिर जान बचाना मुश्किल हो जायेगा।’’ फिर वे लोग वहां से तुरन्त चल पड़े।

जब वे लोग उस स्थान से काफी दूर निकल आये तो शमशेर सिंह हाँफते हुए बोला, ‘‘अब जाकर कुछ चैन मिला वरना मैं तो आत्महत्या करने की सोच रहा था।’’
‘‘तुम्हें अब चैन मिला है और हमारा चैन अब प्रस्थान कर गया है।’’ रामसिंह बोला।
‘‘अरे हाँ। तुमने तो अपने बारे में बताया ही नहीं कि कहां गायब हो गये थे।’’ शमशेर सिंह ने चौंक कर कहा।

‘‘बड़ी लम्बी कहानी है। चलो कहीं आराम से बैठते हैं फिर बताऊंगा।’’ रामसिंह बोला और वे लोग वहीं पत्थरों पर बैठ गये।
‘‘हां। अब बताओ।’’ शमशेर सिंह बोला।
रामसिंह ने कहानी बतानी आरम्भ की। बीच बीच में उसे रोककर प्रोफेसर भी बोलता जा रहा था। अन्त में रामसिंह बोला, ‘‘इस प्रकार अभी तक हम लोग आराम कर रहे थे। लेकिन अब हमें काम सौंप दिया गया है। मुर्गियां पकड़ने का।’’
‘‘तो अब तक कितनी मुर्गियां पकड़ चुके हो?’’

‘‘एक भी नहीं। एक मुर्गा पकड़ने का प्रयत्न किया था, लेकिन वह भी धोखा देकर भाग गया। उसके बाद तुम मिल गये।’’
‘‘अब तुम अपनी कहानी सुनाओ।’’ प्रोफेसर ने कहा।

इससे पहले कि शमशेर सिंह अपनी कहानी आरम्भ करता पाँच छह जंगली पीछे से निकलकर उनके सामने आ गये।

1 comment:

Arvind Mishra said...

अरेरेरेरे ...