Thursday, February 5, 2009

ताबूत - एपिसोड 55

"तो तुम लोग क्या लेकर आए हो?" बॉस ने मारभट और सियाकरण को संबोधित किया जो अब बाकी दोनों प्राचीन युगवासियों के साथ कुर्सियों पर बैठ गए थे.
"मुझे एक मनुष्य ने दो डिब्बे दिए थे और कहा था कि यहाँ पहुंचाना है. वही हम लेकर आये थे." मारभट ने उत्तर दिया.
"तुम लोग वहां कब से काम कर रहे हो?" बॉस ने फ़िर पूछा.
"उस मनुष्य से हम आज ही मिले हैं."
'ओह! इसका मतलब हुआ कि ये लोग निर्दोष हो सकते हैं. शायद इन्हें भी फंसाया गया है.' बॉस ने अपने मन में कहा. फ़िर वह बोला, "अगर तुम लोग अपने बारे में सही सही जानकारी दे दो तो तुम्हें छोड़ दिया जायेगा. तुम लोग कौन हो और इन दोनों को कैसे जानते हो?"

इसके जवाब में सियाकरण अपनी पूरी कहानी सुनाने लगा कि किस प्रकार महर्षि प्रयोगाचार्य के एक प्रयोग द्वारा वह इस युग में पहुँचा और उसके बाद उसके साथ साथ क्या घटित हुआ. जब उसने अपनी कहानी समाप्त की तो बॉस इत्यादि कुछ देर बोलना ही भूल गए. फ़िर बॉस ने कहा, "हमें तुम्हारी कहानी पर तब यकीन आयेगा जब तुम हमें वह ताबूत दिखा दोगे जिसमें तुम लोग सोये थे. और तब तक तुम हमारी कैद में रहोगे."
उसके बाद बॉस फ़िर अपने कमरे में चला गया और ट्रांसमीटर पर डाँ0 कोमोडो को प्राचीन युगवासियों की कहानी बताने लगा.
"अगर उनकी कहानी सत्य है तो यह इस युग का आठवां आश्चर्य होगा. वैसे मुझे विश्वास है की अपने को बचाने के लिए उन्होंने झूठी कहानी गढ़ी है. खैर तुम इस बारे में पूरी छानबीन करो. वह ताबूत मेरे लिए काफी आकर्षण रखते हैं और मैं वह स्थान देखना चाहता हूँ की क्या वास्तव में उस समय महर्षि प्रयोगाचार्य जैसे अद्भुत वैज्ञानिक होते थे?"

"ओ.के. डॉक्टर. मैं उनके बारे में पूरी छानबीन करवा रहा हूँ."
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फ़िर जल्दी ही बॉस को पता लग गया कि प्राचीन युगवासी मिकिर पहाडियों वाले इलाके से आये थे. अतः वहां चलने की तय्यारी शुरू हो गई. वहां जाने के लिए बनी टीम में बॉस, डाँ० कोमोडो और चारों प्राचीन युगवासियों के अतिरिक्त तीन व्यक्ति और थे. इस प्रकार कुल संख्या नौ थी. ये लोग हेलीकॉप्टर द्वारा वहां पहुंचे. फ़िर उस पड़ी की खोज शुरू हो गई और ये खोज पूरी तरह प्राचीन युगवासियों की स्मृति पर निर्भर थी क्योंकि किसी को उस स्थान का सही पता नहीं था.

वे लोग काफी देर तक जंगल में भटकते रहे किंतु पहाडियों में जाने वाला रास्ता नहीं मिला.
"लगता है ये लोग रास्ता भूल गए हैं." बॉस ने अपने साथ चल रहे डाँ० कोमोडो से कहा.
"मुझे भी यही लगता है. हम लोगों को चलते हुए तीन घंटे बीत चुके हैं. किंतु अभी तक हमें पहाडियों के अन्दर जाने का रास्ता नहीं मिला."
"यदि कुछ देर और रास्ता नहीं मिला तो हम लोग पडाव डाल देंगे. क्योंकि शाम का अँधेरा फैलने लगा है. और इस अंधेरे में हमें और रास्ता नहीं मिलेगा."
मारभट और सियाकरण सबसे आगे चल रहे थे. उनके पीछे चोटीराज और चीन्तिलाल थे. और उनके पीछे बाकी लोग थे.

1 comment:

seema gupta said...

"ताबूत की खोज फ़िर से शुरू ...रोचक"

Regards