Friday, January 23, 2009

ताबूत - एपिसोड 48

"तीसरी बार तो मैंने पूरा इन्तिजाम कर लिया था. मैंने अपनी कापी बाहर लिखवाने के लिए भेज दी थी. किंतु ऐन मौके पर चूक हो गई. जिस लड़के को मैंने कापी लिखने के लिए दी थी उसने तो अपना काम कर दिया किंतु जिस लड़के को कापी यूनिवर्सिटी के अन्दर पहुंचानी थी वह लेट हो गया. और उस समय पहुँचा जब कापियां जमा हो चुकी थीं."
"यह तो रियली बहुत अफ़सोस की बात है. किंतु इस बार तुम क्या कर रहे हो?"
"इस बार तो कोई चिंता की बात नहीं है. क्योंकि इस बार हमने इस मांग को लेकर धरना दिया है की इक्जाम के प्रश्न पत्र वी.सी. और रजिस्ट्रार के अलावा छात्रसंघ के अध्यक्ष को भी दिखाए जाएँ. वह अध्यक्ष मैं ही हूँ. वी.सी. ने हमारी मांग मान लेने का आश्वासन दे दिया है."
लड़की ने इधर उधर देखा फ़िर कहा, "काफ़ी अन्धकार छा गया है. अब वापस चलना चाहिए."
"अरे अभी रुको. अभी टाइम ही कितना हुआ है." लड़के ने रोकते हुए कहा.
"बात यह है की यहाँ काफ़ी सन्नाटा हो गया है. और मुझे डर लग रहा है."
"अरे मेरे होते हुए तुम्हें किस बात का डर. पता है, पिछले चुनाव में मैंने अपने प्रतिपक्षी से ज़ोर से बात कर ली थी तो वह कांपने लगा था. भला मेरे होते हुए किसकी इतनी हिम्मत की वह यहाँ आ सके."

"कोई व्यक्ति न सही, भूत और जिन तो आ सकते हैं."
"बकवास. मैं भूतों और जिन्नों को नहीं मानता. और मान लिया वे होते भी हैं तो हमारा क---क्या ब---बिगाड़ लेंगे!" अन्तिम शब्द कहते कहते लड़के की आवाज़ थर्राने लगी और ऑंखें भय से फ़ैल गईं.
"क्या हुआ तुम्हें?" फ़िर लड़की ने लड़के के इशारे पर पीछे मुड़कर देखा और उसकी चीख निकल पड़ी. क्योंकि पीछे दो लंबे तड़ंगे ऊपर से नीचे तक एकदम काले जिन खड़े थे.
"त--तुम सही कह रह थी. वाकई में भूत प्रेत होते हैं. भ--भागो." फ़िर लड़के ने विपरीत दिशा में दौड़ लगा दी और लड़की भी उसे पुकारते हुए पीछे पीछे भागी, "डियर, तुम तो कह रहे थे की हम एक दूसरे से कभी जुदा नही होंगे और तुम तो मुझे छोड़कर भागे जा रहे हो."
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"अजीब मनुष्य हैं ये लोग. हम लोग तो इनसे पूछने वाले थे की पानी कहाँ मिलेगा. और ये लोग तो भाग खड़े हुए." मारभट ने कहा.
"यह युग हमें कभी समझ में नहीं आ सकेगा. आओ, हम स्वयें ही पानी ढूंढते हैं." सियाकरण ने कहा. फ़िर वे लोग यूनिवर्सिटी के अन्दर घुस गए. उन्हें देखकर लोग इधर उधर भागने लगे. अपने कमरों में घुसकर लड़कों ने बाहर से दरवाज़ा बंद कर लिया. वे लोग माहौल से बेखबर पानी की तलाश कर रहे थे. फ़िर उन्हें एक हौज़ दिखाई पड़ गया. उनकी ऑंखें पानी देखकर चमक उठीं और उन्होंने हौज़ में छलाँग लगा दी.
उधर हॉस्टल में किसी ने पुलिस को फोन कर दिया था की हॉस्टल में दो भूत घुस आए हैं. अतः जैसे ही ये लोग नहाकर हौज़ से बाहर निकले, पुलिस ने इन्हें चारों ओर से घेर लिया.

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