फीरान का खास वज़ीर हरस गुस्से में भरा हुआ अपने आलीशान कमरे में टहल रहा था। उसके इस कमरे में हर चीज़ सोने या प्लैटिनम की बनी हुई थीं। सोने की कुर्सियां, प्लैटिनम का बेड और छत से लटकते हीरे के फानूस ये ज़ाहिर करने के लिये काफी थे कि वह दुनिया के सम्राट फीरान का खास है।
लेकिन इस समय इस कमरे का कोई आकर्षण उसके गुस्से को ठंडा नहीं कर पा रहा था। यहाँ तक कि दरवाज़े से अन्दर दाखिल होने वाली वह खूबसूरत औरत भी उसके चेहरे के भावों में कोई बदलाव नहीं ला सकी।जब हरस ने उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया तो उसने खुद ही उसे मुखातिब किया, ‘‘इतने गुस्से में क्यों हो हरस बाॅस?’’
‘‘मेरे गोल्डी और प्लैटी पर हाथ उठाने की उन रोबोटों की हिम्मत कैसे हुई। आओ तुम्हें दिखाऊं कि उन टीन के डब्बों ने मेरे बच्चों का क्या हाल किया है।’’ उसने उस औरत का हाथ पकड़ा और कमरे से बाहर निकल आया। अब वह तेज़ी से एक गैलरी में चला जा रहा था। उसका साथ देने के लिये उस औरत को लगभग दौड़ना पड़ रहा था।
फिर हरस दूसरे कमरे में घुस गया। वहाँ दो बेड पड़े हुए थे। और उनपर गोल्डी और प्लैटी मौजूद थे, ऊपर से नीचे तक पट्टियों में जकड़े हुए। उनके मुंह से कराहें फूट रही थीं।
‘‘मेरे बच्चों! तुम घबराओ नहीं। जिन रोबोटों ने तुम्हारा ये हाल किया है, उन्हें मैं छोडं़ूगा नहीं। सबको कबाड़ बनाकर उनकी रीसाइक्लिंग करा दूंगा।’’ हरस गुस्से में कह रहा था।
‘‘लेकिन उन रोबोटों ने ऐसा किया क्यों? इसके पीछे कोई वजह ज़रूर होगी।’’ उस औरत ने कहा जो वास्तव में हरस की खास सेक्रेटरी जूली थी।
‘‘जैसा कि गोल्डी ने बयान दिया है कि उनमें से एक रोबोट ने उसे काम करने का आदेश दिया था। गुस्से में उसने उसे नष्ट कर दिया। उसके जवाब में कई रोबोटों ने मिलकर दोनों पर हमला कर दिया। लेकिन ये बात मुझे भी खटक रही है। रोबोटों का ये व्यवहार अप्रत्याशित था, क्योंकि वे उनही मनुष्यों से काम ले सकते हैं जिनसे काम लेने का उन्हें आदेश दिया गया हो। कुछ न कुछ गड़बड़ ज़रूर है।’’ हरस सोच मे पड़ा हुआ इधर से उधर टहल रहा था। फिर वह जूली की तरफ घूमा,
‘‘जूली। तुम एक काम करो। जो रोबोट उस हमले में शामिल थे, उनकी मेमोरी स्कैन करके मालूम करो कि उन्होंने ऐसा व्यवहार क्यों किया।’’
‘‘ओ. के. बाॅस।’’ कहती हुई जूली वहाँ से निकल गयी।
हरस गोल्डी के पास बैठकर उसे चिंतित नज़रों से देखने लगा जिसके मुंह से कराहें फूट रही थीं।
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महावीर अपने कमरे में बैठा सोच में डूबा हुआ था। सोच इतनी गहरी थी कि उसे जयंती के आने का भी एहसास न हुआ।
‘‘महावीर!’’ जयंती ने उसे संबोधित किया और वह चैंक पड़ा।
‘‘अरे माँ, तुम कब आयीं?’’
‘‘मैं तो बहुत देर से यहाँ पर मौजूद हूं। लेकिन मैं देख रही हूं कि जब से तुम फीरान के शहर को देखकर आये हो तभी से किसी सोच में खोये रहते हो। बात क्या है आखिर?’’
‘‘माँ, मैंने फीरान के शहर में देखा, कि वहाँ इंसान की हालत जानवरों से भी बदतर है। वो लोग मशीनों की गुलामी कर रहे हैं।’’ महावीर के चेहरे पर अफसोस के भाव थे।
‘‘अब ये गुलामी हमेशा के लिये तमाम लोगों का मुकद्दर बन चुकी है। क्योंकि फीरान के शासन में यही होना है। वह अपनी मशीनों को इंसानों के ऊपर कोड़े बरसाते देखकर खुश होता है।’’
‘‘क्या दुनिया में कोई ऐसा नहीं जो फीरान के खिलाफ आवाज़ उठा सके?’’
