इं-विशाल कमिनर के सामने अपनी रिपोर्ट दे रहा था।
‘‘ईट-एन-ज्वाय कंपनी में कार्यरत नायर असलियत में ‘वैप’ कंपनी के लिए कार्य कर रहा था। जो दुनिया की सबसे बड़ी हथियारों की सौदागर है। और परोक्ष रूप में यह देशों में ऐसा माहौल पैदा करती है कि वहां दंगे फसाद हों
और हथियारों की बिक्री अधिक से अधिक हो। इसी कंपनी ने क्रोध भड़काने वाले केमिकल का आविष्कार किया और उसके टेस्ट के लिए हमारे शहर की गंदी बस्ती को चुना गया। इसके लिए कंपनी ने उन बिल्डर्स से भी पैसा लिया जो उस बस्ती को खाली कर वहा मल्टी काम्प्लेक्स बनाने का प्लान कर
रहे हैं।
योजनाबद्ध ढंग से नायर ने इस काम को अंजाम दिया। अगर मेरे हाथ में इत्तेफाक से उसका लाल कार्ड न आता तो हम ईट-एन-ज्वाय को ही दोषी समझते और उसे देश से बाहर जाने का फरमान सुना दिया जाता। अब यह सरकार को तय करना होगा कि ‘वैप’ से आगे कोई सम्पर्क रखा जाये या
नहीं।’’
‘‘हुम्म!’’ कमिनर ने सर हिलाया। उसी समय विशाल के मोबाइल की घंटी बजी। उसने फोन रिसीव किया, दूसरी तरफ खालिद था, ‘‘इंस्पेक्टर साहब, ईट-एन-ज्वाय के चेयरमैन मि-ब्लू जीन आपसे और कमिनर साहब से मुलाकात चाहते हैं।’’
इं-विशाल ने कमिनर साहब की तरफ देखा।
‘‘ओ-के-, हम तैयार हैं।’’ कमिनर की सहमति देखते हुए इं-विशाल ने जवाब दिया।
‘‘ठीक है, कल सुबह आठ बजे कंपनी का विशेष विमान आपको चेयरमैन महोदय तक पहुंचा देगा।’’
-----------
जब कंपनी का विमान रनवे पर उतरा तो कमिनर और इं-विशाल को यह देखकर आर्श्चय हुआ कि यह अफगानिस्तान का बीहड़ व पहाड़ी इलाका था।
वे बाहर उतरे तो कुछ सिक्योरिटी गार्डों ने उन्हें अपने घेरे में ले लिया।थोड़ी देर बाद वे ऐसी गुफा में थे जो अत्याधुनिक थी। और फिर वे उसके एक बहुत ही सजे हुए कमरे में पहुंचा दिये गये जहां एक बलिष्ठ शरीर का बूढ़ा सोफे पर बैठा हुआ था। उसकी लम्बी दाढ़ी सीने पर झूल रही थी।
‘‘आप---!’’ कमिनर ने कुछ कहना चाहा।
‘‘मैं ही हूं ईट-एन-ज्वाय का चेयरमैन - ब्लू जीन।’’
‘‘मैं नहीं मानता।’’ इं-विशाल बोल उठा, ‘‘अगर मेरी नजरें धोखा नहीं खा रही हैं तो तुम सिर्फ एक आतंकवादी तबारक खान हो, जिसकी तलाश पूरी दुनिया को है।’’
‘‘यह गलत है!’’ बूढ़े की तेज़ आवाज कमरे में गूंज उठी, ‘‘हां, मेरा असली नाम तबारक खान है। लेकिन मैं आतंकवादी नहीं हूं। असलियत क्या है, मेरे मुंह से सुनो।
आज से चालीस साल पहले जब आधी दुनिया में अनाज की कमी के कारण भुखमरी फैल गयी थी तो मैंने एक कंपनी ‘टेक-फूड’ की बुनियाद डाली थी जिसने बायोटेकनीक रिसर्च का इस्तेमाल करते हुए अनाज का इतना उत्पादन किया कि कंपनी पूरी दुनिया का पेट भरने में सक्षम हो गयी।
कुछ महान देशों को यह नागवार गुजरा, क्योकि उनका मकसद था कि आधी दुनिया उनसे भीख मांगती रहे। उन्होंने मेरी कंपनी के एक प्रमुख अधिकारी को साथ मिला लिया और उसके जरिये मेरे गोदामों को जहरीला कर दिया।
नतीजे में पेट भरने वाला अनाज लोगों की मौत बनने लगा। विश्व स्तर पर जाच हुई और मेरी कंपनी को दोषी मानते हुए मुझे आतंकवादी करार दे दिया गया। दुनिया की नजरों से बचने के लिए मुझे इन गुफाओं में पनाह लेनी पड़ी।’’
