Thursday, November 5, 2009

प्लैटिनम की खोज - गोल्डन जुबली एपिसोड : 50

आदेश का तुरन्त पालन हुआ और शमशेर सिंह की मुश्कें खोलकर मोगीचना के सामने खड़ा कर दिया गया। वह हवन्नकों की तरह उसकी ओर देखने लगा। उसे क्या मालूम था कि सरदार की बेटी उसकी प्रेमिका बन चुकी है।

वह हाथ जोड़कर उससे संबोधित हुआ, ‘‘नमस्कार देवी जी। आप कृपा करके मुझे मेरे घर भिजवा दीजिए। आप मुझे दयालू मालूम होती हैं, बाकी सब तो जंगली हैं।’’

सरदार ने उत्सव बन्द करने का आदेश दे दिया था। अत: सब अपने अपने घरों में जाने लगे थे। सबके जाने के बाद शाही परिवार भी अपने महल में जाने के लिए रवाना हो गया। साथ में शमशेर सिंह भी था। जिसका हाथ मोगीचना ने मज़बूती से पकड़ रखा था।
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‘‘मैं कहता हूं तुमने क्या सोच रखा है? कहां गयी तुम्हारी सारी वैज्ञानिकता।’’ रामसिंह ने झुंझलाकर प्रोफेसर को एक ठहोका दिया और वह चौंक कर रामसिंह की ओर देखने लगा। इस समय वह चाव से जंगलियों द्वारा दिये गये फलेंदे खा रहा था।
‘‘क्या बात है, इतने क्रोधित क्यों हो रहे हो?’’ उसने पूछा।

‘‘हमें इन जंगलियों के बीच रहते तीन दिन से अधिक हो गये हैं और अभी तक तुमने बाहर निकलने का उपाय नहीं सोचा।’’
‘‘बाहर निकलने की आवश्यकता क्या है। अब तो हम इनकी भाषा भी थोड़ी बहुत समझने लगे हैं। ये जंगली हमें देवता मान रहे हैं और हमारी पूरी खातिरदारी कर रहे हैं। ऐसा मजा और कहां।’’

‘‘किसी दिन अगर इन्हें मालूम हो गया कि हम देवता नहीं बल्कि मनुष्य हैं तब और अच्छी खातिरदारी हमारी होगी। जिस तंदूर की भुनी बकरियां हमें खाने को मिल रही हैं उसी तंदूर में हमारा मुसल्लम पक जायेगा।’’
‘‘ऐसा नहीं होगा। क्योंकि ये जंगली आदमखोर नहीं हैं। इनका पड़ोसी कबीला अवश्य आदमखोर है। बस हमें उससे बचकर रहना है।’’

‘‘पता नहीं शमशेर सिंह कहां गया।’’ रामसिंह ने ठंडी सास लेकर कहा।
‘‘अगर वह हमारे साथ होता तो और मजा आता। मेरा विचार है कि उसे जंगल पसंद नहीं आया इसलिए वह वापस चला गया।’’

‘‘कहीं ऐसा तो नहीं वह पड़ोसी कबीले के बीच फंस गया हो?’’ रामसिंह ने आशंका प्रकट की।
‘‘अगर ऐसा हुआ तो वह अब तक ऊपर पहुंच चुका होगा। क्योंकि वह तो आदमखोर कबीला है। इस कबीले के पता नहीं कितने लोगों को वह कबीला अब तक चट कर चुका है।’’ प्रोफेसर ने चिन्ता प्रकट की।

‘‘यह भी हो सकता है कि वह उस कबीले के बीच अब तक जीवित हो और कहीं कैद हो।’’
‘‘अगर ऐसा हुआ तब भी हम क्या कर सकते हैं। अगर उस ओर गये भी तो हम लोग भी फंस जायेंगे।’’

‘‘एक तरकीब हो सकती है।’’ रामसिंह अपना सर खुजलाते हुए बोला।
‘‘वह क्या?’’
‘‘क्यों न इस कबीले की उस कबीले से लड़ाई करवा दी जाये। जब लोग इस लड़ाई में व्यस्त रहेंगे तो हम चुपके से शमशेर सिंह को लेकर चंपत हो जायेंगे।’’ रामसिंह ने तरकीब बताई।

‘‘तुम तो इस तरह कह रहे हो जैसे अपने मोहल्ले की रामकली और फूलपरी के बीच लड़ाई करवानी है। भला ये दोनों कबीले आपस में क्यों लड़ने लगेंगे।’’ प्रोफेसर ने टोका।
‘‘पूरी बात सुन लिया करो, फिर बीच में टोका करो।’’ रामसिंह ने झुंझला कर कहा।
‘‘ठीक है बोलो।’’

‘‘ऐसा है कि ये जंगली हमें देवता मानते हैं। हम इनसे कहेंगे कि ये पड़ोसी कबीले पर हमला करके उन्हें नष्ट कर दें वरना उनपर देवता का शाप पड़ेगा।’’
‘‘वाह। ये तरकीब तुमने अच्छी बताई। अब हम अवश्य शमशेर सिंह को वहां से छुड़ा लेंगे। इसके अलावा मेरा एक एक्सपेरीमेन्ट भी पूरा हो जायेगा।’’

‘‘कैसा एक्सपेरीमेन्ट?’’
‘‘अब मैं आदमखोरों के ऊपर रिसर्च करूंगा। मेरी बहुत दिनों से इच्छा थी कि मैं आदमखोरों के बीच रहकर उनका अध्ययन करूं।’’

‘‘तो इसके लिए जंगल में आने की क्या आवश्यकता थी। क्या तुम्हारे शहर में कम आदमखोर हैं?’’
‘‘कैसी बात कर रहे हो? भला शहर में कहां से आदमखोर आ गये? अगर ऐसा है तो समाचारों में क्यों नहीं आया?’ प्रोफेसर ने विस्मय से पूछा।

‘‘तुम्हारी आखों पर तो हमेशा वैज्ञानिकता का परदा पड़ा रहता है। वरना समाचार पत्र तो रोज़ हत्या, लूट, बम और गोलों से भरे रहते हैं।’’
‘‘तुम्हारी बातें मेरी समझ से बाहर हैं। तुम मुझसे केवल विज्ञान की बातें किया करो।’’

‘‘ठीक है। ये बताओ कि जुकाम क्यों होता है?’’

1 comment:

Arvind Mishra said...

बहुत बधाई जीशान !