Saturday, July 25, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 16

‘‘जरूर जरूर। हमें खुशी होगी अगर हम आपके किसी काम आ सके।’’ प्रोफेसर ने खुश होकर कहा। फिर धीरे से बोला, ‘‘किताबों के अनुसार ऐसे अवसर पर शायद यही कहा जाता है।’’
‘‘जी, क्या आप ने मुझसे कुछ कहा?’’ शोरी प्रोफेसर का अंतिम वाक्य नहीं सुन पाया।

‘‘कुछ नहीं कुछ नहीं। तो क्या आप उस वर्क के बारे में बताना पसंद करेंगे?’’
‘‘उसके बारे में तो हमारे चेयरमैन साहब ही कुछ बता सकेंगे। यदि आप कल आ जायें तो हम आपके आभारी होंगे।’’

‘‘ठीक है। आप अपना पता दे दीजिए।’’

शोरी ने कोट की जेब से अपना कार्ड निकालकर दिया, ‘‘ये हमारे आफिस का एड्रेस है। अब मैं चलता हूं। नाइस टू मीट यू।’’ हाथ मिलाते हुए शोरी ने अपने कोट की तरफ देखकर बुरा सा मुंह बनाया जिसपर सड़े अंडों का धब्बा लगा हुआ था।
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अगले दिन आर-डी-बी-ए- कम्पनी के आफिस में तीनों दोस्त मौजूद थे। और उन्हें अब तक मालूम हो गया था कि तीनों ही व्यक्ति वहाँ विशेष रूप से आमन्त्रित किये गये हैं।

‘‘तुम लोग मुझे धन्यवाद दो कि मेरे कारण तुम लोगों की भी किस्मत चमक उठी। वर्ना कहां ये शानदार कंपनी, कहां तुम जैसे फटीचर।’’ शमशेर सिंह बोला।
‘‘मेरा विचार है कि यह कंपनी केवल फटीचरों का चुनाव करती है। तभी तो सबसे पहले तुम्हें चुना।’’ रामसिंह कहां पीछे रहने वाला था।

‘‘यह तो बाद में पता चलेगा। जब वे मुझे चीफ मैनेजर बनायेंगे और तुम्हें पानी पिलाने वाला।’’ शमशेर सिंह ने फिर छेड़ा।
‘‘मेरा तो विचार है कि उन्होंने तुम्हें अपने घर की सफाई करते देख लिया था। तभी अपने यहां सर्विस दी। तुम सफाई कर्मचारी बनकर कितने अच्छे लगोगे।’’

‘‘अच्छा तुम लोग चुप बैठो। मैं एक नयी थ्योरी पर विचार कर रहा हूं।’’ प्रोफेसर ने दोनों को डाँटा।
‘‘कैसी थ्योरी प्रोफेसर?’’ रामसिंह ने पूछा।
‘‘एक वैज्ञानिक थ्योरी।’’

‘‘हमे भी वह थ्योरी बताओ प्रोफेसर।’’ शमशेर सिंह ने कहा।

‘‘मैं यह सोच रहा हूं कि जिस प्रकार जानवरों के पूँछ होती है उसी प्रकार आदमी के भी उगायी जा सकती है या नहीं?’’

‘‘बिल्कुल नहीं।’’ रामसिंह बोला।
‘‘वह क्यों?’’ प्रोफेसर ने उसकी ओर प्रश्नात्मक दृष्टि से देखा।

‘‘इसलिए, क्योंकि अगर पूँछ उगी भी तो लगातार पैण्ट पहनने से फिर घिस जायेगी।’’

‘‘कमाल है।’’ प्रोफेसर एकदम से उछल पड़ा, ‘‘तुमने तो मेरी महीनों की उलझन पल भर में दूर कर दी। अब मेरी समझ में आ गया कि मनुष्य के पूँछ क्यों नहीं होती। हालाँकि किताबों में मैंने पढ़ा है कि मनुष्य भी एक प्रकार का जानवर है।’’

अब तक चेयरमैन या किसी अन्य डायरेक्टर का आगमन नहीं हुआ था और तीनों फिलहाल वहां अकेले थे।

2 comments:

Mumukshh Ki Rachanain said...

आखिर इंतजार भी एक मज़ेदार और रोचक एपिसोड का निर्माण करवा ही देती, यह जानकर अच्छा लगा.
बधाई . अगली कड़ी का इंतजार.

अभिषेक मिश्र said...

Shamsher Singh type ek interview se abhi mera bhi samna hua hai, dekhein shayad kisi sahsik project mein hamara aamna-saamna bhi ho jaye.