‘‘उस अधिकारी का क्या हुआ?’’ विशाल ने पूछा।
‘‘आज वह ‘वैप’ कंपनी का चेयरमैन बनकर हथियारों की दलाली कर रहा है।’’
‘‘फिर तो उसने दूसरी बार आपको चोट पहुंचाने की कोशिश की।’’
‘‘मुझे नहीं बल्कि मानवता को, वह भी अपने नीच स्वार्थों के लिए। क्योंकि उसे खुद भी नहीं पता कि ईट-एन-ज्वाय का चेयरमैन भी मैं ही हूं।
ईट-एन-ज्वाय को स्थापित करने में मैंने पूरी सावधानी से काम लिया। नकली नाम से उसका चेयरमैन बना। बहरहाल मुझे मानवता के लिए काम करना था। यहां भी मुझसे थोड़ी सी चूक हो गयी और ‘वैप’ के वैम्पायर ने नायर के जरिये अपना खेल दिखा दिया। जब मुझे साजिश का पता चला तो मैंने अपने भरोसेमंद साथी खालिद को वहां भेजा। मुझे वैप को बेनकाब भी करना था। खालिद ने इस काम को पूरी कामयाबी के साथ अंजाम दिया।
उसने नायर के बैज की असलियत पता कर उसे चतुराई के साथ तुम्हारे हाथों में पहुचा दिया। जिसकी जाच कर तुम असली मुजरिम तक पहुंच गये।’’
बूढ़ा तबारक खान खामोश हो गया।
थोड़ी देर की खामोशी के बाद कमिनर बोला, ‘‘मैं सोच भी नहीं सकता था। तबारक खान, मैं पूरी कोशिश करूंगा तुम्हें दुनिया के सामने लाने की। एक मसीहा के माथे से आतंकवाद का कलंक मिटाकर।’’
---समाप्त----
लेखक : जीशान हैदर ज़ैदी
‘‘ईट-एन-ज्वाय कंपनी में कार्यरत नायर असलियत में ‘वैप’ कंपनी के लिए कार्य कर रहा था। जो दुनिया की सबसे बड़ी हथियारों की सौदागर है। और परोक्ष रूप में यह देशों में ऐसा माहौल पैदा करती है कि वहां दंगे फसाद हों
और हथियारों की बिक्री अधिक से अधिक हो। इसी कंपनी ने क्रोध भड़काने वाले केमिकल का आविष्कार किया और उसके टेस्ट के लिए हमारे शहर की गंदी बस्ती को चुना गया। इसके लिए कंपनी ने उन बिल्डर्स से भी पैसा लिया जो उस बस्ती को खाली कर वहा मल्टी काम्प्लेक्स बनाने का प्लान कर
रहे हैं।
योजनाबद्ध ढंग से नायर ने इस काम को अंजाम दिया। अगर मेरे हाथ में इत्तेफाक से उसका लाल कार्ड न आता तो हम ईट-एन-ज्वाय को ही दोषी समझते और उसे देश से बाहर जाने का फरमान सुना दिया जाता। अब यह सरकार को तय करना होगा कि ‘वैप’ से आगे कोई सम्पर्क रखा जाये या
नहीं।’’
‘‘हुम्म!’’ कमिनर ने सर हिलाया। उसी समय विशाल के मोबाइल की घंटी बजी। उसने फोन रिसीव किया, दूसरी तरफ खालिद था, ‘‘इंस्पेक्टर साहब, ईट-एन-ज्वाय के चेयरमैन मि-ब्लू जीन आपसे और कमिनर साहब से मुलाकात चाहते हैं।’’
इं-विशाल ने कमिनर साहब की तरफ देखा।
‘‘ओ-के-, हम तैयार हैं।’’ कमिनर की सहमति देखते हुए इं-विशाल ने जवाब दिया।
‘‘ठीक है, कल सुबह आठ बजे कंपनी का विशेष विमान आपको चेयरमैन महोदय तक पहुंचा देगा।’’
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जब कंपनी का विमान रनवे पर उतरा तो कमिनर और इं-विशाल को यह देखकर आर्श्चय हुआ कि यह अफगानिस्तान का बीहड़ व पहाड़ी इलाका था।
वे बाहर उतरे तो कुछ सिक्योरिटी गार्डों ने उन्हें अपने घेरे में ले लिया।थोड़ी देर बाद वे ऐसी गुफा में थे जो अत्याधुनिक थी। और फिर वे उसके एक बहुत ही सजे हुए कमरे में पहुंचा दिये गये जहां एक बलिष्ठ शरीर का बूढ़ा सोफे पर बैठा हुआ था। उसकी लम्बी दाढ़ी सीने पर झूल रही थी।
