"और रॉकेट बनाने वालों के वारे न्यारे हो जायेंगे. हो सकता है कि वे तुम्हें अपनी बिक्री बढ़ने के लिए इनाम विनाम दे डालें." रामसिंह ने प्रोफ़ेसर के हौसलों को और पानी पर चढाया.
"वैसे मेरा यार है काबिल आदमी." शमशेर सिंह ने कहा, "अगर यह कोशिश करे तो नोबुल प्राइज़ ज़रूर प्राप्त कर लेगा."
"मैं नोबिल प्राइज़ क्यों प्राप्त करुँ. देख लेना एक दिन आएगा जब मेरे नाम से पुरूस्कार बटेंगे." प्रोफ़ेसर ने अकड़ कर कहा.
अब तक वे लोग सुरंग के मुंह तक पहुँच चुके थे.
"यार, यह तो काफी लम्बी सुरंग लग रही है. अन्दर एकदम अँधेरा है." रामसिंह ने कहा.
"लम्बी तो होगी ही. आख़िर यह हमें पहाड़ियों के दूसरी ओर ले जायेगी." शमशेर सिंह ने कहा.वे लोग सुरंग के अन्दर घुसते चले गए. उनके घुसने के साथ ही कुछ छुपे चमगादड़ इधर उधर भागने लगे. कुछ इनसे भी आकर टकराए.
"यार प्रोफ़ेसर, टॉर्च जला लो. वरना ये चमगादड़ हमें अपना शिकार समझकर खा जायेंगे." रामसिंह ने कहा. प्रोफ़ेसर ने टॉर्च जला ली. टॉर्च की रौशनी में मकड़ियों के काफी बड़े बड़े जाले चमक रहे थे. यह प्राकृतिक सुरंग मकड़ियों और चमगादडों का निवास थी.
वे लोग जाले साफ करते हुए आगे बढ़ने लगे. चमगादड़ रौशनी देखकर फिर अपने अपने बिलों में छुप गए थे.
"यार प्रोफ़ेसर, ये चमगादड़ रौशनी में क्यों नही निकलते? अंधेरे में ही क्यों निकलते हैं?" रामसिंह ने मिचमिची दृष्टि से इधर उधर देखते हुए पूछा.
"बात यह है कि चमगादड़ को नई नई चीज़ें खाने का बहुत शौक था. इसी शौक में एक दिन वह अफीम की पत्ती खा गया. फिर क्या था, उसको दिन ही में रंगीन सपने दिखाई देने लगे. उसके बाद वह रोजाना अफीम की पत्ती खाने लगा. और खाकर किसी अंधेरे कोने में पड़ा रहता था. धीरे धीरे उसकी आँखों को सूर्य की रौशनी असहनीय लगने लगी और वह पूरी तरह अंधेरे में रहने लगा."
"यह तुमने कहाँ पढ़ा है?" शमशेर सिंह ने पूछा.
"यह एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक लैमार्क का सिद्धांत है कि प्राणियों में जिन अंगों का इस्तेमाल नही होता वे धीरे धीरे समाप्त होते जाते हैं और जिनका अधिक इस्तेमाल होता है वे बलिष्ट होते जाते हैं."
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यह एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक लैमार्क का सिद्धांत है कि प्राणियों में जिन अंगों का इस्तेमाल नही होता वे धीरे धीरे समाप्त होते जाते हैं और जिनका अधिक इस्तेमाल होता है वे बलिष्ट होते जाते हैं."
" oh very strange but true.."
Regards
आगे देखें सुरंग में और कौन-कौन से रहस्य खुलते हैं !
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