Sunday, November 2, 2008

ताबूत - एपिसोड 17

"यह बात तो शत प्रतिशत सत्य है." शमशेर सिंह ने कहा, "मेरे पड़ोस में एक पहलवान जी रहते हैं, जिनकी खोपडी एकदम सफाचट है, क्योंकि वे खोपडी का इस्तेमाल बिल्कुल नही करते. बल्कि जहाँ अक्ल के इस्तेमाल की बात आती है, वहां भी वे जूतेलात को काम में लाते हैं. जब वो अपनी लड़की की शादी एक जगह कर रहे थे तो उसी समय लड़के ने मोटरसाइकिल की मांग कर दी. वे बहुत परेशान हुए. लोगों ने राए दी कि थोड़ा अक्ल से काम लेते हुए लड़के को बहला दीजिये वरना बारात लौट जायेगी तो बहुत बदनामी होगी.
उन्होंने झपट कर लड़के का गिरेबान पकड़ा और उठाकर पटक दिया. बोले कमबख्त,तेरे तो होने वाले बच्चों ने भी कभी मोटरसाइकिल कि शकल नही देखी होगी. आइन्दा अगर तूने मोटरसाइकिल कि मांग कि तो वो पटखनियाँ दूँगा कि तुझे पंक्चर साइकिल कि याद आने लगेगी. वो लड़का इतना घबराया कि बोलना ही भूल गया. और तब तक नही बोला जब तक सही सलामत दुल्हन को लेकर घर नही पहुँच गया."

"बाद में तो ससुराल वालों ने पहलवान कि लड़की को बहुत सताया होगा." प्रोफ़ेसर ने पूछा.
"ऐसा कुछ नही हुआ. ससुराल वालों के सारे अरमान धरे रह गए. क्योंकि पहलवान की बेटी भी अखाड़े में दंड बैठक लगाये हुए थी. कोई घूर कर भी देखता था तो वह पटखनी देती थी कि घूरने वाला चारों खाने चित हो जाता था."

"खैर यह ख्याल अच्छा है कि दहेज़ समस्या के हल के लिए लड़कियों को पहलवान बनाया जाए. ताकि वह अपनी रक्षा ख़ुद कर सकें." प्रोफ़ेसर ने कहा.
"यार, यह सुरंग कितनी लम्बी है कि ख़त्म होने में ही नही आ रही है." रामसिंह ने कहा.

"अभी कैसे ख़त्म होगी. अभी अभी तो हम लोग चले हैं. मेरा ख्याल है कि अभी हम पहाडी के बीचोंबीच हैं." प्रोफ़ेसर ने ख्याल ज़ाहिर किया.
वे लोग आगे बढ़ते रहे, फिर अचानक यह सुरंग कमरे की तरह चौड़ी हो गई. यहाँ पर मालूम हो रहा था जैसे इस कमरे में आमने सामने दो दरवाज़े हैं. एक वो जिससे ये लोग दाखिल हुए और दूसरा सामने नज़र आ रहा था.

"यह जगह ठहरने के लिए अच्छी है. अब यहाँ रूककर कुछ खा पी लिया जाए. मेरे तो भूख लगने लगी है." शमशेर सिंह ने कहा.
फिर वे लोग वहीँ बैठ गए. प्रोफ़ेसर ने इधर उधर देखते हुए कहा, "प्रकृति भी कैसे कैसे करिश्में दिखाती है. अब यही देखो, पहाड़ियों के बीच सुरंग खोदकर एक कमरा तैयार कर दिया. मानो इंसानी हाथों ने संवारा है."

"क्या ऐसा नही हो सकता कि वास्तव में किसी ने सुरंग खोदकर यह कमरा बना दिया हो?" रामसिंह ने अनुमान लगाया.

1 comment:

admin said...

कहानी अपने पूरे शबाब पर है। बधाई।