Sunday, November 16, 2008

ताबूत - एपिसोड 19

"यार, तुम लोग तो ऐसी दलीलें देते हो कि मैं अपने आपको किसी गधे का भतीजा समझने लगता हूँ जो अपने मामा की सिफारिश पर सरकारी नौकरी में भरती हो गया हूँ."
"ठीक है, ठीक है। अब शमशेर सिंह तुम बताओ कि अपने खजाने का क्या करोगे?" प्रोफ़ेसर ने पूछा.

"सबसे पहले तो मैं किसी स्विस बैंक में अपना खाता खुलवाऊंगा और उसमें अपना खजाना जमा कर दूँगा।"

"और उसके बाद?""मुझे एडवेंचर का बहुत शौक है। इसलिए उसके बाद मैं दुनिया के खतरनाक स्थानों जैसे अफ्रीका के जंगलों, अमेज़न के बेसिन, अमेरिका के रेड इंडियन प्रदेशों में रोमांचपूर्ण यात्राएं करूंगा और ऐसे ऐसे साहसपूर्ण कारनामे करूंगा कि मेरा नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों द्वारा लिखा जाएगा."
"इन साहसपूर्ण कारनामों से पहले यदि एक साहसी कार्य कर जाओ तो मैं तुम्हारा नाम उसी समय इतिहास की किसी किताब में लिखवा दूँगा." रामसिंह ने कहा.

"एक क्या, चाहे जितने कारनामे कहो मैं कर के दिखला दूँ."

"बस तुम केवल अपना पलंग अपने कमरे की दीवार से मिलाकर उसपर सो जाओ."
"इसमें साहस दिखाने की क्या बात है? मैं समझा नहीं." प्रोफ़ेसर ने आश्चर्य से कहा.

"बात यह है कि विश्व के सबसे साहसी व्यक्ति को छिपकलियों से बहुत डर लगता है. अतः ये अपना पलंग दीवार से लगाकर नही सोते. क्योंकि इससे दीवार पर चढी छिपकलियों के पलंग पर गिरने का डर रहता है."

"अरे यार, तुम कहाँ की बात ले बैठे. छिपकलियों से तो खैर दुनिया का हर व्यक्ति डरता है. मैं भले ही छिपकलियों से डरूं, लेकिन शेर के मुंह में हाथ डालकर उसका जबडा चीर सकता हूँ, हाथी की सूंड मोड़कर उसे पटक सकता हूँ और बड़े से बड़े सूरमा से कुश्ती लड़कर उसे पछाड़ सकता हूँ."
"ठीक है, तुम ज़रूर यह सब काम कर सकते हो. लेकिन मैं यह तभी मानूंगा जब तुम वह सामने जा रहा चूहा पकड़ लोगे. " रामसिंह ने एक कोने में संकेत किया जहाँ एक चूहा बैठा हुआ टुकुर टुकुर इन लोगों की तरफ़ देख रहा था. वह शायद खाने की बू सूंघकर कहीं से निकल आया था.

"इसमें कौन सी बड़ी बात है. मैं अभी उसे पकड़ लेता हूँ." कहते हुए शमशेर सिंह उस तरफ़ धीरे धीरे बढ़ने लगा. उधर चूहा भी बड़े गौर से उसकी तरफ़ देखने लगा लगा था. वह ज़रा भी इधर उधर नहीं हिला था. शायद उसका मूड भी लड़ने का था.
शमशेर सिंह एकदम उसके पास पहुँच गया. अब चूहे के कान खड़े हो गए थे. और उसने अपनी ऑंखें शमशेर सिंह की आँखों में गडा दी थीं. शमशेर सिंह धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा. अचानक चूहे ने किसी कुशल कुंगफू मास्टर की तरह छलांग लगाई और शमशेर सिंह की दाईं हथेली चूमता हुआ पीछे फांदकर किसी पत्थर के पीछे गायब हो गया.

2 comments:

अभिषेक मिश्र said...

Chuha-fight ke baad ab aur kya!

seema gupta said...

अपने आपको किसी गधे का भतीजा समझने लगता हूँ जो अपने मामा की सिफारिश पर सरकारी नौकरी में भरती हो गया हूँ."
" ha ha ha ha ha great ense of humour,..."

Regards