Friday, November 20, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 60

तभी दूर से एक आवाज आयी, ‘‘बचाओ।’’
रामसिंह ने चौंक कर प्रोफेसर की ओर देखा, ‘‘प्रोफेसर, क्या तुमने भी वह आवाज सुनी?’’
‘‘हां। यह तो किसी व्यक्ति की आवाज है।’’

आवाज एक बार फिर आयी।
‘‘यह तो शमशेर सिंह की आवाज है।’’ रामसिंह उछल कर खड़ा हो गया।

‘‘लगता है वह किसी मुसीबत में है। हमें तुरंत जाना चाहिए।’’ दोनों उस ओर चल पड़े जिधर से शमशेर सिंह की आवाज आयी थी।
अब तक बचाओ बचाओ की तीन चार आवाजें आ चुकी थीं।
जल्दी ही आवाज का पीछा करते हुए वे पेड़ों के एक झुरमुट के पास पहुंच गये। फिर उन दोनों ने जो दृश्य देखा वह उन्हें हैरान करने के लिए काफी था।

शमशेर सिंह बचाव बचाव चीखता हुआ भाग रहा था और एक मोटी तगड़ी औरत उसका पीछा कर रही थी।
‘‘शमशेर सिंह!’’ प्रोफेसर चिल्लाया। उसकी आवज सुनकर शमशेर सिंह ने मुड़कर देखा और फिर तीर की तरह उसकी ओर आया। प्रोफेसर ने अपनी बाहें फैला दीं और शमशेर सिंह आकर उससे लिपट गया।

‘‘प्रोफेसर मुझे इस औरत से बचाओ। तुम्हारे अलावा और कोई ये काम नहीं कर सकता।’’
वह औरत दूर खड़ी कमर पर हाथ रखे शमशेर सिंह को घूर रही थी।

‘‘किन्तु वह है कौन?’’ रामसिंह ने पूछा।
‘‘झींगा बेलू कबीले के सरदार की बेटी है। मेरे पीछे पड़ गयी है।’’
‘‘लेकिन तुम बचाव बचाव क्यों चिल्ला रहे थे?’’ प्रोफेसर ने पूछा।
‘‘उसी के कारण। वह जबरदस्ती मुझसे प्रेम करना चाहती है। और इसीलिए दो घंटे से मुझे दौड़ा रही है।’’

‘‘ओह मैं समझा। लेकिन इसमें घबराने की क्या बात है। तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि एक औरत ने तुम्हें लिफ्ट दे दी। वरना महिला कालेजों के सामने तो तुम हमेशा पिट कर आये हो।’’ रामसिंह बोला।

‘‘तुम्हें नहीं मालूम कि इससे प्रेम करने के लिए मुझे क्या क्या करना पड़ेगा। मुझे इसके बालों मे सजाने के लिए रोजाना छिपकलियां ढूंढनी पड़ेगी। और हर रोज चूहे की कलेजी खानी पड़ेगी।’’
‘‘ओह फिर तो मामला गंभीर है। मुझे इसका हल सोचना पड़ेगा।’’ प्रोफेसर ने अपना सर खुजलाते हुए कहा।

‘‘तुम कोई ऐसी दवा तैयार करो, जिसे पीने के बाद इसके सर से प्रेम का भूत उतर जाये।’’ शमशेर सिंह ने प्रार्थना की।