Wednesday, December 26, 2018

ऊँचाईयों के पार - भाग 4 (अन्तिम भाग)


‘‘तान्या, ये मक्खियाँ नहीं हैं। इनमें से एक हमारे सम्राट हैं।’’

‘‘एक मक्खी तुम्हारी सम्राट!’’ तान्या जोर से हँस पड़ी।

उसी वक्त दोनों मक्खियाँ अपना आकार बदलने लगीं। थोड़ी ही देर में उनका शरीर हाथी जितना विशाल हो चुका था।’’ तान्या ने देखा उनमें से एक मक्खी गुस्से से उस आदमजाद को घूर रही थी।

‘‘तो तुम सबसे छुपकर यह हरकतें कर रहे थे। तुमने हमारी दुनिया का कानून तोड़ा है। क्या सजा दी जाये इसकी तुम्हें?’’ वह मक्खी इंसानी भाषा में बोल रही थी।
‘‘ह...हमें माफ कर दीजिए सम्राट! गलती हो गयी।’’

‘‘यह गलती नहीं, जुर्म है। बहुत बड़ा जुर्म। तुमने न सिर्फ दूसरी दुनिया की औरत से सम्बन्ध बनाये बल्कि उसपर अपनी दुनिया के राज भी जाहिर कर दिये। इसकी सजा जानते हो! मौत और सिर्फ मौत।’’ कहते हुए मक्खी ने दूसरी मक्खी को इशारा किया। दूसरी मक्खी आगे बढ़ी और उस आदमजाद को अपने शिकंजे में कस लिया। 

आदमजाद गिड़गिड़ाते हुए सम्राट से माफी माँग रहा था लेकिन एक झटके में मक्खी उसे निगल गयी।

अब सम्राट का मुँह तान्या की तरफ घूमा।

‘‘तुम हमारी दुनिया की प्राणी नहीं हो इसलिए हम तुम्हें कोई सजा नहीं दे सकते। लेकिन तुम्हारे गर्भ में पल रहे बच्चे का जिंदा रहना मुमकिन नहीं।’’ उस मक्खी के हाथ में दिख रहे किसी विशेष अस्त्र से एक किरण निकलकर तान्या के पेट से टकराई और तान्या को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके पेट में किसी ने अँगारा भर दिया हो।
...........

तान्या इस समय रोहित के साथ एक पार्क के अकेले कोने में बैठी हुई थी।

‘‘तुम मुझे यहाँ क्यों लाये हो रोहित?’’ बहुत देर से खामोश बैठे रोहित को देखकर तान्या ने पूछा।

‘‘तान्या! मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।’’ रोहित सर झुकाकर बोला।
‘‘क्या कोई खास बात?’’

‘‘हाँ....तान्या, दरअसल तुम्हारे गर्भ में पल रहा बच्चा मेरा है।’’

‘‘रोहित, एक तो मैं अपने सपने की वजह से परेशान हूँ, ऊपर से तुम और मजाक कर रहे हो।’’

‘‘ये मजाक नहीं है तान्या।’’ रोहित पूरी तरह सीरियस दिख रहा था,‘‘मैं बहुत दिन से तुमसे ये बात कहना चाहता था। लेकिन हिम्मत नहीं कर पा रहा था।’’
‘‘लेकिन ये सब कैसे हो सकता है?’’

‘‘तान्या! आज मैं तुम्हें सब कुछ बताकर अपने दिल का बोझ हल्का करना चाहता हूँ। ये आर्ट प्रदर्शनी देखने से ठीक एक दिन पहले की बात है। जब तुम दोपहर को मेरे घर आयी थीं और सर दर्द की शिकायत की थी। उस वक्त मैंने चाय में नींद की गोली देकर तुम्हें सुला दिया था। उसी वक्त शैतान मेरे ऊपर सवार हो गया था और मैंने तुम्हारे साथ वह सब कर डाला जो मुझे नहीं करना चाहिये था।’’

‘‘ओह!’’ तान्या ने एक गहरी साँस ली।

‘‘लेकिन इन सब के बावजूद मैं हैरत में हूँ। क्योंकि इससे पहले एक डाक्टरी जाँच में मुझे यही मालूम हुआ था कि मैं बाप बनने के काबिल नहीं हूँ। फिर तुममें कैसे गर्भ ठहर गया?’’

‘‘इसलिए, क्योंकि ये बच्चा तुम्हारा नहीं है रोहित।’’ तान्या ने इत्मिनान के साथ कहा।
‘‘अगर मेरा नहीं तो फिर किसका है?’’

‘‘इसी के बारे में तो मेरे सपने बयान कर रहे हैं।’’
‘‘तुम्हारे सपने बकवास के सिवा और कुछ नहीं। बच्चा मेरा ही है।’’

‘‘हरगिज नहीं रोहित। तुमने खुद ही कुबूल किया कि तुम बाप बनने के काबिल नहीं। यानि बच्चा तुम्हारा नहीं है।’’

‘‘शायद तुम इस तरह इंकार करके मेरे किये की सजा देना चाहती हो। ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी।’’ रोहित दुःखी होकर वहाँ से जाने लगा। तान्या ने उसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की।

इसके कुछ दिनों बाद तान्या ने एक बच्चे को जन्म दिया।

और वह बच्चा मृत था। 
--समाप्त--

4 comments:

Zadipatti Team said...
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Zadipatti Team said...
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Zadipatti Team said...

सर आपने लिखना क्यो बंद किया . बहोत बडीया सायन्स फिक्शन लेखे हो.प्लिज लिखते राहिये.
नये पाठक मेरे ब्लॉग पर आके ऐसी स्टोरीज पढ शकते है
https://mymatrubhasha.blogspot.com पे.

ShivaGoIndia said...

Very nice written by you so please keep it to written.
Thanks
http://rishtapao.com
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