‘‘बहुत से लोगों ने आवाज़ उठायी और मौत के घाट उतार दिये गये। वह सर्वशक्तिमान है। उसने मौत को भी अपने काबू में कर लिया है। उसे कभी नेचुरल मौत नहीं आ सकती। लेकिन तू इन सब बातों में मत पड़। हम लोग यहाँ इस छोटे शहर में आराम से हैं। यहाँ किसी को कोई खतरा नहीं।’’ जयंती ने उसका ध्यान फीरान पर से हटाने की कोशिश की लेकिन महावीर के दिमाग पर लगता था, कि फीरान बुरी तरह सवार हो गया है।
‘‘दुनिया का कोई ज़ालिम अपने अंजाम से बच नहीं सका है। तो फिर फीरान कैसे बच सकता है। कोई तो होगा जो उसे उसके अंजाम तक पहुंचायेगा।’’
‘‘पता नहीं।’’ जयंती ने फिर उसे इस टाॅपिक से अलग करने की कोशिश की, ‘‘अभी टीवी पर तुम्हारे मनपसंद कैरेक्टर वाली साइंस फिक्शन फिल्म आने वाली है। लगता है तुम्हें याद नहीं।’’
‘‘अरे हाँ, मैं तो भूल ही गया था।’’ महावीर ने घड़ी पर नज़र की, ‘‘वह तो अब शुरू भी हो गयी होगी। रिमोट कहाँ है?’’
जयंती ने एक तरफ रखा रिमोट उठाया और आॅन का बटन दबा दिया। कमरे की एक दीवार रौशन होकर किसी टीवी की तरह प्रोग्राम दर्शाने लगी। इस समय की टेक्नालाॅजी ने ये आसानी पैदा कर दी थी कि वे किसी भी कमरे में बैठे बैठे उस कमरे की किसी दीवार को टीवी स्क्रीन बनाकर मनचाहा प्रोग्राम देख सकते थे।
फिल्म शुरू हो गयी थी। अचानक वहाँ कालबेल की आवाज़ गूंजी।
‘‘इस वक्त कौन आ गया।’’ महावीर ने बुरा सा मुंह बनाकर कहा।
‘‘कौन?’’ जयंती ने दरवाज़े पर जाकर पूछा।
‘‘मैं हूं आँटी।’’ बाहर से सैफ की आवाज़ आयी और जयंती ने दरवाज़ा खोल दिया। बाहर सैफ मौजूद था लेकिन इस हालत में कि उसके पीछे दो भारी भरकम व्यक्ति भी मौजूद थे जिनकी गनें सैफ की कमर से लगी हुई थीं। उनकी यूनिफार्म से ज़ाहिर था कि वे पुलिस वाले हैं। जयंती के दरवाज़ा खोलते ही उन्होंने सैफ को धक्का दिया और साथ में खुद भी अन्दर आ गये।
‘‘चलो उठो।’’ अन्दर आने के साथ ही उन्होंने महावीर को हुक्म दिया।
‘‘क..कहाँ, कहाँ ले जा रहे हो मेरे बेटे को?’’ जयंती घबराकर बोली।
‘‘ये लोग फीरान के शहर में हंगामा करके भागे हैं। इस जुर्म में इनको अरेस्ट करने का आदेश हुआ है। चलो उठो फौरन।’’ पुलिस वाला बोला।
‘‘पता नहीं कैसे इन लोगों को यह गलतफहमी हो गयी है कि वहाँ के हंगामे के पीछे हमारा हाथ है। मेरी कोई बात मानने को तैयार ही नहीं।’’ सैफ बोला।
फिर जयंती रोती गिड़गिड़ाती रही लेकिन पुलिस वाले नहीं पसीजे। महावीर को देर करता देखकर उन्होंने गन की नाल पर उसे उठने पर विवश कर दिया। महावीर ने अपनी माँ को सांत्वना दी और फिर अपनी नकली टाँगों पर धीरे धीरे चलता हुआ बाहर आ गया। जहाँ पुलिस की गाड़ी मौजूद थी।
‘‘आप लोग हमें कहाँ ले जायेंगे।’’ महावीर ने पूछा।
‘‘गाड़ी में तो पहले बैठ बच्चू। पता चल जायेगा। तुम लोग समझते थे कि जुर्म करके निकल जाओगे और किसी को पता नहीं चलेगा। लेकिन प्रशासन की आँखें बहुत तेज़ होती हैं।’’ पुलिस वालों ने दोनों को आगे धकेला और दोनों खामोशी से गाड़ी में बैठ गये।
उनके बैठते ही गाड़ी हवा हो गयी।
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उनका सफर खत्म हुआ और एक आलीशान बंगले के खूबसूरत पोर्च में गाड़ी दाखिल हो गयी। यह बताने की कोई ज़रूरत नहीं थी कि यह हरस का बंगला है।
‘‘चलो उतरो तुम दोनों।’’ एक बार फिर दोनों पुलिसवालों ने गन उनकी तरफ तान दी।
‘‘भाई ये गन क्यों दिखा रहे हो। हम लोग अपाहिज हैं। मैं तो हाथ पैर कुछ भी नहीं हिला सकता।’’ महावीर ने लाचारी से कहा।
