Wednesday, July 8, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 6

‘‘यह रैलियां तो और मुसीबत किये रहती हैं।’’ शमशेर सिंह बड़बड़ाया। ‘‘ठीक है। फिर तुम मुझे कहीं पास में उतार देना।’’
थोड़ी देर बाद आटो उस जगह पहुंच गया जहां से होटल पास था। वह आटो से उतरा और पैदल चलने लगा। उसे इस बात पर आश्चर्य हो रहा था कि अब भी आस पास से गुजरने वाले लोग उसे ध्यान से देख कर मुसकुरा रहे थे।’’

‘‘फिर एक सज्जन ने उसे रोक कर कहा, ‘‘क्यों भाई साहब, क्या आप आत्महत्या करने जा रहे हैं??’’
‘ऐसी तो कोई बात नहीं। मैं तो इंटरव्यू देने जा रहा हूं।’’ शमशेर सिंह हड़बड़ा कर बोला।
‘‘फिर आपने यह टाई फांसी के फंदे की तरह क्यों गले में लटका रखी है?’’ उन सज्जन ने कहा।
‘‘क्या मतलब?’’
‘‘मतलब यह कि आपने टाई ठीक तरह से नहीं बाँधी है। इसके बाँधने का एक विशेष ढंग होता है।’’

‘‘ढंग वंग की ऐसी की तैसी। कृपया मेरा समय मत बर्बाद करें। मुझे एक जगह अर्जेंट पहुंचना है।’’ शमशेर सिंह बोला।
‘‘ठीक है। मेरा क्या जाता है।’’ वह सज्जन बड़बड़ाते हुए आगे बढ़ गये। और शमशेर सिंह भी अपने रास्ते पर बढ़ गया।

आखिरकार वह अपनी मंजिल अर्थात मिरेकिल होटल के सामने पहुंच गया। यह एक शानदार पांच सितारा होटल था।
होटल के गेट पर लाल पगड़ीधारी चौकीदार खड़ा हुआ था।

शमशेर सिंह जैसे ही अन्दर प्रवेश करने लगा, चौकीदार ने उसे रोक दिया, ‘‘ऐ भिखारी! अन्दर कहाँ जाता है।’’ उसने डपट कर कहा।
‘‘क्या! म--मैं तुम्हें भिखारी दिख रहा हूं।’’ शमशेर सिंह ने क्रोधित स्वर में कहने का प्रयास किया किन्तु होटल और होटल के चौकीदार के रोब के कारण उसके स्वर में कंपकपी आ गयी थी।
‘‘भिखारी नहीं तो क्या होटल के मालिक हो। चलो फूटो यहां से।’’ चौकीदार ने डंडा लहराया और शमशेर सिंह बिदक कर पीछे हट गया। फिर उसे कुछ ध्यान आया और उसने अपनी जेब से इंटरव्यू का काल लेटर निकाला।

‘‘देखो ये लेटर। इसमें मुझे यहां आमन्त्रित किया गया है।’’ उसने चौकीदार को लेटर दिखाया।
‘‘अच्छा अच्छा ठीक है। जाओ अन्दर।’’ उसने लेटर देखने के बाद शमशेर सिंह को अन्दर जाने की अनुमति दे दी।

शमशेर सिंह अन्दर प्रविष्ट हुआ और वहां का वातावरण देखकर बौखला गया। किसी पांच सितारा होटल में दाखिल होने का यह उसका पहला मौका था। वह भौंचक्का होकर अन्दर का वैभव देखने लगा। उसका मुंह पूरा खुला हुआ था और दृष्टि किसी ओर टिक नहीं पा रही थी। उसकी समझ में नहीं आया कि किस ओर से वह आगे बढ़े। अत: वह इधर उधर देखकर वहीं पड़ी एक सोफानुमा कुर्सी पर बैठ गया।

3 comments:

Arvind Mishra said...

जिज्ञासा बढ़ रही है

seema gupta said...

किसी पांच सितारा होटल में दाखिल होने का यह उसका पहला मौका था। वह भौंचक्का होकर अन्दर का वैभव देखने लगा।
हा हा हा मजेदार पहली बार सबके साथ ऐसा ही होता है.....आगे का इन्तजार??????

regards

अभिषेक मिश्र said...

अब तो शमशेर जी को साक्षात् देखने की भी इच्छा जागने लगी है.