‘‘आप---!’’ कमिनर ने कुछ कहना चाहा।
‘‘मैं ही हूं ईट-एन-ज्वाय का चेयरमैन - ब्लू जीन।’’
‘‘मैं नहीं मानता।’’ इं-विशाल बोल उठा, ‘‘अगर मेरी नजरें धोखा नहीं खा रही हैं तो तुम सिर्फ एक आतंकवादी तबारक खान हो, जिसकी तलाश पूरी दुनिया को है।’’
‘‘यह गलत है!’’ बूढ़े की तेज़ आवाज कमरे में गूंज उठी, ‘‘हां, मेरा असली नाम तबारक खान है। लेकिन मैं आतंकवादी नहीं हूं। असलियत क्या है, मेरे मुंह से सुनो।
आज से चालीस साल पहले जब आधी दुनिया में अनाज की कमी के कारण भुखमरी फैल गयी थी तो मैंने एक कंपनी ‘टेक-फूड’ की बुनियाद डाली थी जिसने बायोटेकनीक रिसर्च का इस्तेमाल करते हुए अनाज का इतना उत्पादन किया कि कंपनी पूरी दुनिया का पेट भरने में सक्षम हो गयी।
कुछ महान देशों को यह नागवार गुजरा, क्योकि उनका मकसद था कि आधी दुनिया उनसे भीख मांगती रहे। उन्होंने मेरी कंपनी के एक प्रमुख अधिकारी को साथ मिला लिया और उसके जरिये मेरे गोदामों को जहरीला कर दिया।
नतीजे में पेट भरने वाला अनाज लोगों की मौत बनने लगा। विश्व स्तर पर जाच हुई और मेरी कंपनी को दोषी मानते हुए मुझे आतंकवादी करार दे दिया गया। दुनिया की नजरों से बचने के लिए मुझे इन गुफाओं में पनाह लेनी पड़ी।’’
‘‘उस अधिकारी का क्या हुआ?’’ विशाल ने पूछा।
‘‘आज वह ‘वैप’ कंपनी का चेयरमैन बनकर हथियारों की दलाली कर रहा है।’’
‘‘फिर तो उसने दूसरी बार आपको चोट पहुंचाने की कोशिश की।’’
‘‘मुझे नहीं बल्कि मानवता को, वह भी अपने नीच स्वार्थों के लिए। क्योंकि उसे खुद भी नहीं पता कि ईट-एन-ज्वाय का चेयरमैन भी मैं ही हूं।
ईट-एन-ज्वाय को स्थापित करने में मैंने पूरी सावधानी से काम लिया। नकली नाम से उसका चेयरमैन बना। बहरहाल मुझे मानवता के लिए काम करना था। यहां भी मुझसे थोड़ी सी चूक हो गयी और ‘वैप’ के वैम्पायर ने नायर के जरिये अपना खेल दिखा दिया। जब मुझे साजिश का पता चला तो मैंने अपने भरोसेमंद साथी खालिद को वहां भेजा। मुझे वैप को बेनकाब भी करना था। खालिद ने इस काम को पूरी कामयाबी के साथ अंजाम दिया।
उसने नायर के बैज की असलियत पता कर उसे चतुराई के साथ तुम्हारे हाथों में पहुचा दिया। जिसकी जाच कर तुम असली मुजरिम तक पहुंच गये।’’
बूढ़ा तबारक खान खामोश हो गया।
थोड़ी देर की खामोशी के बाद कमिनर बोला, ‘‘मैं सोच भी नहीं सकता था। तबारक खान, मैं पूरी कोशिश करूंगा तुम्हें दुनिया के सामने लाने की। एक मसीहा के माथे से आतंकवाद का कलंक मिटाकर।’’
---समाप्त----
लेखक : जीशान हैदर ज़ैदी
7 comments:
Kahani ek tarkik ant ko pahunchi. Dhanyavad. Nai kahani ka intejar abhi se hi.
अच्छी कहानी थी ..आज ही चारो भाग पढ़ पाई.
अब मुझे तो उतनी अच्छी नहीं लगी -मैंने तो कोई और अंत ही सोचा था न ! हा हा !
अरविन्द जी, अच्छा सस्पेंस तो वही कहा जायेगा जिसमें अंत कोई भांप न पाए
शानदार कहानी। मुबारकबाद कुबूल फरमाएँ।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अगली कहानी का इंतजार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
यह लिंक देख लें।
http://www.childrensbooktrust.com/writing.htm
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