‘‘वह तो मैं भी देख रहा हूं। लेकिन हमें बताया गया है कि तुम दोनों बहुत खतरनाक हो। इसलिए चुपचाप हमारे साथ चलो।’’
दोनों गाड़ी से बाहर निकले और पुलिस वालों के साथ आगे बढ़ने लगे। जल्दी ही वे एक कमरे में पहुंचा दिये गये। जहाँ दो व्यक्ति ऊपर से नीचे तक पट्टियों में ढंके व्हील चेयर्स पर बैठे थे। यहाँ तक कि उनके चेहरे पर सिर्फ आँखें ही दिख रही थीं। इन दोनों को उनके सामने पहुंचा दिया गया।
‘‘यार क्या ये लोग स्वर्ग या नर्क के यमदूत हैं?’’ सैफ ने महावीर से पूछा।
‘‘ये तो इनके प्लान को जानने के बाद ही पता चलेगा कि ये लोग हमें कहाँ भेजना चाहते हैं।’’ हमेशा की तरह महावीर के इत्मिनान में कोई फर्क नहीं आया था।
उसी समय वहाँ हरस ने अपनी सेक्रेटरी जूली के साथ प्रवेश किया। और उन्हें घूरने लगा।
‘‘तो तुम दोनों हो।’’ उसने ऊपर से नीचे तक उनका निरीक्षण करने के बाद बोला।
‘‘जी, हम तो सैफ और महावीर हैं। शायद आपके लोग गलती से हमें उठा लाये हैं।’’ महावीर कोमल स्वर में बोला।
‘‘हम लोगों से कभी कोई गलती नहीं होती। जूली तुम बताओ इन्हें।’’ हरस ने उसी तरह उन्हें घूरते हुए कहा।
फिर जूली ने फीरान के शहर में घटी तमाम घटनाएं बतानी शुरू कर दीं। किस तरह महावीर ने अपने पहरेदार रोबोट को गोल्डी व प्लैटी की तरफ भेजा और फिर किस तरह झगड़े की शुरूआत हुई और उसमें सैफ ने कैसे आग में घी डाला यह तमाम बातें जूली ने इस तरह बता दीं मानो वह उस जगह मौजूद थी और सब कुछ अपनी आँखों से देख रही थी।
‘‘ये सब आपको कैसे पता चला?’’ सैफ ने धीरे से पूछा।
‘‘हम लोग ऐसे ही पूरी दुनिया पर कब्ज़ा नहीं कर चुके हैं। हमारी डिटेक्टिव डिवाईसेज पल पल की खबर हम तक पहुंचाती रहती हैं।’’ हरस ने गर्व से कहा। लेकिन महावीर को ये देखकर इत्मिनान हुआ कि उन्हें लड़ाई से पहले की खबर नहीं थी जब उसने एक रोबोट को उसी की प्रोग्रामिंग में उलझा दिया था और थोड़ी देर बाद उस रोबोट के सर्किट में आग लग गयी थी।
इसका मतलब उनके सुरक्षा घेरे में लूप होल्स मौजूद थे।
‘‘डैड, अब देर मत करो और इन दोनों को ऊपर का टिकट पकड़ा दो।’’ पट्टियों में जकड़े दोनों यमदूतों में से एक के मुंह से आवाज़ आयी। अब इनकी समझ में आया कि वो दोनों यमदूत लगने वाले वास्तव में गोल्डी और प्लैटी थे।
‘‘अरे आप लोगों की ऐसी हालत कैसे हुई?’’ महावीर उनकी ओर देखते हुए हमदर्दी से पूछने लगा।
‘‘फिकर मत करो। तुम लोगों की हालत इससे भी ज़्यादा बुरी होने वाली हैं।’’ पट्टियो के अन्दर से गोल्डी की आवाज़ फिर आयी, ‘‘डैड आप क्या कर रहे हैं! इन लोगों को जल्दी से खत्म कीजिए।’’
‘‘गोल्डी बेटा! बिल्कुल नहीं मालूम होता कि तुम हरस के बेटे हो।’’ हरस ने अपने बेटे को पुचकारा।
‘‘वह क्यों?’’ गोल्डी की नाराज़गी भरी आवाज़ सुनाई दी।
‘‘बेटा। मैं फीरान का वज़ीर हूं। और तुम मेरे बेटे हो। हम लोग अपने दुश्मनों को आसानी से नहीं मारते। बल्कि तड़पा तड़पा कर मारते हैं।’’ हरस ने खौफनाक हंसी के साथ कहा।
‘‘तो फिर इन्हें तड़पाईए। ताकि हमारे दिल को सुकून मिले। हाय, उन रोबोटों ने इतनी बुरी तरह मारा है कि अभी भी हमारी हड्डियां चटख रही हैं।’’ गोल्डी कराहते हुए बोला।
‘‘अब हम इनकी हड्डियां गलायेंगे।’’ हरस गुर्राया, ‘‘इन दोनों को ले जाओ और एसिड के हौज़ में डुबो दो। और फिर इनके बचे खुचे कंकाल को बीच चैराहे पर लटका देना। ताकि फिर कोई ऐसी गलती करने की हिम्मत न करे।
उसके इस हुक्म के साथ ही उसके आदमी दोनों की तरफ बढ़े।
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