सुबह अमित कुमार जी पधारे. स्वीमिंग सूट में थे और हमें तैराकी का न्योता देने आये थे. मैं तो टब में भी उतरते हुए घबराता हूँ. अरशद भाई उठने को हुए लेकिन हम ने उन्हें घूर कर बिठा दिया. एक रात उनका नजला झेल चुके थे और अभी एक रात और गुजारनी थी. बहरहाल अमित जी को एक साथी मिल गया जिसने कुँए में तैरना सीखा था. अमित जी तो तैरने निकल गए और हम मोहन जी के रूम पार्टनर से उनकी रातबीती सुनने लगे.
जब मोहन जी ने उनका भेजा चाटना शुरू किया तो वे लिखने का बहाना करके एक करवट हो गए. मोहन जी को जोश आया. उन्होंने कूदकर अपना किताबों का गट्ठर उठाया और कमरे की साडी बत्तियां जलाकर उन्हें पढ़ना शुरू कर दिया.
आज भी नाश्ता कल जैसा ही था. हो सकता है कल ही का रहा हो. वैसे आज मेहमानों की संख्या बढ़ गई थी. बाल भवन की पूर्व निदेशक मधु पन्त, रीमा व अमित सरवाल, बुशरा अल्बेरा, डा.रत्नाकर, डा.गौहर, डा.अरुल अरम, डा.अरविन्द दुबे जैसी कई हस्तियां नज़र आ रही थीं.
चूंकि अरविन्द मिश्र जी भारतीय समयानुसार चलने के कायल नही हैं इसलिए उन्होंने ठीक १०:३० बजे उदघाटन सत्र चालू कर दिया. माननीय मुख्य अतिथि चित्रकूट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एस.एन.दुबे ने सर्वप्रथम दीप प्रज्ज्वलित किया. आमतौर पर ऐसे अवसरों पर माचिस गायब हो जाती है, और किसी धूम्रपान वाले की तलाश होने लगती है. लेकिन अरविन्द जी इस मामले में काफी तजुर्बेकार हैं. इसलिए माचिस मौजूद थी.
उदघाटन सत्र का संचालन करने के लिए प्रो.एस.एन.गुप्ता जी खड़े हुए, और माइक से आवाज़ गायब हो गई. फिर बीच बीच में अपनी मर्ज़ी से आती जाती रही. इस बीच मराठी विज्ञान कथा लेखक वाई.एच. देशपांडे ने महाभारत काल के साइंस फिक्शन की सैर कराई. मधु पन्त जी ने कविता सुनाई. और फिर बारी आई किताबों के विमोचन की.
कुल तीन किताबों में सर्वप्रथम डा.रत्नाकर भेलकर की किताब का अनावरण हुआ, फिर हरीश गोयल जी की किताब का भी विमोचन हो गया कुल एक अदद किताब गोयल जी इसके लिए लाये थे, और झलक दिखला कर छुपा ली. तीसरी किताब मेरी थी, जिसके विमोचन में थोडी तकनीकी खराबी आ गई. दरअसल पैकिंग काफी मज़बूत हो गई थी. आख़िर में चाकू का सहारा लेना पड़ा. वरना अरविन्द जी तो बिना विमोचन के ही लौटा रहे थे.
6 comments:
वाह जमाये रहिये जीशान जी -प्रोफेसर एस एन गुप्ता जी नहीं एस एम् -सागरमल गुप्ता .याद है उस क्षण जब आपकी कताब का आवरण खोले नही खुल रहा था और मुख्य अतिथि बिचारे सील /शील संकोच में दिख रहे थे मेरे मुंह से बेशाख्ता निकल पडा था की जब इतना ही शील /सील मुंहर बंद करके रखना था फिर विमोचन की क्या जरूरत थी ! बहरहाल शील टूट ही गयी !
Arvind ji, Gupta ji ne mera naam galat liya tha, main ne unka naam galat likh diya. hisaab barabar.
"ha ha ha yhan bhee hissab brabar ho rha hai?????? but interetsing to know all this.."
regards
लगता है अभी आगे और भी कई हिसाब बराबर होने हैं.
kuchh to sharam karo bhaaayee ! aise hisaab baraabar hotaa hai kyaa ? paathkon ne aakhir kyaa bigaaadaa hai !?
अरविन्द जी. वैसे आगे के एपिसोड में गलती सुधार दी है. लेकिन इसमें सरासर कसूर शोर्ट नेम के बढ़ते प्रचलन का है. अब पूरा प्रोग्राम हो गया लेकिन मुख्य अतिथि का पूरा नाम मालूम नही हो पाया.
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